मजरूह सुल्तानपुरी का ये शेर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह पर आज पूरी तरह सटीक बैठता हैं। जिले में अकेले आए तो मगर आज उनके पीछे कारवां नजर आता है, दरअसल जिले के कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने गुरुवार को जिले में दो साल पूरे कर लिए और तीसरी पारी आरंभ हो गई है। ज्वाइनिंग के साथ सप्रेम भेंट मिली चुनौतियों से उलझते, सुलझते कलेक्टर अक्षय ने अपने कार्यकाल में वो मिसाल पेश की हैं जो शायद ही कोई दूसरा कर सकेगा। उन्हें आते ही korona की दूसरी लहर का सामना करना पड़ा। जाहिर सी बात हैं जब दुनिया के नामी गिरामी डॉक्टरों को korona के बारे में जानकारी नहीं थी तो कलेक्टर अक्षय जानते भी तो कैसे लेकिन सूबे के सरदार होने के चलते उन्हें लोगों की जिंदगी बचानी ही थी। ऐसे में उनके लिए वरदान बने एसपी राजेश सिंह चंदेल यानी एक और बेहतरीन अधिकारी जिनके कंधों पर पुलिस के स्टार और शरीर पर वर्दी हैं लेकिन इससे कहीं दूर मिस्टर कूल रहकर बड़े से बड़े मसले चुटकी बजाकर हल करने वाले, बस फिर क्या था। कलेक्टर अक्षय सिंह जिले के उन सभी माइल स्टोन को पहचान गए जिनके सहारे सफर करना होता हैं। मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे से लेकर सभी के दिलों को जीतते हुए कलेक्टर अक्षय सिंह ने korona के अल्प इंतजामों के बीच जमकर दो दो हाथ किए। अस्पताल की दुर्गम हालत में सुधार के लिए कठोर निर्णय लिए और जिला टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर संजय ऋषिश्वर सहित अन्य डॉक्टरों पर भरोसा जताया। मेडिकल कॉलेज की शुरुआत विषम हालात में करवाई और जब उसकी प्रतिष्ठा लगातार मौत से खतरे में आई तो सामाजिक संगठनों के साथ टीम खड़ी की। ऑक्सीजन प्लांट, सिलेंडर, पलंग, दवाएं उपलब्ध करवाते हुए लोगों का इलाज करवाया तो दूसरी तरफ कलेक्टर, एसपी दोनों के गठजोड़ से लोगों को घर बैठे सब्जी, किराना उपलब्ध होता रहा। बड़ी बात ये थी कि लोगों पर पैसे तो थे लेकिन बाजारों में korona का पहरा था। खैर कई जान इन प्रयासों से बच सकीं और korona से जंग जीत ली गईं।
अब तक जिले को समझ चुके कलेक्टर अक्षय लोगों को जोड़ते, समझते आगे बढ़ते रहे। इसी दौरान जिले के करैरा की देश भर में ख्यात काजू यानी मूंगफली की पहचान की। तो दूसरी तरफ बदरवास की करोड़ों रुपयों के कारोबार वाली मोदी जैकिट को भी परखा। बाद में भोपाल, दिल्ली तक मूंगफली और जैकिट को मेलों के माध्यम से प्रचारित होने का अवसर मिला।
एक और बात कलेक्टर अक्षय को खास बनाती हैं वो हैं उनकी सौम्य, सरल कार्यशेली, जब तक कोई बड़े नुकसान या कर्तव्य पथ पर कोई बड़ी हानी का जोखिम न हों उनकी सोच रहती हैं किसी को नुकसान न हो। हालाकि जब जब उन्हें लोगों ने हल्के में लेने की कोशिश की वे कठोर कारवाई मुस्कराकर करते नजर आए हैं। फिलहाल कलेक्टर अक्षय सिंह जिले को पर्यटन के मानचित्र पर उकेरने की कोशिश में लगे हुए हैं। मानसून उनके इरादों पर भारी पड़ा जब नगर में बाढ़ आई तो जिले की नदियों ने कुलांचे भरकर उन्हे डराया जिसके नतीजे में लोगों को कोई हानी न हो उन्होंने धारा 144 लागू की। खैर जिले को अब पर्यटन ही उबार सकता हैं ऐसे में अभी तीसरी पारी कलेक्टर अक्षय के लिए खास मायने रखती हैं। उनसे जिले के हजारों लोग आज जुड़ चुके हैं। काम की अत्याधिक भागदौड़ के बावजूद तनाव रहित रहकर लोगों के फोन उठाना, कॉल बैक करना, सहजता से बात को सुनना फिर उस दिशा में प्रयास करना उनकी शैली में शामिल है। धमाका संपादक विपिन शुक्ला और हमारी टीम के साथ हजारों धमाका पाठकों की तरफ से कलेक्टर अक्षय सिंह को दिलो जान से बधाई।

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