भोपाल। देश भर के साथ मध्यप्रदेश के सभी इलाकों में सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बाद इनका इस्तेमाल करना गैर कानूनी होगा और ऐसा करने पर सजा का प्रावधान भी हैं। अब आज से आप कपड़े के थैले साथ रखिए। प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करवाने के लिए छापामार कारवाई को अंजाम दिया जायेगा। प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे और अधिकारियों की टीम को प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के अवैध उत्पादन, उपयोग पर नियंत्रण की जिम्मेदारी मिलेगी।
इन 19 पर प्रतिबंध लगा
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक की कुल 19 वस्तुओं पर यह प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैकेट की फिल्म, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर शामिल हैं।
एक बार फिर कीजिए नजर
1. प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड्स
2. गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक
3. प्लास्टिक के झंडे
3. कैंडी स्टिक
4. आइसक्रीम स्टिक
5. थर्मोकोल
6. प्लास्टिक की प्लेट
7. कप
8. गिलास
9. कटलरी
10. कांटे
11. चम्मच
12. चाकू
13. स्ट्रॉ
14. ट्रे
15. मिठाई के डिब्बों को रैप या पैक करने वाली फिल्म
16. इन्विटेशन कार्ड
17. सिगरेट के पैकेट
18. 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर
19. स्टिरर
केंद्र सरकार ने अभी 19 आइटम्स पर प्रतिबंध लगाया है। आगे इसमें और भी सामान जोड़े जाएंगे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प के बारे में भी बताया है।
31 अगस्त तक यह तैयारी
अगस्त 2021 में अधिसूचित नियम और 2022 के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने के भारत के प्रयासों के तहत 31 दिसंबर, 2022 तक प्लास्टिक कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई को मौजूदा 75 माइक्रोन से 120 माइक्रोन में बदल दिया जाएगा। मोटे कैरी बैग सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के उद्देश्य से लाए जाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे और अधिकारियों की टीम को प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के अवैध उत्पादन, आयात, वितरण, बिक्री रोकने का काम सौंपा जाएगा।
क्या होती है सिंगल यूज प्लास्टिक
सिंगल यूज प्लास्टिक ऐसा प्लास्टिक है जिसे एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इन्हें आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता है। इससे प्रदूषण बढ़ता है क्योंकि इसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता और न ही इन्हें जलाया जा सकता है। इससे पर्यावरण में जहरीले रसायन शामिल होते हैं जो इंसान और पशु दोनों के लिए हानिकारक साबित होते हैं।
रोजगार और सामान का विकल्प क्या होगा
कुछ जानकार मानते हैं कि इस प्रतिबंध का असर सीधे तौर पर लघु उद्योगों पर होगा। आंकड़ों की मानें तो प्लास्टिक उद्योग से भारत में 40 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। इस प्रतिबंध के बाद इनके रोजगार पर संकट आ जाएगा। हालांकि अच्छी बात ये है कि इन सभी प्लास्टिक प्रोडक्ट्स के विकल्प भी तैयार किए जा रहे हैं। 200 कंपनियां ऐसे अल्ट्रानेटिव प्रोडक्ट बना रही हैं। कई स्टार्टअप्स भी सामने आए हैं जो प्लास्टिक प्रोडक्ट्स के विकल्प के तौर पर कागज के प्रोडक्ट्स बनाकर पेश कर रहे हैं और रोजगारों की एक उम्मीद भरी नई दुनिया बना रहे हैं। ऐसे में इस्तेमाल की वैकल्पिक वस्तुओं के साथ ही वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
ये होगी सजा
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक से बने 19 आइटम्स को एन्वार्यमेंट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत प्रतिबंधित किया गया है। अगर कोई भी इन आइटम्स का अब इस्तेमाल करता है, तो उसे इस एक्ट की धारा 15 के तहत जुर्माना या जेल या दोनों की सजा हो सकती है। धारा 15 के तहत 7 साल तक की कैद और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
कितना खतरनाक प्लास्टिक?
सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। ऐसे प्लास्टिक न तो डिकंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है। इनके टुकड़े पर्यावरण में जहरीले रसायन छोड़ते हैं, जो इंसानों और जानवरों के लिए खतरनाक होते हैं। इसके अलावा, सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा बारिश के पानी को जमीन के नीचे जाने से रोकता है, जिससे ग्राउंड वॉटर लेवल में कमी आती है।
भारत की बात करें तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एक सर्वे बताता है कि देश में हर दिन 26 हजार टन प्लास्टिक कचरा निकलता है, जिसमें से सिर्फ 60% को ही इकट्ठा किया जाता है। बाकी कचरा नदी-नालों में मिल जाता है या पड़ा रहता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, भारत में हर साल 2.4 लाख टन सिंगल यूज प्लास्टिक पैदा होता है। इस हिसाब से हर व्यक्ति हर साल 18 ग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा पैदा करता है।
- 2017 में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि एक भारतीय हर साल 11 किलो प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है। 2017 में ही आई नेचर कम्युनिकेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि महासागरों तक गंगा नदी में बहकर बड़े पैमाने पर कचरा पहुंचता है। समंदरों तक सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा फैलाने में गंगा नदी दूसरे नंबर पर है। एक्सपर्ट का अनुमान है कि जिस तेजी से समंदरों में प्लास्टिक कचरा फैल रहा है, अगर यही रफ्तार रही तो 2050 तक समंदरों में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा।
ये कर सकते हैं हम
प्लास्टिक बैग की बजाय कॉटन बैग का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी तरह प्लास्टिक से बनी चम्मच की जगह बैम्बू स्टिक का इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं, प्लास्टिक कप की बजाय कुल्हड़ का इस्तेमाल हो सकता है।

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