शनि की उल्टी चाल 12 जुलाई से शुरू हो चुकी हैं। कुछ राशियों के लिए तो यह चाल बहुत शुभ होगी मगर बहुत सी राशियों की जिंदगी में भूचाल भी आएगा। श्री मंशापूर्ण ज्योतिष के अनुसार शास्त्र में शनि ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है. शनि देव का राशि परिवर्तन सभी राशियों के लिए खास होता है. ज्योतिष के मुताबिक शनि देव 29 अप्रैल को कुंभ राशि में प्रवेश किए थे. अब 12 जुलाई को अपनी स्वराशि मकर में वक्री अवस्था में प्रवेश करने जा रहे हैं. इस राशि में शनि देव 17 जनवरी 2023 तक रहने वाले हैं. शनि देव के वक्री होने से कुछ राशियों को शनि की ढैय्या से छुटकारा मिल जाएगा. वहीं कुछ राशियों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी
बुरे कर्म करने वालों को सजा देते हैं शनि
वक्री शनि जिस नक्षत्र में होता है उस नक्षत्र के स्वामी की कुंडली में स्थिति के आधार पर फल देता है। मंगल बुध ब्रहस्पति, शुक्र और शनि ये पांच ग्रह समय-समय पर वक्री तथा मार्गी होते रहते हैं। शनिदेव क्रूर ग्रह नहीं हैं, शनि देव न्यायकर्ता है। जब व्यक्ति लालच तथा मोह से प्रभावित होकर अन्याय तथा अत्याचार करता है पाप करता है और व्यभिचार का सहारा लेता है, तो शनिदेव ऐसे लोगों को उनके कर्मों की सजा देते हैं।
मिथुन, तुला राशि पर लगेगी शनि की ढैया
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब शनि देव कुंभ राशि में गोचर किए थे तो उस वक्त मीन, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो गई थी. लेकिन अब जब शनि देव अपनी स्वराशि मकर में प्रवेश करने जा रहे हैं तो कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी. वहीं मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी.
तुला राशि
शनि देव इस राशि के चौथे भाव में वक्री गोचर करने वाले हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस राशि पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी. जिसके परिणामस्वरूप, इस दौरान कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. ये परेशानियां शारीरिक, मानसिक और आर्थिक भी हो सकती हैं. हालांकि नौकरी और बिजनेस में लाभ का योग बनेगा.
मिथुन राशि
12 अप्रैल को शनि देव इस राशि के 8 वें भाव में वक्री हो गए हैं. शनि देव की उल्टी चाल से इस राशि के जातकों पर ढैय्या का प्रभाव रहेगा. शनि की ढैय्या के कारण इस राशि के जातकों को अचानक धन हानि हो सकती है. हालांकि इस राशि से संबंधित कुछ जातकों को शनि की ढैय्या का शुभ परिणाम भी मिल सकती है. आकस्मिक धन लाभ के योग बनेंगे. लाइफ में बड़े बदलाव आने की प्रबल संभावना बनेगी. आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है.
मकर राशि
मकर राशि में ही शनि वक्री हो रहे हैं, ऐसे में इस राशि पर शनि की साढ़े साती लगेगी। जीवन में उतार चढ़ाव आएंगे, मानसिक तनाव होगा। जीवनसाथी से कलह हो सकती है। सोच-समझकर ही फैसला लें वरना नुकसान उठाना पड़ सकता है।
डॉ विकास दीप शर्मा श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिवपुरी* 9425137382,9993462153
कुंभ राशि
कुंभ राशि में भी शनि की साढ़ेसाती लगने वाली है, व्यापार और नौकरी में समस्या हो सकती है। पति-पत्नी के बीच संबंध बिगड़ सकते हैं। सेहत का ध्यान रखना होगा, वरना स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। पुराना रोग भी उभर सकता है।
ऐसी होती है ग्रहों की वक्री गति
जन्मकुंडली में प्रत्येक ग्रह घड़ी की सुई की दिशा में सूर्य के चारों और चक्कर लगाते हैं। किन्तु कभी कभी इनकी दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर चक्कर लगाती हुई प्रतीत होती है जिसे ग्रह की वक्री अवस्था कहा जाता है। कोई भी ग्रह जब सामान्य रूप से विपरीत दिशा में चलना शुरू करता है तो इसे ज्योतिष की भाषा में वक्री गति कहा जाता है। उदाहरण के लिए अगर शनिदेव कुम्भ राशि से मकर राशि की ओर जा रहे हैं तो वक्री अवस्था में ये मकर राशि की जगह धनु राशि में जाते हुए दिखाई देंगे।
शनि का वक्री होना इसलिए माना जाता है अशुभ
वक्री अर्थात उल्टी दिशा में गति करने लगते हैं। जब यह वक्री होते हैं तब इनकी दृष्टि का प्रभाव अलग होता है। वक्री ग्रह अपनी उच्च राशिगत होने के समतुल्य फल प्रदान करता है। कोई ग्रह जब वक्री ग्रह से संयुक्त होता है तो उसके प्रभाव में मध्यम स्तर की वृद्धि होती है। ये धीरे-धीरे अपना फल देते हैं और साथ ही वक्री ग्रह के साथ चलते हैं। शनि का वक्री होना लोग प्रतिकूल इसलिए मानते हैं क्योंकि ये अगर शुभ नहीं होता है तो आपके हर काम में रुकावट आएगी आपका कोई भी काम समय से पूरा नहीं होगा। आपको अधिकतर नुकसान ही झेलना पड़ेगा। वक्री होने पर शनि और अधिक बलशाली हो जाता है और उसका प्रभाव राशियों पर बहुत बढ़ जाता है। जिन राशियों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है उसके जातकों को मानसिक और शारीरिक परेशानी झेलनी पड़ती है।

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