शिवपुरी। नगर के जानेमाने एडवोकेट राजीव शर्मा एक्शन मोड में आ गए हैं। उन्होंने 11 जुलाई को दो शिकायती पत्र एडीएम कार्यालय शिवपुरी के अधिकारी, कर्मचारियों के विरुद्ध प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल एवम आयुक्त ग्वालियर संभाग को लिख डाले हैं, और दोषी के विरुद्ध कारवाई की बात कही है।दरअसल बैंक में बंधक एक भवन के विक्रय करने के लिए उसका फिजिकल वेरिफिकेशन की अनुमति के लिए जो फाइल एडीएम उमेश शुक्ला के मौजद रहते उनके समक्ष प्रस्तुत की गई। पावती ली गई और उक्त मामले में प्रकरण का निराकरण एक महीने में होना था। जिसे छह महीने में निराकृत करने के स्थान पर एडवोकेट शर्मा को जानकारी दिए बिना ये कहकर निराकृत कर दिया गया की उक्त फाइल में दस्तावेज नहीं थे। इसी गंभीर विषय को लेकर शर्मा ने उनके विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए बीती 11 जुलाई को दो पत्र भेजे हैं। शर्मा का कहना हैं की जब फाइल प्रस्तुत की जाती हैं तब सभी दस्तावेज की सूची और उन्हे चेक करने के बाद ही सुनवाई के लिए विरोधी या दूसरे पक्ष को सुनवाई के लिए बुलाया जाता है। शर्मा को छह महीने में कई बार बुलाया गया लेकिन अंत में फाइल में कागजात न होने की जानकारी देकर प्रकरण का निराकरण कर दिया। एडवोकेट शर्मा ने फाइल से एडीएम कार्यालय में कागजात गायब कर दिए जाने और दोषी अधिकारी, कर्मचारियों के विरुद्ध कारवाई के लिए पत्र लिखा है। पढ़िए क्या लिखा हैं शिकायत में
प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग, मध्य प्रदेश शासन बल्लभ भवन, जिला भोपाल मप्र
एवम आयुक्त ग्वालियर
विषय:- एडीएम न्यायालय की फाईल में से आवश्यक दस्तावेज गायब हो जाने के संबंध में
माननीय महोदय, उपरोक्त विषायान्तर्गत लेख है कि श्रीमान ADM महोदय, जिला शिवपुरी के समक्ष मुझ अधिवक्ता द्वारा आधार हाउसिंग कंपनी लिमिटेड की ओर से एक आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 14 (वित्तीय संपत्तियों का प्रतिभूतिकरण, पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित का प्रवर्तन (अधिनियम) सरफेसी एक्ट के अंतर्गत निर्मला गुप्ता आदि के विरुद्ध प्रस्तुत किया गया था जिसमें निर्मला गुप्ता के बंधक भवन का आधिपत्य चाहा गया था। उक्त आवेदन के साथ समस्त आवश्यक दस्तावेज, सूची दस्तावेज फार्म अनुसार विधिवत प्रस्तुत किये गये थे उक्त आवेदन की ग्राहिता हेतु सुनवाई के समय माननीय ए०डी०एम महोदय (श्री उमेश प्रकाश शुक्ला) द्वारा समस्त दस्तावेजों का भली भाँति अवलोकन कर प्रकरण क्रमांक 0265/ब-121/2021.22 पर दर्ज करके विरोधी पक्षकार को जरिये नोटिस सुनवाई हेतु तलब किया गया था तथा उभय पक्षों को सुनने के उपरांत दिनांक 05/05/2022 को आधार हाउसिंग कंपनी लिमिटेड की और से प्रस्तुत आवेदन पत्र को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उक्त कंपनी के द्वारा धारा 13 (2) तथा धारा 13 (4) से संबंधित दस्तावेज आवेदन के साथ प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। आदेश की छाया प्रति संलग्न है जबकि यदि ऐसा होता तो उक्त आवेदन को ग्राहिता की स्टेज पर ही अस्वीकार कर दिया जाता।श्रीमान जी भी भली भाँति इस बात से परिचित होंगे कि जब भी कोई प्रकरण प्रस्तुत किया जाता है तब उसके साथ एक सूची दस्तावेज फार्म लगाया जाता है तथा उसके अनुसार सभी दस्तावेज भी संबंधित न्यायालय में प्रस्तुत किये जाते हैं। उक्त प्रकरण से संबंधित सूची दस्तावेज फार्म की छाया प्रति इस पत्र के साथ संलग्न है। जिस पर विरोधी पक्षकार के अधिवक्ता की प्राप्ति के साथ हस्ताक्षर भी हैं जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मेरे द्वारा सूची दस्तावेज अनुसार, समस्त दस्तावेज माननीय ए०डी०एम न्यायालय में प्रस्तुत किये गये थे तथा वे सभी दस्तावेज मय सूची दस्तावेज फार्म के किसी के द्वारा गायब कर दिये गये जो कि काफी गंभीर विषय है। पहला विचारणीय प्रश्न है कि बिना किसी भी दस्तावेज के उक्त प्रकरण अनावेदकगण के विरूद्ध किस आधार पर दर्ज कर लिया गया था?दूसरा विचारणीय प्रश्न यह है कि यदि कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया था तो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुये आवेदक कंपनी को आहूत करके अथवा उसके अधिवक्ता से यह बात पूछी क्यों नहीं गई कि आपके पास यदि कोई दस्तावेज हो तो उसे प्रस्तुत करें? ऐसा ना करते हुये तत्परता दिखाते हुये माननीय ए०डी०एम महोदय द्वारा उक्त प्रकरण का निराकरण कर दिया गया। विधायिका ने इस कानून को इस मंशा से बनाया था कि वित्तीय संस्थाओं को बिना किसी कानूनी अडचनों के अपने शोध्य धन को प्रतिभूत की गई संपत्ति से वसूलने में मदद कर सके। माननीय श्रीमान से विनम्र निवेदन है कि उक्त प्रकरण की पूर्ण रूप से जाँच कराई जाये तथा इसमें जो कि कर्मचारी अथवा अधिकारी दोषी हो उसके विरुद्ध विधि सम्मत कार्यवाही को जावे जिससे भविष्य में किसी भी पक्षकार के साथ अन्याय ना हो सके। दिनांक 11/07/2022
भवदीय / निवेदक
राजीव शर्मा अधिवक्ता
नि० संतुष्टि कॉलोनी, शिवपुरी म०प्र

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