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धमाका खास खबर: राजनेता स्व.श्री लक्ष्मी नारायण जी गुप्ता (नन्ना जी) की संघर्षशील जीवन यात्रा, आज 6 जून को 105 वीं जयंती पर विशेष

रविवार, 5 जून 2022

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। श्री लक्ष्मी नारायण जी गुप्ता का जन्म 6 जून 2918 को ईसागढ़ जिला अशोकनगर नामक स्थान पर हुआ था। आपके पिता का नाम श्री पन्नालाल जी गुप्ता था। पिछोर में आपने सबसे पहले न्याय विभाग में सेवा की साथ ही साथ अपना शिक्षण भी जारी रखा। युवावस्था में ही आपने सावरकर जी के राष्ट्रीय एवं हिंदुत्ववादी विचारों से प्रेरणा लेकर हिंदू महासभा की शिवपुरी जिले  की कमान अपने हाथों में ले ली। आप सावरकर जी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के साथ हिंदू महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 1948 में गांधी हत्याकांड के समय आप पहली बार गिरफ्तार हुए। उसके बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के आह्वान पर कश्मीर आंदोलन में भाग लेते हुए दिल्ली में सत्याग्रह करते हुए गिरफ्तारी पहले आप तैयार जेल में और बाद में फिरोजाबाद की जेल में बंद रहे। गोवा आंदोलन में भी आप जेल गए। परतंत्र भारत में एक  अंग्रेज आई जी का विरोध करने पर भी आपको उस समय तीन माह जेल में भेजा गया। संघर्ष यात्रा यहीं नहीं रुकी आप विभिन्न सामाजिक आंदोलनों में कुल मिलाकर 6 बार जेल गए। आपने अपने राजनीतिक कैरियर में सबसे पहले जिला सहकारी केंद्रीय बैंक का चुनाव लड़कर डायरेक्टर बने। 1952 में देश में पहली बार विधानसभा के चुनाव में आप पिछोर  विधानसभा से निर्वाचित हुए उसके बाद लगातार आपने 4 चुनाव ऐतिहासिक अंतर से जीते। नन्ना जी की लोकप्रियता का यह आलम था कि 1967 के आम चुनाव में  सत्ताधारी दल कांग्रेस के उम्मीदवार को 24000 वोटों से चुनाव हराया था। 1990 के आम चुनाव में भी नन्ना जी ने कांग्रेस के उम्मीदवार को रिकॉर्ड 22000 मतों से चुनाव हराया था जो मध्य प्रदेश की रिकॉर्ड जीत थे। जिन चुनाव में चुनाव हारे उनमें हार-जीत का अंतर बहुत ही कम रहा जिससे समझ में आता है कि नन्ना जी की लोकप्रियता और जनता से जुड़ाव कितना गहरा रहा। नन्ना जी ने एक विकास पुरुष की भूमिका निभाते हुए शिवपुरी, दतिया जिले की महत्वपूर्ण और नदी परियोजना पर बांध बनाए जाने की पहली बार मांग 1968 में की थी जिसे 2018 में राज्य सरकार द्वारा मंजूरी दी गई। इसी प्रकार शिक्षा का महत्व समझते हुए श्री नन्ना जी ने पिछोर में 50 साल पहले कॉलेज की स्थापना करवाई थी। उस समय जिला मुख्यालय पर भी कॉलेज नहीं हुआ करते थे। राजस्व मंत्री रहते हुए मध्य प्रदेश राजस्व संहिता के निर्माण  में और राजस्व विभाग में कई सुधारों के लिए आप को जाना जाता है। ऐसे नन्ना जी की उपलब्धियां जब गहोई समाज के युवाओं को लगीं तो सामाजिक बंधुओ ने भव्य और ऐतिहासिक नन्ना जी जन्मशताब्दी समारोह का आयोजन ग्वालियर में किया। उस आयोजन में केंद्रीय मंत्री, राज्य शासन के 7 मंत्री, 3 सांसद ,10 विधायक आदि उपस्थित थे। सभी ने नन्ना जी के सार्थक जीवन यात्रा की भूरि भूरि प्रशंसा की। उस कार्यक्रम के संयोजक धर्मेन्द्र गुप्ता ने बताया कि देश भर में समाज द्वारा नन्ना जी की स्वीकार्यता उसी भांति की गई जैसे समाज पूज्य दद्दा श्री राष्ट्रकवि मैथिलीशरण जी गुप्ता को सम्मान देता है। 
 नन्ना जी कई बार गंभीर बीमार हुए लेकिन अपने जुझारू पन के दम पर पुनः स्वस्थ हुए। जीवन की आखिरी सांस तक भी वह बिना चश्मे के पढ़ते थे, और पुस्तकों से उनका लगाव इस तरह का था कि विधानसभा मध्यप्रदेश की लाइब्रेरी में ऐसी कोई पुस्तक ना थी जो नन्नाजी ने ना पड़ी हो। बिना लाठी के चलते थे, अपने पिछोर क्षेत्र की जनता के तत्पर रहते थे कि "बताओ मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं"।
उनके जीवन के जितने सपने थे जिनमें मुख्य रुप से धारा 370 का हटना, राम मंदिर निर्माण यह सारे कार्य उनके सामने संपन्न होते देखे।
जून 2021 में मुझसे व्यक्तिगत भेंट में नन्ना जी ने प्रधानमंत्री मोदी जी से भेंट कर उनको राममंदिर निर्माण हेतु बधाई देने की बात की थी और उनकी वह अंतिम इच्छा भी प्रधानमंत्री ने पूरी कर दी जब भोपाल आने पर प्रधानमंत्री जी ने स्वयं उनसे भेंट कर उनका सम्मान किया। हम सभी उस दृश्य के साक्षी हैं कि हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री मोदीजी ने किस प्रकार दंडवत होकर अपने नन्ना जी का सम्मान किया।
ऐसे हमारे महान युगपुरुष का देहावसान 12 जनवरी को बड़े बेटे रमेश जी के निवास पर हुआ।अंतिम समय तक नन्ना जी किसी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित नहीं रहे। मृत्यु के उपरांत राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार उनकी कर्मभूमि पिछोर में किया गया। जहां हजारों की संख्या में नम आंखों ने नन्ना जी को विदाई दी।युवाओं पर मन्ना जी का इतना प्रभाव था कि देश भर की सोशल मीडिया पर नन्ना जी को सभी वरिस्थजनों द्वारा श्रद्धांजलि दी गई। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवम संघ प्रमुख डा मोहन भागवत जी के शोक संदेश प्राप्त हुए। उनकी उर नदी परियोजना से जुड़ाव के कारण उनके परिजनों और समर्थकों ने उनकी अस्थियां उर नदी ने प्रवाहित की। आज भी नन्ना जी के चाहने वालों द्वारा उर नदी परियोजना का नामकरण श्री लक्ष्मीनारायण जी के नाम पर करने की मांग की जा रही है। साथ ही साथ उनके चाहने वालों को भरोसा है कि  मरणोपरांत पदम अवार्ड हेतु भी उनके नाम पर विचार होना चाहिए।
नन्ना जी एक संत दिव्यात्मा थे जिनके सारे सपने उनकी आंखों के सामने  पूरे हुए। हम और आने वाली पीढ़ी उनके दिखाए संघर्ष, वैचारिक प्रतिबद्धता ,ईमानदारी और जनकल्याण के मार्ग पर चलें यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
ज्योति गुप्ता, पिछोर
प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य,
भाजपा महिला मोर्चा, मध्यप्रदेश

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