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धमाका बड़ी खबर: करैरा अभ्यारण अब नहीं रहा अभ्यारण, समाप्त हुआ करैरा अभ्यारण

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। करैरा स्थित सोन चिरैया अभ्यारण्य यानी करैरा अभ्यारण को समाप्त कर दिया गया है। इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता और नेता एवम अभ्यारण्य समाप्त करने की लंबी लगाई लड़ने वाले सतीश फोजी ने इस बारे में कुछ दिन पहले ही जानकारी सार्वजनिक कर दी थी। जिसके बाद अब उसे मुक्त कर दिया गया हैं। तमाम विधानसभा चुनावों का प्रमुख मुद्दा आज समाप्त हो गया। इसके साथ हीइलाके के सैकड़ों किसान अब जमीन का क्रय विक्रय कर सकेंगे। बता दें की साल 1981 में स्थापित हुए इस अभ्यारण्य में कई सालो जब सोन चिरैया नहीं दिखाई दी तब इसे काले हिरण की अधिक संख्या के चलते करैरा अभ्यारण का नाम दिया गया था लेकिन यह करैरा के लोगों के लिए अभिशाप बन गया था। हर चुनाव में नेताओ को पसीने आते थे जब जनता इसे अभ्यारण्य मुक्त कराने की उनसे मांग करती थी। सीएम शिवराज, केंद्रीय मंत्री द ग्रेट ज्योतिरादित्य, मंत्री नरेंद्र तोमर, अशोक शर्मा से लेकर कई स्थानीय नेता इसके मिले परेशान होते रहे। 
सोन चिरैया अभयारण्य क्षेत्र में आने वाले 32 गांव के लोगों ने कलेक्ट्रेट पहुंच कर धरना दिया तो कभी मौके पर आंदोलन किया। अपने गांवों को सोन चिरैया अभयारण्य से मुक्त करवाने की मांग की थी। किसानों का कहना था कि हम बच्चे से जवान और जवान से बूढ़े हो गए और सैंकड़ों ग्रामीण तो भगवान को प्यारे हो गए लेकिन आज तक किसी ने वहां सोन चिरैया नहीं देखी। जब अभयारण्य में सोनचिरैया है ही नहीं तो उक्त गांवों को सोन चिरैया से मुक्त क्यों नहीं किया जा रहा। 
1995 से न कोई रजिस्ट्री, न कोई विकास कार्य
सोनचिरैया अभयारण्य के कारण करैरा क्षेत्र के उक्त 32 गंवों में वर्ष 1995 से जमीनों के क्रय-विक्रय पर रोक लगा रखी है। ऐसे में वहां न तो किसी किसान की जमीन खरीदी जा रही थी और न ही विक्रय हो रही थी। ऐसे में अगर कोई किसान बीमारी, शादी-विवाह आदि के लिए अपनी जमीन खरीदना-बेचना भी चाहे तो वह ऐसा नहीं कर सकता। इसके अलावा अभयारण्य क्षेत्र होने के कारण इन गांवों में कोई विकास कार्य भी नहीं हो पा रहे। सोनचिरैया अभयारण्य होने के कारण यहां पैट्रोल पंप तक नहीं है और ग्रामीणों को पैट्रोल जैसी चीज के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। यहां कोई रोजगार, व्यापार, फैक्ट्री तक स्थापित नहीं हो पा रही है। पीड़ित किसानों के अनुसार सोनचिरैया अभयारण्य होने के कारण वह अपनी जमीन के मालिक तो हैं लेकिन अगर वह अपनी इस जमीन पर खेती करने के लिए बैंक से लोन लेने किसान क्रेडिट कार्ड बनवाना चाहें तो वह तक नहीं बनाया जाता है। ऐसे में उनके लिए खेती मुनाफे का धंधा नहीं बन पा रहा है जबकि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री खेती को मुनाफे का व्यवसाय बनाने की बात कह रहे हैं। उनके लिए खेती आखिर कैसे मुनाफे का धंधा कैसे और कब बनेगी? किसानों का तो यहां तक कहना था कि वह इस जमीन को बैंक में गिरवीं रख कर अपने बच्चों के लिए एजुकेशन लोन तक नहीं ले सकते हैं और यह सब हो रहा है सिर्फ सोनचिरैया अभयारण्य के कारण। 32 ग्रामों की सीमा के 202.21 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले करैरा अभयारण्य में मजे की बात यह है कि इसमें अधिकतर रकबा किसानों का निजी है। राजस्व व वनभूमि बहुत कम है। इस क्षेत्र को वर्ष 1981 में सोन चिरैया नामक पक्षी के लिए आरक्षित किया गया था जो अब विलुप्त हो गया है। अफसरशाही की लापरवाही के चलते विलुप्त हुई सोनचिरैया जब कई वर्षो तक नहीं दिखी तो, पुष्टि के बाद इस क्षेत्र में बहुतायत में पाए जाने वाले काले हिरण के लिए आरक्षित कर इसका नाम सोन चिरैया अभयारण्य से बदल कर करैरा अभयारण्य कर दिया गया। श्याम मृगों के संरक्षण के नाम पर विभाग ने यहां प्रतिवर्ष लाखों का बजट भी भेजना शुरू कर दिया लेकिन विभाग के अधिकारी इन मृगों को भी संरक्षित नहीं कर सके। यही कारण रहा की हर साल इनकी संख्या में गिरावट आती गई। एक समय कृष्ण मृगों की संख्या जो हजारों में हुआ करती थी, वह आज नगण्य रह गई है लेकिन विभाग के अधिकारी इन मृगों को भी संरक्षित नहीं कर सके। यही कारण रहा की हर साल इनकी संख्या में गिरावट आती गई। एक समय कृष्ण मृगों की संख्या जो हजारों में हुआ करती थी, वह आज नगण्य रह गई है।
पढ़िए शासन का आदेश
मध्यप्रदेश राजपत्र ( असाधारण ) प्राधिकार से प्रकाशित
भोपाल, शुक्रवार, दिनांक 22 जुलाई 2022 आषाढ़ 31 शक 1944
वन विभाग
क्रमांक 3901
मंत्रालय, वल्लभ भवन, भोपाल
भोपाल, दिनांक 22 जुलाई 2022
क्र. एफ-15-52-2002- दस- 2. वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 1972 का 53) की धारा 18 की उपधारा (1) द्वारा प्रदन शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए और इस विभाग को अधिसूचना क्रमांक 15-16-75-दस-2, दिनांक 21 मई 1961 तथा अधिसूचना क्रमांक एफ-15-22-99 दस-2, दिनांक 9 अप्रैल 1999 को अतिष्ठित करते हुए राज्य सरकार, एतद्द्वारा, करैरा अभयारण्य के 202.21 वर्ग किलोमीटर अधिसूचित क्षेत्र को अभयारण्य बने रहने से प्रचिरत करती है.
2. वह अधिसूचना राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से प्रमुख होगी,
मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाम
से तथा आदेशानुसार, पदमाप्रिया बालाकृष्णन, सचिव
भोपाल, दिनांक 22 जुलाई 2022
क्र. एफ-15-52-2002- दस- 2. भारत के संविधान के अनुच्छेद 340 के खण्ड (3) के अनुसरण में, इस विभाग की अधिसूचना क्र. एफ 15-52-2002- दस- 2, दिनांक 22 जुलाई 2022 का अंग्रेजी अनुवाद राज्यपाल के प्राधिकार से एतद्द्वारा प्रकाशित किया जाता है. | मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार, पदमप्रिया बालाकृष्णन, सचिव
Bhopal, the 22 July 2022
No.F 15-52-2002-X-2. In exercise of the powers conferred by sub section (1) of Section 18 of the Wild Life (Protection) Act, 1972 (No. 53 of 1972) and in supersession of this department's Notification No. 15-16-75-X-2, dated 21st May, 1981 and No. F-15-22-99-X-2. dated 9th April, 1999, the State Government, hereby, ceases to be the notified area 202.21 Sq. km. of the Katera Sanctuary from being Sanctuary.

2. This notification shall come into force from the date of its publicaton in the official Gazette.

By order and in the name of the Governor of Madhya Pradesh. PADMAPRIYA BALAKRISHNAN, Secy

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