
धमाका बड़ी खबर: मिशन नपाध्यक्ष शिवपुरी, पहले रुस्तम ने ली वन टू वन पार्षदों की क्लास, फिर मंत्री श्रीमंत सिंधिया ले रहीं क्लास, मौके पर रामजी सरोज व्यास, दीप्ति भानु दुबे भी मौजूद
शिवपुरी। मिशन नगर पालिका शिवपुरी अध्यक्ष, को लेकर भारतीय जनता पार्टी भारी मशक्कत में जुटी हुई है। किसी भी तरह निर्विरोध उपाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर मीटिंग पर मीटिंग का दौर चल रहा है। पार्षदों की मान मनोबल करने का क्रम चल रहा है। प्रदेश सरकार ने बतौर पर्यवेक्षक पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह को शिवपुरी भेजा था। उन्होंने टूरिस्ट विलेज में शिवपुरी के भाजपा पार्षदों से वन टू वन बंद कमरे में चर्चा की। पार्षदों की क्लास डेढ़ घंटे से ज्यादा तक चली। अलग-अलग रायशुमारी में पार्षदों ने क्या कहा, इसे लेकर रुस्तम सिंह ने साफ कहा कि वे संगठन को जाकर इस बात की जानकारी देंगे जिसके बाद 3 अगस्त को होने वाले नपं अध्यक्ष के चुनाव की जो भी अंतिम तैयारी होगी पूरी कर ली जाएगी। इस मौके पर मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया भी मौजूद थीं। उन्होंने भी मंत्री रुस्तम सिंह से मुलाकात की। बाद में देर रात मंत्री श्रीमंत सिंधिया ने भाजपा के पार्षदों को दोबारा से तलब किया और भाजपा पार्षदो से अलग-अलग मुलाकात की। बता दें कि टूरिस्ट विलेज से लेकर देर रात तक चली बैठकों में जहां दीप्ति भानु दुबे मौजूद रहे तो वही दूसरी तरफ नप अध्यक्ष के लिए चर्चा में बने हुए राम जी सरोज व्यास भी मौजूद हैं। टूरिस्ट विलेज पर भानु दुबे और राम जी व्यास के बीच बातचीत भी हुई। एक दूसरे के गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश की जाती रही। इस बातचीत को देखने के बाद सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा निर्विरोध जिलाध्यक्ष बना लेगी लेकिन इसे राजनीति कहते हैं जिसकी अग्निपरीक्षा होना अभी बाकी है। इधर मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया डैमेज कंट्रोल के लिए नगर में रहकर बैठकें ले रही हैं। देर रात तक जारी इस पाठशाला में भाजपा के सीनियर नेता ओमप्रकाश जैन भी मौजूद हैं। जो उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ने की तैयारी में है। भाजपा ने यदि मैंडेट नहीं भी दिया तो सूत्रों का कहना है कि वह उपाध्यक्ष के लिए दावेदारी ठोकेंगे। इधर अब तक अध्यक्ष के लिए सिर्फ बातों के घोड़े दोडाए जा रहे हैं। एक दूसरे के पास पर्याप्त पार्षद होने के दावे किए जा रहे हैं। पेटी की पेटी दांव पर लगाने की बातें हो रही हैं लेकिन हकीकत क्या है यह अगले 48 घंटे में सामने आ जाएगी। देखना होगा कि राजनीति के चाणक्य और सभी को मनाने में माहिर होने से लेकर दमखम के निर्णय लेने में माहिर मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया की रणनीति किस हद तक सफल होती है।

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