बता दें की 'काली' फिल्म के पोस्टर में काली मां को आपत्तिजनक ढंग से दिखाया गया है, और हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लग रहा है। इधर डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'काली' के पोस्टर मध्यप्रदेश में जेसे ही लगे हंगामा खड़ा हो गया। फिल्ममेकर लीना मणिमेकलई के खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने फिल्म डायरेक्टर से कहा की तत्काल पोस्टर से विवादित चित्र को हटाएं, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में लखनऊ उत्तरप्रदेश व दिल्ली में पहले ही फिल्म मेकर लीना मणिमेकलई के खिलाफ केस दर्ज किया जा चुका है।
विवाद भारत से विदेश तक
डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'काली' के पोस्टर पर विवाद बढ़ता जा रहा है। पोस्टर में देवी काली को सिगरेट पीते हुए और हाथ में LGBTQIA+ का सतरंगी झंडा लेते दिखाया गया है। पोस्टर सामने आने के बाद फिल्ममेकर लीना मणिमेकलई (Leena Manimekalai) के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की जा रही है. लखनऊ और दिल्ली में उन पर केस भी दर्ज कर लिया गया है। लीना पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप है।
लीना कनाडा में रहती हैं और सालों से फिल्म बना रही हैं। उनकी ये डॉक्यूमेंट्री फिल्म कनाडा में दिखाई जाएगी। लीना के मुताबिक, उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म टोरंटो में 'अंडर द टेंट' प्रोजेक्ट का हिस्सा है। लीना ने सोशल मीडिया पर 2 जुलाई को इसका पोस्टर रिलीज किया था। पोस्टर सामने विवाद बढ़ने के बाद कनाडा में भारतीय उच्च आयोग ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। भारतीय उच्च आयोग ने इस फिल्म पर रोक लगाने की मांग की है। इस पूरे विवाद पर लीना ने सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं दिखाया है। उन्होंने ये भी कहा कि जो इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें ये फिल्म देखना चाहिए।
सिर्फ सिगरेट नहीं झंडे पर भी कीजिए गौर
विवाद सिर्फ सिगरेट तक सीमित नहीं हैं। एडवोकेट संजीव बिलगइयां ने पोस्टर में LGBTQIA+ सतरंगी झंडे पर भी सवाल खड़े किए हैं और उसकी भी तह तक जाने की बात की है। उनका कहना हैं की जहां तक मुझे जानकारी हैं। LGBTQIA+यह सबसे आम झंडा है जिसे गर्व उत्सवों और अन्य LGBTQIA+ कार्यक्रमों में फहराया जाता है। 1977 में अपनी शुरुआत के बाद से यह ध्वज कई बदलावों से गुजरा है। मूल रूप से एक 8 रंग का झंडा, यह चलती प्रतीक अनुभवी, गिल्बर्ट बेकर द्वारा बनाया गया था, जब हार्वे मिल्क ने उन्हें समलैंगिक समुदाय के लिए गर्व के प्रतीक के साथ आने के लिए कहा था। मूल ध्वज जूडी गारलैंड के "ओवर द रेनबो" से प्रेरित था। एडवोकेट संजीव ने कहा की फिल्म काली मां से जुड़ी हैं इसलिए सिगरेट और यह झंडा दोनों की जांच भी जरूरी है।
फिल्हाल भारत में नहीं
डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली कनाडा के एक इवेंट में दिखाई जाएगी। भारत में अभी ये फिल्म नहीं दिखाई जाएगी। अगर भारत में इस फिल्म को ओटीटी, सोशल मीडिया या यूट्यूब पर रिलीज किया जाता है, तो इसके लिए सेंसर बोर्ड की मंजूरी नहीं लेनी होगी, क्योंकि ऐसा कानून नहीं है। हालांकि, अगर इस फिल्म को बड़े पर्दे पर रिलीज किया जाता है, तो फिर सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट लेना जरूरी है। सेंसर बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक, एक फिल्म को सर्टिफिकेट हासिल करने में कम से कम 68 दिन का समय लगता है। सेंसर बोर्ड फिल्म को देखकर पास करता है। अगर जरूरी होता है तो फिल्म से कुछ सीन हटाए भी जाते हैं, कोई अभद्र भाषा है तो उसे म्यूट किया जाता है या और दूसरी काट-छांट की जाती है। इसके बाद फिल्म को सर्टिफिकेट मिलता है।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें