इस बार गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को राजयोग के संयोग के बीच मनाई जाएगी। Guru Purnima गुरु पूर्णिमा आषाढ़ के महीने के शुक्ल पक्ष तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार इस बार अगले महीने की 13 जुलाई को है। इस दिन लोग एक बेहतर जीवन जीने की कला सिखाने के लिए अपने गुरु के प्रति आभार प्रकट करते हैं। सनातन धर्म में तो गुरु मंत्र लेने की परंपरा भी है जो पति-पत्नी साथ में लेते हैं यह मोक्ष प्राप्ति का तरीका है।
आइए जानते हैं जीवन में खास महत्व रखने वाले गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
पंचांग के अनुसार इस बार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई को प्रात: 04:00 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 14 जुलाई को 12:06 मिनट पर दोपहर में समाप्त होगी, इसलिए यह मुख्य रूप से 13 जुलाई को ही भारत में मनाई जाएगी। इस दिन 12 बजकर 45 मिनट तक इंद्र योग बना रहेगा। वहीं, 11 बजकर 18 मिनट तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र भी है। ऐसे में दोनों ही मांगलिक कार्यों के लिए शुभ हैं। इस दिन कोई भी नई शुरूआत की जा सकती है। गुरु पूर्णिमा के दिन इस दिन 12 बजकर 45 मिनट तक इंद्र योग बना रहेगा. वहीं, 11 बजकर 18 मिनट तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र भी है. ऐसे में दोनों ही चीजें बहुत शुभ है मांगलिक कार्यों के लिए. इस दिन किसी चीज की शुरूआत की जा सकती है. गुरु पूर्णिमा के दिन शश, रोचक, हंस और भद्र जैसे राजयोग भी बन रहे हैं। इसलिए यह पूर्णिमा कई मायनों में खास है।
यह भी है खास
महर्षि वेद व्यास जी का जन्म आषाढ़ की पूर्णिमा तिथि में हुआ था, ऐसे में इस दिन महर्षि व्यास जयंती के रूप में भी गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अत्यंत फलदायी होती है।
- इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा (Maa Lakshmi Puja) भी बेहद अच्छी मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही साथ उनके भोग में तुलसी जल का प्रयोग करना भी शुभ माना गया है।
- इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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