शिवपुरी। इंदिरा गांधी द्वारा सन 1975 में 25, 26 जून को भारत में लोकतंत्र की हत्या करके मध्य रात्रि के 12 बजे आंतरिक आपातकाल की घोषणा की थी इसके साथ ही समाचार पत्रों सहित सभी प्रकार के समाचार माध्यमों पर भी रोक लगाकर प्रेस सेंसरशिप लागू की थी।शहर के सामाजिक कार्यकर्ता, पूर्व पार्षद यशवंत जैन एवं समाज सेवी, दिनारा पंचायत के पूर्व पंच मनोज सोनी ने आज उन्हीं दिनों को याद करते हुए नगर में मीसा बंदियों के घर घर पहुचकर पुष्प हार पहनाकर सम्मान किया एवं संस्मरण साझा किए।इस अवसर पर वरिष्ठ जनसंघी पूर्व पार्षद, मीसा बंदी घंश्याम भसीन, मीसाबंदी महेश गौतम सहित शहर के मीसाबंदियों को सम्मानित कर आशीर्वाद लिया।यशवंत जैन ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी चुनाव में अपने रायबरेली संसदीय क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के राजनारायण के विरुद्ध चुनाव जीती थी परंतु इस चुनाव को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी तब न्यायाधीश ने यह स्वीकार किया था की यह चुनाव इंदिरा गांधी ने भ्रष्ट तरीकों से जीता अर्थात यह चुनाव रद्द घोषित किया जाता है। सामान्य बुद्धि की बात यह होती न्यायालय के आदेश का सम्मान करके कुछ दिनों के लिए अपने पद से हट जाती वह दूध फिर से चुनाव लड़ कर आ सकती थी परंतु ऐसा ना करते हुए उन्होंने एक प्रकार से सारे संवैधानिक प्रावधानों को एक तरफ रखते हुए आंतरिक आपातकाल लगाया और उसके बाद पूरे देश में दमन प्रारंभ हुआ। अटल जी, आडवाणी जी, जय प्रकाश नारायण आदि आदि ने नेताओं के साथ देश के हर राज्य में विरोधी दल के नेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया था। इसी संदर्भ में उनको सलाह दी गई कि आपके निर्णय का विरोध देशभर में कोई कर सकता है तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। तब 4 जुलाई 1975 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उसी दिन देशभर में संघ के छोटे बड़े कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी कर ली गई . शिवपुरी से उस दिन गिरफ्तार किए गए चार लोग शिवपुरी जेल भेज दिए गए। पंडित बाबूलाल शर्मा एडवोकेट सर्व श्री बाबूलाल गुप्ता, गोपाल कृष्ण सिंघल तथा एक आनंद मार्ग के अवधूत निरंजन ब्रह्मचारी को भी गिरफ्तार कर पहले सिटी कोतवाली लाया गया और वहां से जेल भेज दिया गया। अगले दिन सुबह ही चारों को ग्वालियर केंद्रीय कारागृह स्थानांतरित कर दिया गया। यह सब कार्यवाही होते होते देशभर में लगभग ढाई लाख निर्दोष नागरिक जिनका कोई दोष नहीं था जेलों में लंबे समय के लिए भेज दिए गए। बाद का घटनाक्रम ऐसा था 21 मार्च 1977 को यह घोषणा जब हो गई कि जो चुनाव कराया जाए इंदिरा गांधी ने यह मानकर कि कोई विरोध करने वाला नहीं है। कांग्रेस के रूप में हमारा फिर से चुना जाना तय है परंतु चुनावों ने यह सिद्ध कर दिया कि यह देश अधिक समय तक गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता और 21 मार्च की रात्रि में इंदिरा गांधी चुनाव हार गई और सारे देश में कांग्रेस का बुरा हाल हुआ। जनता पार्टी के बैनर पर मोरारजी भाई देसाई के नेतृत्व में केंद्र में जनता सरकार बनी। तानाशाही का युग समाप्त हुआ परंतु ढाई वर्ष में केवल यह जनता सरकार मोरारजी भाई देसाई, चरण सिंह, चंद्रशेखर आदि के अलग-अलग सोच के कारण भानुमति का कुनबा ही साबित हुआ और इंदिरा गांधी की चतुराई से यह सरकार गिर गई।

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