माँ तेरी ममता में गहराई है
तुझमे जमाने की सच्चाई है
अक़्स हूँ मैं तेरा ही माँ
चुनौती से लड़ना सिखाया
मुझमें तेरी ही अच्छाई है
प्यार दुलार से सींचा मुझे
इस जहाँ में लाई दर्द सह कर
दुनिया की तुझमे ही बसी ख़ुदाई है
©®#कृष्णदीवानी_अंजली ✍️
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माँ
भूख मेरी जब मुझे बेहद सताती है।
माँ मेरी तब माँग कर रोटी ले आती है।।
सर्द रातें भी सताती जब मुझे आकर।
इस गरीबी ने मुझे जब जब लजाया है।
बेचकर दागीने तब तब मॉं पढ़ाती है।।
चन्द सिक्कों से खनकती गुल्लकें मेरी।
जब कभी माँ मोहरें मुझ पर लुटाती है।।
ज़ख्म मेरे देख कर रोई बहुत वो तो।
माँ सुला कर के मुझे जब घर से जाती है।
जेब भरकर वो खुशियाँ संग लाती है।।
जी करे ले लूँ बलायें मैं कभी माँ की।
टीस कुछ दिल में रही होगी कभी शायद।
अन कहे वो दर्द ही माँ छोड़ जाती है।।

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