शिवपुरी। नगर पालिका परिषद शिवपुरी की नगर सरकार के लिए शाम 5 बजे की अंतिम रिपोर्ट में 66.33% मतदान हुआ है जो जिले के अन्य सात जगह हुए मतदान में सबसे कम हैं। जबकि पोहरी में सबसे ज्यादा 86.87% मतदान हुआ। इसी तरह मगरोनी में 82.83%, पिछोर में 80.56%, बैराड़ में 80.64%, कोलारस में 76.69%, करैरा में 72.60% मतदान हुआ हैं।
अव्यस्था और फर्जीवाड़ा के शिकार हुए आम मतदाता
नगर पालिका परिषद के चुनाव में मतदान केन्द्र पर पहुंचे उत्साहित मतदाता उस समय निराश हो गए जब उनके नाम अन्य पोलिंग बूथ पर शिफ्ट कर दिए। बीएलओ की उदासीनता के चलते कहीं कहीं मतदाता पर्ची ही नहीं बांटी गई तो कहीं मूलमतदाता के स्थान पर एक कागज की पर्ची पर नाम नंबर लिखकर दिया गया जिससे फर्जी मतदान हुआ। ऐसा ही एक वाकया मतदान केन्द्र 124 हरिजन छात्रावास पर हुआ, जहां मूल मतदाता मुकेश कुमार पुत्र कैलाश जब वोट देने पहुंचे तो उनका वोट पहले ही गिर गया था, जानकारी लेने पर पता चला कि उस बूथ के बीएलओ की हाथ से लिखी पर्ची पर किसी अन्य ने वोट डाला। ऐसे ही कई प्रकरण अन्य बूथों पर देखे गए, जहां से मतदाता नाम न मिलने अथवा वोट डाल जाने के कारण निराश लौटे। न्यू ब्लॉक के बूथ पर भी यही हुआ।
हुई झड़प राजू गुर्जर और पदम काका के बीच
वार्ड 21 के 86 नम्बर पोलिग पर फ़र्ज़ी मतदान को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पदम चौकसे काका और निर्दलीय उम्मीदवार राजू गुर्जर में झड़प हो गई।
कम वोटिंग, क्या गुल खिलाएगी, चिंतन शुरू
नगर की बात करें तो मतदान काम होने के पीछे भारी विसंगतियों को जिमेदार कहा जा सकता हैं। लोगों के वोटर लिस्ट से नाम गायब होने और किसी के नाम किसी जगह लिखे होने के चलते वोटर मतदान से वंचित हुए। जिसके परिणाम स्वरूप यह मतदान का प्रतिशत घटा हैं।
दम लगाई वही कर पाए मतदान
लिस्ट में नाम नहीं होने के चलते सैंकड़ों वोटरों ने घर का वापिस रुख किया। कोसते हुए घरों को लोटे। इधर कुछ ही वोटर बदली हुई सूची के अनुसार दूसरे वार्ड में मतदान करने का सके।
संबंधित वार्ड में नाम नहीं तो किसी प्रत्याशी ने नहीं डाली घास
एक और मजेदार बात यह दिखाई दी की किसी वोटर का वोट अगर लिस्ट के अनुसार किसी दूसरे वार्ड में निकला तो जिस वार्ड के प्रत्याशी एक दिन पहले तक पैरों में सांप की तरह लिपट रहे थे उन्होंने तिरछा मुंह कर लिया। क्योंकि वो वोटर किसी काम के नहीं थे जिसका नाम उनका वार्ड की लिस्ट में नहीं था। इस तरह के वोटर केवल वही दूसरे वार्ड के केंद्र तक गए जिन्होंने वोट डालने की कसम खाई थी या मतदान की अहमियत समझते थे।
अब सांस अटकने लगीं
नगर सरकार के लिए कम मतदान के बाद प्रत्याशी पसीने छोड़ने लगे हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा अब यह 20 जुलाई को पेटियां खुलने के बाद ही सामने आएगा।
पुरखों को पीछे छोड़ दिया वोटर लिस्ट ने
नगर की वोटर लिस्ट ने पुरखों को पीछे छोड़ दिया जो अपने हिसाब से संपत्ति का बटवारा करते थे। किसी भी परिवार के सदस्य को हिस्सा नहीं देते या पूरा देते थे। मगर वोटर लिस्ट ने तो लोगों के नाम लिस्ट से उड़ा दिए। पति किसी वार्ड तो पत्नी किसी वार्ड में जेसे इंडेक्टेंस कोचिंग के संचालक विवेक श्रीवास्तव वार्ड 9 में फेंक दिए गए उनकी पत्नी 7 में बनी रहीं। जबकि मम्मी का नाम लिस्ट से गायब कर दिया गया। ठीक इसी प्रकार से डॉक्टर एसपीएस रघुवंशी, बीमा अभिकर्ता चेतन सिंघल, पुलक, अनिल सरीन, व्यवसाई संजीव अग्रवाल जैसे सैकड़ों लोगों को नाम इधर उधर या लिस्ट से ही नाम गायब होने के चलते भटकना पडा। कुछ ने वोट किया कुछ गुस्से में एसी चलाकर सो गए। कुल मिलाकर वोटरों को रिश्तों से अलग करने का काम भी वोटर लिस्ट ने किया हैं। जिसका परिणाम पर असर पड़ना तय माना जा रहा हैं।

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