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अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर जागरूकता संवाद आयोजित

रविवार, 22 मई 2022

/ by Vipin Shukla Mama
धरती की खुशहाली के लिए जरूरी जैव विविधता की समृद्धिविभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा वनस्पति एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करते हैं, जिनका जीवन एक-दूसरे पर ही निर्भर रहता है: रवि गोयल सामाजिक कार्यकर्ता
शिवपुरी। पृथ्वी पर मौजूद जंतुओं और पौधों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए तथा जैव विविधता के मुद्दों के बारे में लोगों में जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है। 20 दिसम्बर 2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रस्ताव पारित करके इसे मनाने की शुरुआत की गई थी। इस प्रस्ताव पर 193 देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। दरअसल 22 मई 1992 को नैरोबी एक्ट में जैव विविधता पर अभिसमय के पाठ को स्वीकार किया गया था, इसीलिए यह दिवस मनाने के लिए 22 मई का दिन ही निर्धारित किया गया। इसी के तहत शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा नेशनल पार्क के विजिटर सेंटर के बाहर  जैव विविधता जागरूकता संवाद  में सम्बोधित करतेहुए रवि गोयल ने कही की  धरती की खुशहाली के लिए जरूरी जैव विविधता की समृद्धिविभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा वनस्पति एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करते हैं, जिनका जीवन एक-दूसरे पर ही निर्भर रहता है। सही मायनों में जैव विविधता की समृद्धि ही धरती को रहने तथा जीवनयापन के योग्य बनाती है किन्तु विड़म्बना है कि निरन्तर बढ़ता प्रदूषण रूपी राक्षस वातावरण पर इतना खतरनाक प्रभाव डाल रहा है कि जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं। जो की चिंता जनक है
जैव विविधता से आशय जीवधारियों  की विविधता से है, जो दुनियाभर में हर क्षेत्र, देश, महाद्वीप पर होती है।  प्रोग्राम में प्रमोद गोयल ने कहा की भारत में कुछ जीव-जंतुओं की प्रजातियों पर मंडराते खतरों की बात करें तो जैव विविधता पर दिसम्बर 2018 में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीबीडी) में पेश की गई छठी राष्ट्रीय रिपोर्ट से पता चला था कि अंतर्राष्ट्रीय ‘रेड लिस्ट’ की गंभीर रूप से लुप्तप्रायः और संकटग्रस्त श्रेणियों में भारतीय जीव प्रजातियों की सूची वर्षों से बढ़ रही है। ‘इस सूची में शामिल प्रजातियों की संख्या में वृद्धि जैव विविधता तथा वन्य आवासों पर गंभीर तनाव का संकेत है।  2009 में पेश की गई चतुर्थ राष्ट्रीय रिपोर्ट में उस समय ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर’ (आईयूसीएन) की विभिन्न श्रेणियों में गंभीर रूप से लुप्तप्रायः और संकटग्रस्त श्रेणियों में भारत की 413 जीव प्रजातियों के नाम थे किन्तु 2014 में पेश पांचवीं राष्ट्रीय रिपोर्ट में इन प्रजातियों की संख्या का आंकड़ा बढ़कर 646 और छठी राष्ट्रीय रिपोर्ट में 683 हो गया। देश में इस समय नौ सौ से भी अधिक दुर्लभ प्रजातियां खतरे में बताई जा रही हैं। यही नहीं, विश्व धरोहर को गंवाने वाले देशों की सूची में दुनियाभर में भारत का चीन के बाद सातवां स्थान है। प्रोग्राम में पूजा शर्मा ने कहा की 
भारत का समुद्री पारिस्थितिकीय तंत्र करीब 20444 जीव प्रजातियों के समुदाय की मेजबानी करता है, जिनमें से 1180 प्रजातियों को संकटग्रस्त तथा तत्काल संरक्षण के लिए सूचीबद्ध किया गया है।  दुनिया का सबसे छोटा स्तनपायी सफेद दांत वाला छछूंदर लुप्त होने के कगार पर है। देश में हर साल बड़ी संख्या में बाघ मर रहे हैं, हाथी कई बार ट्रेनों से टकराकर मौत के मुंह में समा जाते हैं, इनमें से कईयों को वन्य तस्कर मार डालते हैं। कभी गांवों या शहरों में बाघ घुस आता है तो कभी तेंदुआ और घंटों-घंटों या कई-कई दिनों तक दहशत का माहौल बन जाता है।
संबाद में लव कुमार वैष्णव ने कहा की पृथ्वी पर पेड़ों की संख्या घटने से अनेक जानवरों और पक्षियों से उनके आशियाने छिन रहे हैं, जिससे उनका जीवन संकट में पड़ रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है कि यदि इस ओर जल्दी ही ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में स्थितियां इतनी खतरनाक हो जाएंगी कि धरती से पेड़-पौधों तथा जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी। माना कि धरती पर मानव की बढ़ती जरूरतों और सुविधाओं की पूर्ति के लिए विकास आवश्यक है लेकिन यह हमें ही तय करना होगा कि विकास के इस दौर में पर्यावरण तथा जीव-जंतुओं के लिए खतरा उत्पन्न न हो। प्रोग्राम में शक्ति शाली महिला संगठन के रवि गोयल, धर्मगिरि, पूजा शर्मा, राहुल ओझा, लव कुमार, पुरुषोत्तम जाटव, ललित, प्रमोद गोयल, अरविंद एवम कमलेश कुशवाहा ने भाग लिया।

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