नए नियम में टायर की रेटिंग की जाएगी। इसके पहले 1 अक्टूबर 2022 से नए डिजाइन के टायर बाजार में उपलब्ध होंगे। मध्यप्रदेश के जिले शिवपुरी में टायर के बड़े विक्रेता राजेश कोचेटा, सर्वेश अरोरा ने कहा कि देश में पेट्रोल-डीजल की बचत के हिसाब से सरकार टायरों की स्टार रेटिंग का भी एक सिस्टम ला रही है। अभी भारत में बिकने वाले टायर की क्वालिटी के लिए BIS, यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड नियम हैं, लेकिन इस नियम से ग्राहकों को टायर खरीदने के दौरान ऐसी जानकारी नहीं मिल पाती है, जिससे उनका फायदा हो।
क्या होती हैं रेटिंग
जब आप कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद खरीदने जाते हैं तो सबसे पहले रेटिंग देखते हैं। इससे बहुत हद तक उस प्रोडक्ट की क्वालिटी के बारे में पता चल जाता है। ये रेटिंग ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी की ओर से दी जाती है। इसके साथ जिस साल रेटिंग दी जाती है। इससे बहुत हद तक उस प्रोडक्ट की क्वालिटी के बारे में पता चलता है। इसके साथ जिस साल रेटिंग दी गई उसका साल भी लिखा रहता है।यही सिस्टम लागू होगा
ऐसा ही रेटिंग सिस्टम नए डिजाइन के टायरों के लिए लाया जाएगा, जिसे कस्टमर खरीदने से पहले देख पाएंगे। हालांकि ये सिस्टम कैसे बनेगा और कस्टमर की मदद कैसे करेगा, इसकी जानकारी अभी नहीं दी गई है।
3 कैटेगरी के होते हैं टायर
टायर की ज्यादातर तीन केटेगरी होती हैं।
इनमें C1, C2 और C3,
C1 कैटेगरी टायर पैसेंजर कार में होते हैं।
C2 कैटेगरी छोटी कॉमर्शियल गाड़ी में होते हैं।
नए डिजाइन के टायर बनाने के लिए कंपनियां रोलिंग रेजिस्टेंस, यानी टायर के शेप, साइज और उसके मटेरियल पर काम करेंगी, ताकि गाड़ी का रोलिंग रेजिस्टेंस कम हो सके। वेट ग्रिप यानि बारिश के दौरान या कभी भी अगर सड़क गीली रहती है तो गाड़ियों के टायर फिसलने लगते हैं और रोड एक्सीडेंट बढ़ जाते हैं। नए डिजाइन के टायर बनाने वाली कंपनियों को ध्यान रखना होगा कि गीली सड़क पर टायर की फिसलन का खतरा न हो।
रोलिंग साउंड एमिशन्स यानि गाड़ी चलाते वक्त कई बार टायर से कुछ आवाज आती है। इससे लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं कि कहीं गाड़ी खराब तो नहीं हो रही है। इस तरीके की आवाज से रोड में शोर भी बढ़ता है। इस शोर को कम करने पर भी ध्यान देना होगा।

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