दिल्ली। इस बार आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्र की शुरुआत 30 जून से होकर 8 जुलाई तक रहेगी। गुप्त नवरात्रि, गोपनीय साधनाओं के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसमें बाधाओं का नाश करने का वरदान प्राप्त किया जा सकता है। बता दें कि नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। दो बार गुप्त नवरात्रि और दो बार सामान्य नवरात्रि। चैत्र और आश्विन नवरात्रि तो सभी जानते हैं, लेकिन माघ और आषाढ़ में आने वाली गुप्त नवरात्रि के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस बार आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 30 जून से आरंभ होगी। गुप्त नवरात्रि की पूजन विधि
गुप्त नवरात्रि में नौ दिन के लिए कलश स्थापना की जा सकती है। कलश की स्थापना कर सुबह-शाम मंत्र जाप, चालीसा या सप्तशती का पाठ करें। दोनों ही समय आरती करना भी अच्छा होगा। मां को दोनों समय भोग भी लगाएं। सबसे सरल और उत्तम भोग है लौंग और बताशा। मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है, हालांकि इस दौरान मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल न चढ़ाएं। पूरे नौ दिन अपना खान-पान और आहार सात्विक रखें।
कलश घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्र के लिए कलश स्थापना गुरुवार, 30 जून को सुबह 5 बजकर 26 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 43 मिनट तक की जा सकेगी।
रोजगार के लिए यह कीजिए
शीघ्र रोजगार की प्राप्ति के लिए देवी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। नौ बताशे लें और हर बताशे पर दो लौंग रखें। अब सारे बताशे एक एक करके देवी को अर्पित करें। यह प्रयोग नवरात्रि की किसी भी रात्रि को करें।
शीघ्र विवाह के लिए
देवी के समक्ष रोज एक घी का दीपक जलाएं। इसके बाद उनको रोज लाल फूलों की माला अर्पित करें। शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें। यह प्रयोग नवरात्रि की हर रात्रि को करें।

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