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राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हम सबको एक साथ जोड़ता है, कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने नालन्दा एकेडमी में आयोजित "युवा परिसंवाद कार्यक्रम" में कहा, दिए विद्याथियो के सवालों के जवाब

गुरुवार, 28 जुलाई 2022

/ by Vipin Shukla Mama
किताबों से केवल सूचना मिलती है, ज्ञान मिलता है समाज को पढ़ने और समझने से: कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह
शिवपुरी। किताबों से केवल सूचना मिलती है, ज्ञान मिलता है समाज को पढ़ने और समझने से. ज़िन्दगी में किताबों के अलावा भी ज्ञान की जरूरत पड़ती है. अपना हौसला बुलंद रखिये. समाज को कुछ दे सकने की प्रवृत्ति अपने भीतर विकसित कीजिये. उक्त विचार कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर नालन्दा एकेडमी में आयोजित "युवा परिसंवाद कार्यक्रम" में सिविल सर्विसेज प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए. कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि रिस्क लेनें की क्षमता आप सबको अपने भीतर विकसित करनी चाहिए. असफलता को बर्दाश्त करने की क्षमता आपके भीतर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मोबाइल का अतिउपयोग आजकल एक बड़ी समस्या बन गया है. इसने हमारे टाइम मैनेजमेंट को खराब करके रख दिया है. इसके उपयोग के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है. जीवन मे हटकर कुछ करने की प्रवृत्ति विकसित कीजिये. किसी जरूरतमंद की मदद कीजिए, वृक्षारोपण के अभियान से जुड़िये, पर्यावरण के लिए काम कीजिये. समाज का ऐसा मन तैयार कीजिये कि लोग केवल सरकारी नौकरियों की तरफ ना भागें बल्कि रोजगार पाने वाले की जगह रोजगार देने वाले बनें. आज जरूरत है सबको एक साथ जोड़ने की. राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हम सबको एक साथ जोड़ता है. इसलिए सभी देशवासी आजादी के अमृत महोत्सव के इस गौरवशाली पड़ाव पर अपने-अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा जरूर फहरायें. नालन्दा एकेडमी में आयोजित "युवा परिसंवाद कार्यक्रम" में इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल, प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार एवं नालन्दा एकेडमी के संचालक अक्षत बंसल प्रमुख रूप से उपस्थित थे. साथ ही नालंदा संस्थान के सुनील सोले सर व प्रदीप रावत सर भी उपस्थित रहें। 
"युवा परिसंवाद कार्यक्रम" को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल ने कहा कि हर आदमी परेशान है. कोई कुछ बनना चाहता है, कोई कुछ बन गया है तो उससे ऊपर जाना चाहता है, जो ऊपर है वो वहाँ बना रहे, वहाँ से नीचे न गिर जाए यह प्रयास करना चाहता है. मानव-जीवन में खुश होने का कोई एक क्राइटेरिया नहीं है. लेकिन ये सच है कि त्याग करने से, दूसरों के लिए जीवन में कुछ करने से हमें आदर और सम्मान मिलता है. जितना हम कॉम्प्लिकेटेड होते हैं, उतना फ्रस्ट्रेटेड होते हैं. सभी विद्यार्थियों को अपना जीवन-लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए. भीतर से हम जिन
चीजों पर केंद्रित होते हैं, वो हो जाती हैं. फिजिकल फिटनेस पर ध्यान रखने के साथ ही उन्होंने मेंटल स्ट्रेस कम करने के प्रयासों पर भी अधिक जोर देने की बात कही. एसपी राजेश सिंह चंदेल ने कहा कि युवा विद्यार्थियों को सोशल सर्विस से, सामाजिक सरोकारों से जुड़ना चाहिए. ऐसे अनेक उदाहरण आजकल हमारे सामने आते हैं जहाँ यूपीएससी की तैयारी के साथ कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने बहुत अच्छा बिजनेस स्टार्टअप भी किया है. 
*विद्यार्थियों ने कलेक्टर से पूछे मन में उठने वाले कई सवाल -* 
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र होतम राठौर ने कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह से पूछा कि - "सर भ्रष्टाचार को कैसे रोका जा सकता है? कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने विद्यार्थी के इस सवाल का जवाब देते हुए विस्तार से बताया कि हम स्वयं से शुरुआत करके ही भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकते हैं. 
पीएससी इंटरव्यू की तैयारी कर रहे छात्र राजवीर गौर ने सवाल पूछा कि - अक्सर इंटरव्यू में पूछा जाता है कि आपके जिले की समस्याएं एवं चुनौतियां क्या-क्या हैं? कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने विस्तार से जिले की समस्याओं और चुनौतियों पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया.
एक विद्यार्थी ने सवाल किया कि - "स्टडी करने जब बैठते हैं तो स्वयं को पूरी तरह से अध्ययन पर केंद्रित नहीं कर पाते हैं, ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए?"
कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने कहा कि - " काम करते समय काम कीजिये, आराम करते समय आराम कीजिये. काम भी अच्छा होगा और आराम भी अच्छा होगा. इसे वे ऑफ लाइफ (जीवन पद्धति) बनाइये. जिंदगी लंबी, नहीं बल्कि जिंदगी बड़ी होनी चाहिए. कई बार मंजिल से ज्यादा सफर रोमांचक होता है. यात्रा के पड़ावों का भी आंनद लिया जाना चाहिए. जिंदगी में बहुत सारी परीक्षाएं हैं. जिंदगी की परीक्षाएं कभी खत्म नहीं होती हैं. जिंदगी में किसी रास्ते पर बहुत दूर चलने के बाद कोई कठिनाई ना आये तो समझिए कि आप गलत रास्ते पर हैं. जिस चीज में लगो उसी में अपने आपको तिरोहित कर दीजिए, खुद को ऐसे लक्ष्य की साधना में खपाने की जरूरत होती है.

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