शिवपुरी । अक्षय ऊर्जा दिवस हर साल 20 अगस्त को भारत में अक्षय ऊर्जा के विकास और अपनाने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। अक्षय ऊर्जा दिवस की शुरुआत 2004 में भारतीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्रालय द्वारा की गई थी। ये कहना था शक्ति शाली महिला संगठन के रवि गोयल का जो की अक्षय दिवस पर संस्था द्वारा शिवपुरी ब्लॉक के पांच गांव बूढ़ी बरोड़, सुरवाया, मजहेरा, नीम डांडा , अमरखोया गांव में किशोर किशोरी एवम महिलाओं को जागरूक करके मनाया । उन्होने बताया की संस्था के करन, पूजा, साहब सिंह, धर्म एवम ववीता ने इन गांव में जाकर समुदाय को बायोगैस, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा जैसी ऊर्जा अक्षय ऊर्जा के कुछ उदाहरण हैं। अक्षय ऊर्जा दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है कि उन्हें पारंपरिक ऊर्जा के अलावा अक्षय ऊर्जा (अक्षय ऊर्जा) के बारे में भी सोचना है। बबिता कुर्मी ने कहा की
अक्षय ऊर्जा विकास कार्यक्रमों का समर्थन करने और ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों के बजाय इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 2004 में भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस की स्थापना की गई थी। अक्षय ऊर्जा दिवस से संबंधित पहला कार्यक्रम नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। 2004 में, प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने एक स्मारक डाक टिकट जारी किया, और 12,000 स्कूली बच्चों ने अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक मानव श्रृंखला बनाई।करण लक्ष्याकार ने कहा की 20 अगस्त को पालन की तारीख होने के लिए यादृच्छिक रूप से नहीं चुना गया था। इस दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती है। इसीलिए इस दिन को अक्षय ऊर्जा दिवस के रूप में मनाते है इसके साथ बिजली की बचत के बारे में भी समुदाय को एक शपथ दिलाई एवम जागरुक किया। प्रोग्राम में इन गांव की आशा कार्यकर्ता, आगनवाड़ी एवम समुदाय की महिलाओ के साथ साथ शक्ति शाली महिला संगठन की टीम।का पूर्ण सहयोग रहा।

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