शिवपुरी। आज आधुनिक भारत की जो सीमा-रेखा बनी है वो 'आदि शंकराचार्य जी' के पथ-संचलन से बनी है. जहाँ उनके पैर पड़े वो स्थान भारत में रह गया और जहाँ उनके पैर नहीं पड़ पाए वो हिस्सा दुर्भाग्य से भारत से कट गया. उक्त विचार प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने जिला पंचायत कार्यालय में जन अभियान परिषद द्वारा आदि शंकराचार्य जयन्ती पर आयोजित 'एकात्म पर्व' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किये. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में श्री प्रहलाद भारती जी राज्य मंत्री दर्जा उपाध्यक्ष मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम, जिला समन्वयक जन अभियान परिषद डॉ रीना शर्मा, विकासखंड समन्वयक शिवपुरी शिशुपाल सिंह जादौन, सामाजिक कार्यकर्ता श्री रतन बल्लभ शर्मा एवं दौलत सिंह जाटव खंड विस्तार अधिकारी जनपद पंचायत शिवपुरी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने कहा कि केवल 08 वर्ष की उम्र में सन्यास लेने के बाद 'आदि शंकर' ने 32 वर्ष की उम्र तक इन 24 वर्षों में देश की चार अलग-अलग दिशाओं में 8500 किलोमीटर के दायरे में चार मठों की स्थापना की. हमें सोचने की जरूरत है कि आज से 1200 वर्ष पहले बिना किसी साधन, बिना किसी सुविधा के 'केरल' से चलकर पैदल ही पूरे देश की यात्रा आदि शंकराचार्य जी ने पूरी की. देश में 'धर्म' के सही 'मर्म' का प्रचार और ज्ञान के केन्द्रों की स्थापनाउन्होंने की. इस पूरे पथ-संचलन और ज्ञान-केन्द्रों की स्थापना के अभियान में उन्होंने कितने कष्ट सहे होंगे, कितनी मुश्किलों से होकर उन्हें गुजरना पड़ा होगा तब कहीं जाकर उनका यह संकल्प पूरा हुआ होगा हम केवल इसकी कल्पना भर ही कर सकते हैं. 'आदि शंकराचार्य जी' के अभियान और उनके योगदान ने उस दौर में अवनत होते भारत को फिर से उठने, एकजुट होने, कठिन दौर में भी ज़िंदा रहने और जुड़े रहने की ताक़त दी.
कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के उपाध्यक्ष राज्य मंत्री प्रहलाद भारती ने कहा कि हमारे देश का यह अद्भुत सौभाग्य है कि इस देश को भगवान राम, कृष्ण, आचार्य चाणक्य और शंकराचार्य जी जैसे महापुरुषों ने गढ़ा है. हमारे यहाँ 'भगवान राम' ने उत्तर-दक्षिण को जोड़ा तो वहीं भगवान कृष्ण' ने पूरब-पश्चिम को जोड़ा तो वहीं आदि शंकराचार्य जी' ने भारत की सांस्कृतिक एकता को 'चार मठों' के माध्यम से जोड़कर भारत की संस्कृति और आध्यात्मिक परम्परा को स्थायी रूप से स्थापित करने का महत्वपूर्ण काम किया है.
जन अभियान परिषद की जिला समन्वयक डॉ. रीना शर्मा ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वागत उदबोधन देते हुए आदि शंकराचार्य जी की मातृभक्ति से विलग हुए बिना उनके सन्यास ग्रहण के पक्ष को रेखांकित किया. कार्यक्रम के संचालन की कमान जन अभियान परिषद के ब्लॉक समन्वयक शिशुपाल सिंह जादौन ने संभाली. इस अवसर पर नेपथ्य में, प्रचार-प्रसार से दूर रहकर वृक्षरोपण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले रायश्री ग्राम के सामाजिक कार्यकर्ता वयोवृद्ध श्री शर्मा जी को मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के उपाध्यक्ष प्रहलाद भारती ने शॉल-श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया. कार्यक्रम में जन अभियान परिषद की प्रस्फुटन समितियों, नवांकुर संस्थाओं के प्रतिनिधि कार्यकर्ता एवं समाज कार्य स्नातक पाठ्यक्रम के विद्यार्थी प्रमुख रूप से उपस्थित थे.

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