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विश्व नशा मुक्ति दिवस 2022, ग्राम नीम डांडा में जागरूकता कार्यक्रम हुआ आयोजित

रविवार, 26 जून 2022

/ by Vipin Shukla Mama
नशा, एक धीमा जहर, बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नशे के गुलाम बन चुके हैं: सुपोषण सखी इंग्लिश आदिवासी
शिवपुरी। बेशक प्रतिवर्ष 26 जून 2022 को पूरी दुनिया में अंतराष्टरीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है, मगर हर साल औपचारिकता ही निभाई जाती है। संकल्प लिया जाता है, दावे किए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतियां बनाई जाती हैं। मगर धरातल पर कुछ नहीं होता। नशे के सेवन को रोकने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। नशा एक धीमा जहर है। शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा अंतराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस पर ग्राम नीम डांडा में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमे एक तो समुदाय को जागरुक किया वही दूसरी और नशा न करने की नशा निवारण दूत  बनाये जिन्होने गांव को नशा मुक्त करने का संकल्प लिया। दुनिया के देशों में नशा करने वालों की मृत्यु दर भी बढ़ते जा रही है। तमाम दावों के बावजूद नशा नहीं रुक रहा है। 
ग्राम की सुपोषण सखी इंग्लिश आदिवासी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की आज बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नशें के गुलाम बन चुके हैं। नशा आज स्टेटस सिबंल बन चुका है। कैसी विडंबना है कि मानव को नशें से होने वाली बीमारियों का पता है फिर भी खुद ही मौत को दावत दी जाती है। पुरुष तो नशा करते ही हैं मगर आज महिलाए भी नशें की गिरफत में आ चुकी हैं। दर्जनों प्रकार के नशों को करती हैं।
दुनिया में नशा करने वाले लोगों की संख्या में वृ़द्धि बहुत ही चिंताजनक है। प्रोग्राम संयोजक रवि गोयल सामाजिक कार्यकर्त्ता ने कहा की युवा पीढी़ नशें की गुलाम हो चुकी है। दुनिया भर के युवा नशे की अंधी गलियों में भटक चुके हैं। युवाओं को बाहर निकालना हरेक का नैतिक कर्तव्य है। दुनिया में हर साल लाखों युवा नशे के कारण असमय ही मौत के आगोश में समाते जा रहे हैं। नशा निषेध दिवस पर एक संकल्प लेना होगा।नशेड़ी होते जा रहे युवा नशें को सब कुछ मान बैठे हैं। आज छोटे-छोटे बच्चे नशें के आदी हो चुके हैं। अभी उनके दूध के दांत भी नही टूटे हैं। मगर ऐसे नशे करते हैं कि रुह कांंपती है। बच्चे चोरी छुपे सुलोचन का नशा करते हुए देखे जा सकते है
 पूजा शर्मा कॉर्डिनेटर ने कहा की शराब व दवाओं का नशा किया जा रहा है। हर रोज चिट्टेे व हैरोइन के अवैध कारोबार करने वालों को पकड़ा जा रहा है। नशा आज एक फैशन बन चुका है। नशें के कारण आज कई घरों के चिराग बूझ गए तो कुछ जेलों में चक्की पीस रहें है। जेलों में सड़ रहे हैं। बबीता कुर्मी ने कहा की अक्सर देखा गया है कि उच्च घरानों के युवा मंहगें नशें कर रहे हैं। नशें के बिना रह नहीं सकते। जिंदगियां दाव पर लगा चुके हैं। जिंदा लाशें बनते जा रहे हैं। लाईलाज बीमारियों से ग्रस्त होते जा रहे हैं। आज लाखों युवा नशे के कारण मर चुके हैं। नशे की दलदल में धसते जा रहे हैं। इस दलदल से निकला बहुत ही मुश्किल है। सामाजिक कार्यकर्त्ता लव कुमार वैष्णव ने कहा की आज मां-बाप दुखी हैं कि उनके चिराग नशें की गिरफत में आते जा रहे हैं। आज नशे के सौदागर युवाओं के भविष्य खराब करते जा रहे हैं। अगर युवा ही नशे का प्रयोग करेगा तो आने वाला कल अंधकारमय ही होगा। युवा के कंधों पर देश टिका है, मगर यह कंधे थक चुके हैं। नसों में नशा भर चुका है। जवान काया शिथिल होती जा रही है। नशे के कारण सड़क हादसों में हर साल लाखों युवा बेमौत मारे जा रहे हैं। सरकारों को राजस्व प्राप्त होता है। सरकारों को कर्णधारों की कोई फिक्र नहीं हेैं। राजस्व से ही खजाना भरा जा रहा है। युवा मर रहे हैं। चंद मिनट के मजे के लिए अनमोल जीवन बरबाद कर रहे हैं। युवतियां भी नशे की दलदल में फंस चुकी हैं। समाचार पत्रों में डरावने समाचरों से पता चलता है कि आज लड़कियां भी चार कदम आगे जा चुकी हैं। सिगरेट व अन्य चरस जैसे नशें शरीर के अंगों को प्रभवित करते हैं। धर्म गिरी गोस्वामी ने बताया की  नशा समाज व देशों के लिए नासूर बन गया है। नशे को मिटाने की कसम लेनी होगी। प्रोग्राम में समुदाय के महिला पुरुष एवम बच्चो ने भाग लिया साथ ही शक्ति शाली महिला संगठन की पूरी टीम ने सक्रीय भूमिका निभाई।

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