पार्टी से अधिक सिंधिया फेक्टर करता काम
शिवपुरी की बात करें यहां के चुनाव सिंधिया राजघराना तय करता है। पहले यह होता था कि सिंधिया राजघराने के नेता कांग्रेस और भाजपा में थे जिसके नतीजे में टिकटों का बंटवारा अलग अलग होता था लेकिन अब जबकि दोनों ही नेता भारतीय जनता पार्टी में है, ऐसे में टिकटों की मारामारी सामने रहेगी। शहर के 39 वार्डों की बात करें तो यह दोनों ही नेताओं के अपने अपने लाडले हैं और सभी यह उम्मीद पाले हुए हैं कि उन्हें चुनाव में टिकट मिलेगा। सबसे ज्यादा बड़ी परीक्षा यही है कि उन्हें पहले वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ना होगा। पार्षद बन गए तो फिर अध्यक्ष का ख्वाब देख सकते हैं।
यह भी तैयारी में
इधर वार्डों में लगातार काम करने वाले या फिर पूर्व पार्षद जिन्होंने के उल्लेखनीय कार्य किए वह लोग भी चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। ऐसा माना जाता है कि वोटर अगला पिछला हिसाब चुनाव में पूरा करता है। ऐसे में काम देख कर या नाम देखकर वोट देने वाले लोग चुनाव जीतकर आएंगे तो वही मिलकर अध्यक्ष को चुनेंगे। ऐसे में अध्यक्ष बनने के लिए भी जेब खाली करनी पड़ेगी। खैर, बहुत कम समय बाकी है, देखिए आगे आगे होता है क्या।
निर्दलीय बढ़ाएंगे परेशानी
नपा चुनाव में निर्दलीय भी परेशानी बढ़ाएंगे। टिकिट किसी एक को मिलेगा लेकिन नए नियम से मुंह में आई लार के चलते कई लोग मैदान में निर्दलीय ताल ठोकेंगे।

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