मुंबई। कुछ ऐसा नया होगा जो अभी तक नही हुआ होगा, आपका अपना घर, फ़ैक्टरी, शॉप, फ़्लैट आदि में वास्तु दोष और भूमि की ऊर्जा सकारात्मक हैं या नकारात्मक ? यह जानने के लिए मिलिए एशिया एवं इण्डिया बुक रिकॉर्ड होल्डर वास्तुविद प्रयास मंगल से जो 15 जून से पांच दिन के लिए मुंबई आ रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए आप उनके मोबाइल नंबर 9630324292 पर उनसे संपर्क कर सकते हैं।
वास्तुविद प्रयास मंगल ने कहा कि भाग्य वृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र के नियमों का महत्व भी कम नहीं है। घर या ऑफिस का वास्तु ठीक न हो तो भाग्य बाधित होता है। वास्तु और भाग्य का जीवन में कितना संयोग है? क्या वास्तु के द्वारा भाग्य बदलना संभव है? इस प्रश्न के उत्तर के लिए यह जानना आवश्यक है कि भाग्य का निर्माण वास्तु से नहीं अपितु कर्म से होता है और वास्तु का जीवन में उपयोग एक कर्म है और इस कर्म की सफलता का आधार वास्तुशास्त्रीय ज्ञान है। पांच आधारभूत पदार्थों भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश से यह ब्रह्मांड निर्मित है और ये पांचों पदार्थ ही पंच महाभूत कहे जाते हैं। इन पांचों पदार्थों के प्रभावों को समझकर उनके अनुसार अपने भवनों का निर्माण कर मनुष्य अपने जीवन और कार्यक्षेत्र को अधिक सुखी और सुविधा संपन्न कर सकता है।
वास्तु सिद्धांत के अनुरूप निर्मित भवन एवं उसमें वास्तुसम्मत दिशाओं में सही स्थानों पर रखी गई वस्तुओं के फलस्वरूप उसमें रहने वाले लोगो का जीवन शांतिपूर्ण और सुखमय होता है। इसलिए उचित यह है कि भवन का निर्माण किसी वास्तुविद से परामर्श लेकर वास्तु सिद्धांतों के अनुरूप ही करना चाहिए। इस तरह, मनुष्य के जीवन में वास्तु का महत्व अहम होता है। इसके अनुरूप भवन निर्माण से उसमें सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। फलस्वरूप उसमें रहने वालों का जीवन सुखमय होता है। वहीं, परिवार के सदस्यों को उनके हर कार्य में सफलता मिलती है।
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