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31 अगस्त बुधवार को गणपति की पूजा कब और किस विधि से करें, जानिए, बन रहा दुर्लभ संयोग

मंगलवार, 30 अगस्त 2022

/ by Vipin Shukla Mama
दिल्ली। देश में इस साल गणेश चतुर्थी पर एक ऐसा दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है, जैसा भगवान गणेश के जन्मोत्सव के समय बना था। ऐसा संयोग 10 साल पहले बना था। शास्त्र के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दिन के समय हुआ था। उस दिन बुधवार था। इस साल भी कुछ ऐसा ही संयोग बन रहा है। 31 अगस्त से 9 सितंबर 2022 तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और स्वाति नक्षत्र में दोपहर के समय भगवान गणपति का जन्म हुआ था। इस कारण से हर वर्ष गणेश जन्मोत्सव का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार गणपति का आगमन बुधवार को हो रहा है। कोरोना संक्रमण काल के चलते दो वर्ष से गणपति उत्सवों के पांडाल सूने-सूने रहे, लेकिन इस बार भक्तों में भारी उल्लास देखा जा रहा है।
दोपहर को पूजा करना शुभ
गणपति का जन्म दोपहर के समय हुआ था, इसलिए 31 अगस्त 2022 को गणेश चतुर्थी की पूजा इसी समय करना अत्यंत ही शुभ और फलदायी होगा। पंचांंग के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा के लिए प्रात:काल 11:05 से दोपहर 01:38 बजे के बीच सबसे उत्तम योग बन रहा है। अत: गणपति के भक्तों को उनकी इसी समय विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। 
कैसे करें गणेश चतुर्थी की पूजा
गणेश चतुर्थी के दिन अपने आराध्य देव गणपति की पूजा करने के लिए सबसे पहले तन और मन से पवित्र हो जाएं. इसके बाद पान के पत्ते पर पुष्प, अक्षत, सुपाड़ी और एक सिक्का रखकर गणपति का ध्यान करें और उन्हें अपने घर में पधारने के लिए मन ही मन में प्रार्थना करें. इसके बाद विधि-विधान से गणेश चतुर्थी के व्रत को करने का संकल्प करें.
गणपति को लाल रंग बहुत प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा लाल रंग के वस्त्र पहनकर करें और पूजा के लिए आसन और पुष्प भी लाल रंग का प्रयोग करें. गणपति की मूर्ति अपने घर के ईशान कोण यानि पूर्वोत्तर दिशा में इस तरह से रखें कि उनकी पीठ न दिखाई पड़े.
गणपति की मूर्ति को पंचामृत और गंगाजल आदि से स्नान कराने के बाद स्वच्छ कपड़े से पोंछ कर चौकी पर बिछे लाल रंग के कपड़े के उपर रखें. गणपति के दाएं और बाएं उनकी पत्नी ऋद्धि-सिद्धि के प्रतीक रूप में दो सुपाड़ी का मौली से लपेटकर रखें.
इसके बाद गणपति की मूर्ति को सिंदूर अर्पित करने के बाद लाल पुष्प, लाल चंदन, जनेउ, लाल फल, नारियल, पंचमेवा और मोदक अर्पित करें. इसके बाद गणपति को पान, सुपारी, इलायची, लौंग अर्पित करें.
गणपति को इन सभी चीजों को अर्पित करने के बाद उनके मंत्र या फिर गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ और उसके बाद गणेश जी की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें एवं स्वयं भी ग्रहण करें.
जपें गणपति का महामंत्र
सनातन परंपरा में किसी भी देवी या देवता की पूजा में मंत्रों का जप शीघ्र ही शुभ फल दिलाने वाला माना गया है. ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश जी का आशीर्वाद पाने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का श्रद्धा और विश्वास के साथ जपें —
वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।।
श्री गणेशजी की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी,
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया,
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥








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