बामौरकलां। नगर में मुनि श्री उत्कर्ष सागर महाराज का चातुर्मास कलश स्थापना के साथ शुरू हो गया। मुनिश्री ने कहा कि चातुर्मास काल एक स्थान पर रहकर धर्म, आराधना और तप करने का पावन समय रहता है। धर्म हमारे आचरण में होना चाहिए।चातुर्मास कलश स्थापना का शुभारंभ आचार्य श्री विद्यासागर व आचार्य श्री उदार सागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया गया। मंगलाचरण रचना जैन ने किया। चातुर्मास प्रथम स्वर्ण कलश स्थापना करने का सौभाग्य सूरज बाई, ब्रह्मचारिणी सुषमा दीदी सिंघाई परिवार बामौरकलां को प्राप्त।
द्वितीय कलर्स श्री आदिनाथ स्वामी कलश गोलाकोट जी को समर्पित करने का सौभाग्य उत्तमचंद, प्रदीप कुमार जैन को प्राप्त हुआ।
तृतीय कलश आचार्य उदार सागर जी जन कल्याण तीर्थ क्षेत्र को समर्पित करने का सौभाग्य विनोद कुमार, मयंक कुमार, मोहिल कुमार चौधरी परिवार को प्राप्त हुआ।
ध्वजारोहण का सौभाग्य सिंघाई लक्ष्मीचंद, विपुल जैन ,अटल जैन ,उज्जैन जैन सिंघाई परिवार बामोर कला को प्राप्त हुआ। पाद प्रच्छालन करने का सौभाग्य इंद्रसेन, विनीत जैन मिठया परिवार को मिला। मुनि श्री को शास्त्र भेंट कुन्दनलाल,अकलंक जैन,आगम मोदी परिवार बामोर कलां व महिला पाठशाला मंडल बामोर कलां ने सोभाग्य प्राप्त किया। मंगल आरती करने का सौभाग्य प्रकाश चंद्र, डॉक्टर चक्रेश, प्रिंस, चित्रांश भारिल्ल परिवार बामोर कला को प्राप्त हुआ।
मुनि श्री उत्कर्ष सागर महाराज ने कहा कि चातुर्मास काल एक स्थान पर रहकर धर्म आराधना और तप करने का समय रहता है। धर्म हमारे आचरण में होना चाहिए। मनुष्य में दया, करुणा और ममता का समावेश होना चाहिए। चातुर्मास का यह कालखंड मानव मात्र के लिए धर्म आराधना का होता है। इस अवधि में हम परमात्मा के प्रति जितने अधिक समर्पित होंगे, उतना अधिक जीवन सफल होगा। कार्यक्रम में संगीत पार्टी ने अपने सुमधुर भजनों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच संचालन डॉक्टर चक्रेश जैन ने किया।

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