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धमाका बड़ी खबर: लोक सेवा गारंटी की एकल खिड़की से नकल निकलवाने में एडवोकेट राजीव शर्मा को लगाने पड़े चक्कर पर चक्कर, 22 दिन में तब मिली नकल जब खुद फाइल लेकर घूमें दफ्तर दफ्तर, कलेक्टर को लिखी व्यथा, बोले, आम आदमी का क्या होता होगा साहब, बदलिए जरा बाबुओं के तौर तरीके

शनिवार, 2 जुलाई 2022

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। सरकारी गलियारों में बाबू का रोब किस कदर चलता हैं की वह आम आदमी तो छोड़िए रसूखदार लोगों को भी चक्कर पर चक्कर लगाकर उनकी चप्पल घिसवा लेते हैं। जिला प्रशासन, नेता, सीएम शिवराज से लेकर सरकार की मंशा बाबुओं के सामने हांफती नजर आती हैं। आज हम एक ऐसी व्यथा लेकर आए हैं जिससे सैकड़ों लोगों को हर दिन रूबरू होना पड़ता है, यहां आम आदमी का क्या होता होगा जब नगर के एक ख्यातिनाम एडवोकेट राजीव शर्मा को ही नकल प्राप्त करने में 22 दिन लग गए। वह भी तब जबकि वे खुद हाथों में फाइल लेकर दफ्तर दफ्तर खेले। इस बीच निर्धारित शुल्क लेने के बाद भी फोटो कॉपी के पैसों की मांग भी कर दी गई। हम बात कर रहे हैं लोक सेवा गारंटी के एकल खिड़की की। जिसकी बद इंतजामी में सुधार को लेकर एडवोकेट शर्मा ने कलेक्टर अक्षय से गुहार लगाई हैं। आइए खुद शर्मा जी से सुनिए किस तरह नकल लेने के लिए उन्हें पापड़ बेलने पड़े। पढ़िए कलेक्टर के नाम पाती
श्रीमान जी नमस्कार, 
मैं यहां एक आम आदमी की  व्यथा का वर्णन कर रहा हूं कि किस प्रकार से एक आम आदमी कलेक्ट्रेट से नकल निकलवाने के लिए परेशान होता है। यह समस्त बात मेरे स्वयं के अनुभव पर आधारित है। मुझे एक प्रकरण के आदेश की प्रमाणित प्रति निकालनी थी । सबसे पहले मैं लोक सेवा केंद्र गया वहां पर निर्धारित शुल्क जमा करके मैंने रसीद प्राप्त की। उस रसीद को देने वाले बाबू ने एक घंटे बाद मुझे आने के लिए कहा जबकि वह पूरी तरह से फ्री बैठा हुआ था उसके पास कोई भी काम नहीं था। इस प्रकार इन्होंने यह रूटीन बना रखा है कि काम हो या ना हो किसी का काम तुरंत नहीं करना है। यह रसीद दिनांक 8:06 2022 को दी गई थी जिसमें नकल प्राप्त करने की तिथि 30 जून 2022 लिखी गई थी। इसके बाद में 1 जुलाई 2022 को लगभग 12:00 बजे पुनः नकल रिकॉर्ड शाखा में पहुंचा। वहां पर कम से कम आधा घंटा व्यतीत करने के बाद मुझे पता चला कि अभी तक नकल तैयार नहीं हुई है। इसके बाद बाबू ने मुझे सामने फोटोकॉपी सेक्शन में भेजा। वहां पर मुझसे फोटोकॉपी के पैसों की मांग की गई। जिसे देने से मैंने साफ इंकार कर दिया। मैंने कहा जब ₹20 पेज आप हमसे नकल के चार्जेस लेते हैं तो फिर अलग से फोटो कॉपी के चार्ज क्यों? इस पर बाबू ने कहा कि कोई बात नहीं आप मत दीजिए। फोटोकॉपी हम करा देंगे। इसके उपरांत दिनांक 30 जून 2022 को जब मैं नकल रिकॉर्ड शाखा में पहुंचा तो बाबू ने कहा कल आना। इसके बाद फोटोकॉपी होने के उपरांत मेरी फाइल एक ऐसे बाबू की ड्रेस पर रखी गई जहां पर सिर्फ उन्हें सील लगानी थी। यहां मैं यह कहना चाहता हूं कि आम आदमी को किस तरह से यह अनावश्यक रूप से पैसा देने पर मजबूर करते हैं। इसके लिए भी उन्होंने मुझे करीब 10-15 मिनट इंतजार कराया। 15 मिनट बाद मैंने कहा कि आप सिर्फ सील लगाने में इतनी देर क्यों कर रहे हैं आपका जो काम है वह आप पूरे दिन करते रहिए लेकिन मुझे फ्री कीजिए इसके बाद  कागजों पर सील लगाई गई। 
 इसके बाद में स्थापना शाखा में गया और वहां पर संबंधित बाबू से दस्तखत करवाए। यह सारे काम सरकारी कर्मचारियों को करना चाहिए जो एक चपरासी की तरह मुझे करने पड़े। सील लगाने के बाद मुझे कहा गया कि आप एक बाबूजी जो स्थापना शाखा में बैठते हैं वहां पर जाकर इस पर दस्तखत करवा लीजिए।
 दस्तखत करवाने के बाद मैं पुनः रिकॉर्ड शाखा में वापस आया। वहां पर मुझे बताया गया कि मुझे अब लोक सेवा केंद्र पर जाना पड़ेगा जहां पर इन दस्तावेजों पर टिकट लगाए जाएंगे। लोक सेवा केंद्र जो रिकॉर्ड शाखा से लगभग 500 मीटर की दूरी पर है मैं वहां पर पहुंचा। उसके बाद वहां पर ₹60 के टिकट लगाए गए और मुझसे ₹120 वसूल किए गए।
जमीनी हकीकत आपके सामने है। आशा करता हूं कि आप संवेदनशीलता के साथ इस तरफ ध्यान देंगे और उचित कदम उठाएंगे
 धन्यवाद राजीव शर्मा अधिवक्ता
शर्मा ने तंज  कसते हुए कहा कि, कहने को तो एकल खिड़की की व्यवस्था है लेकिन काम तय समय पर नहीं होता बड़े-बड़े बोर्ड लोक सेवा गारंटी के लगाने से क्या फायदा?

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