ग्वालियर दिनाँक 31/07/2022। उदभव साहित्यिक मंच ने अपनी मासिक काव्य गोष्ठी एवं सम्मान की श्रंखला को जारी रखते हुए वरिष्ठ गीतकार एवं कवि मंचों के कुशल संचालक श्री घनश्याम भारती को आज सम्मानित किया। अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष डाक्टर केशव पाण्डे ने की। अपने उद्बोधन में डॉक्टर केशव पांडे ने साहित्यिक मंच के आगामी कार्यक्रमों के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा की उद्भव साहित्यिक मंच नगर के मूर्धन्य साहित्यकारों के कार्यों को सम्मानित करने का प्रयास कर रहा है।
उक्त अवसर आयोजित गोष्ठी का शुभारंभ अथितियों द्वारा माँ सरस्वती का माल्यार्पण कर किया गया। श्री जगदीश गुप्त द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।
इसके उपरांत गोष्ठी का प्रारम्भ करते हुए सरिता चौहान ने गीत कुछ इस प्रकार पढ़ा —बादलों के झरने लगे है,देखो कैसा मौसम आया ये सुहाना |
आया, आया ये सावन महीना,लोग खुशियाँ मनाने लगे है।
श्री जगदीश गुप्त “महामना” का गीत इस प्रकार था –
रोशनी के दिये हाथों में लिए
बांटते जायेंगें हम सुरभित सुमन
सिंह वीरों की है ये पावन धरा
माँ भारती तुझे शत-शत नमन|
वरिष्ठ गीतकार डाक्टर किंकर पाल सिंह जादौन ने गीत कुछ इस तरह पढ़ा -------------मैंने कब जीवन घर सींचा।
वरिष्ठ साहित्यकार अनंगपाल सिंह भदौरिया ने पढ़ा--
सच्चे साथी तो दो ही है ,
मैं हूँ मेरी तनहाई है
न वह बोले न मैं बोलूँ
ये दोनों की अच्छाई है
वरिष्ठ एवं सुमधुर गीतकार श्री राजेश शर्मा ने पावस गोष्ठी को साकार करते हुए गीत सुनाया जब दुख की बरसात पर, पड़ी समय की धूप ,
किर्च-किर्च दर्पण हुआ , झुर्री –झुर्री रूप |
गोष्ठी का समापन वरिष्ठ गीतकार घनश्याम भारती ने कुछ इस प्रकार किया –
भावुकता से सम्मोहन का शीत युद्ध भी जारी
रूप ,प्रीत ,आंसू का लेकिन गीत सदा ही आभारी है।
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