कोलारस। तहसील के कोटा नाका गांव में फोरलेन निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि के भू-अर्जन मामले में कोर्ट के आदेश के बाद भी राशि हितग्राही को नहीं दिए जाने के मामले में न्यायालय सप्तम अपर जिला न्यायाधीश अमित कुमार गुप्ता ने मय ब्याज के 71 हजार रुपए हितग्राही को देने के आदेश दिए हैं। यदि उक्त राशि नहीं दी जाती है तो कोलारस एसडीएम की संपत्ति कुर्क करके भुगतान के निर्देश दिए हैं। भुगतान में देरी से भू-अर्जन अधिकारी होने के नाते एसडीएम के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। मामले में पैरवी एडवोकेट जेपी शर्मा व आनंद माथुर की। अभियोजन के अनुसार हितग्राही लक्ष्मी पत्नी अरुण कुमार वैश्य निवासी सर्राफा मोहल्ला कोलारस की ग्राम कोटा नाका गांव की जमीन फोरलेन निर्माण के लिए एनएचआई ने साल 2010 में अधिग्रहित कर ली। तत्समय मिली मुआवजा राशि से हितग्राही लक्ष्मी वैश्य संतुष्ट नहीं हुई और अपनी जमीन के एवज में पर्याप्त राशि प्राप्त करने के लिए न्यायालय सप्तम अपर जिला न्यायाधीश की शरण ली। न्यायालय ने सुनवाई के बाद 6 मार्च 2020 को हितग्राही को करीब 37 लाख रुपए तथा 2014 से 9% ब्याज एक वर्ष तक का और इसके बाद 12 प्रतिशत ब्याज राशि सहित प्रदाय करने के निर्देश भू-अर्जन अधिकारी (एसडीएम) कोलारस को दिए। लेकिन यह राशि देने की बजाय आपत्ति करते हुए भू-अर्जन अधिकारी मामला सड़क विकास निगम में ले गए। सड़क विकास निगम ने पक्षकार बनने के लिए न्यायालय में आवेदन दिया। लेकिन न्यायालय ने प्रकरण तथ्यपूर्ण ना होने के चलते खारिज कर दिया और हाईकोर्ट ग्वालियर से स्थगन आदेश लाने के लिए निर्देशित किया। जब स्थगन आदेश ना भू-अर्जन अधिकारी और ना ही मप्र सड़क विकास निगम की ओर से पेश हुआ, तब न्यायालय सप्तम अपर जिला न्यायाधीश अमित कुमार गुप्ता ने 20 जुलाई को प्रकरण की सुनवाई के उपरांत आदेश दिए हैं कि हितग्राही लक्ष्मी वैश्य को अधिगृहीत भूमि की कीमत मय ब्याज के करीब 71 लाख रुपए अदा की जाए, अन्यथा की स्थिति में भू-अर्जन अधिकारी की चल संपत्ति कुर्क कर हितग्राही को यह राशि प्रदाय की जाए। मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को है।
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