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धमाका: अध्यादेश वापसी से फीके पड़े अरमान, पहले बनना होगा पार्षद, जीते तो ही दौड़ेंगे अध्यक्ष की रेस में धन्नासेठ

शनिवार, 21 मई 2022

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। सरकार ने नगर पालिका के चुनाव में जनता के बीच जाकर अध्यक्ष का चुनाव लड़ने वाला अध्यादेश वापस बुला लिया जिसके बाद यह बात साफ हो गई है कि अब पार्षद नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम का अध्यक्ष और महापौर पार्षद चुनेंगे। इस निर्णय के बाद अध्यक्ष बनने का सपना देख रहे धन्ना सेठों के अरमानों पर पानी फिर गया है। उन्हें लग रहा था कि दमदार प्रचार और पानी की तरह पैसा बहा कर वे अध्यक्ष पद हथिया लेंगे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा बल्कि  बड़े नाम वालों को किसी एक वार्ड से पहले पार्षद का चुनाव लड़ना होगा जिसमें उनकी अग्निपरीक्षा होगी और वह सिर्फ पैसे वाले हैं या फिर उनका आम जनता के बीच बेहतरीन व्यवहार है इस बात की कठोर परीक्षा भी देनी होगी। अगर रिजल्ट पॉजिटिव आया और पार्षद चुने गए तो अध्यक्ष बनने की तरफ कदम बढ़ाएंगे या फिर पहले ही उन्हें हार गले लगानी होगी। शिवपुरी शहर की बात करें तो यहां भी कई धन्ना सेठ उसी समय से मैदान में गुड मॉर्निंग और गुड नाइट करने में जुटे हुए हैं जबसे नगर पालिका के चुनाव की चर्चा चल निकली है। सरकार लगातार चुनाव टालती जा रही थी लेकिन अध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे नेता किसी ना किसी बहाने अपने आप को जिंदा रखे हुए थे। इसी बीच जबकि सुप्रीम कोर्ट ने नगर पालिका के चुनाव कराने के निर्देश दे दिए हैं तो माना जा रहा है कि जून तक नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम के चुनाव हो जाएंगे। यही कारण है कि शिवपुरी में भी सरगर्मी तेज हो गई है और एक बार फिर से लोग चुनाव लड़ने के लिए कमर कस रहे हैं।
पार्टी से अधिक सिंधिया फेक्टर करता काम
शिवपुरी की बात करें यहां के चुनाव सिंधिया राजघराना तय करता है। पहले यह होता था कि सिंधिया राजघराने के नेता कांग्रेस और भाजपा में थे जिसके नतीजे में टिकटों का बंटवारा अलग अलग होता था लेकिन अब जबकि दोनों ही नेता भारतीय जनता पार्टी में है, ऐसे में  टिकटों की मारामारी सामने रहेगी। शहर के 39 वार्डों की बात करें तो यह दोनों ही नेताओं के अपने अपने लाडले हैं और सभी यह उम्मीद पाले हुए हैं कि उन्हें चुनाव में टिकट मिलेगा। सबसे ज्यादा बड़ी परीक्षा यही है कि उन्हें  पहले वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ना होगा। पार्षद बन गए तो फिर अध्यक्ष का ख्वाब देख सकते हैं।
यह भी तैयारी में
 इधर वार्डों में लगातार काम करने वाले या फिर पूर्व पार्षद जिन्होंने के उल्लेखनीय कार्य किए वह लोग भी चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। ऐसा माना जाता है कि वोटर अगला पिछला हिसाब चुनाव में पूरा करता है। ऐसे में काम देख कर या नाम देखकर वोट देने वाले लोग चुनाव जीतकर आएंगे तो वही मिलकर अध्यक्ष को चुनेंगे। ऐसे में अध्यक्ष बनने के लिए भी जेब खाली करनी पड़ेगी। खैर, बहुत कम समय बाकी है, देखिए आगे आगे होता है क्या।
निर्दलीय बढ़ाएंगे परेशानी
नपा चुनाव में निर्दलीय भी परेशानी बढ़ाएंगे। टिकिट किसी एक को मिलेगा लेकिन नए नियम से मुंह में आई लार के चलते कई लोग मैदान में निर्दलीय ताल ठोकेंगे।

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