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धमाका खास खबर: अपने ही घर में चली विरोध की जोरदार आंधी ने रोकी श्रीमंत के दाएं अंग दीप्ति भानु की ताजपोशी, चुनना पड़ा बायां अंग गायत्री शर्मा, साम, दाम, दंड, भेद के बीच चुने गए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष

बुधवार, 3 अगस्त 2022

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। बेशक नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया की उतनी ही करीबी हैं जितने भानु दुबे लेकिन आरंभ से दीप्ति भानु दुबे को नपाध्यक्ष बनाने की रणनीति में जब 22 पार्षदों का भाजपा के पास गठजोड़ होते हुए भी अपने ही घर में भानु के नाम पर विरोध की जोरदार आंधी चली तो इस आंधी ने नपाध्यक्ष पद पर दीप्ति भानु दुबे की ताजपोशी रोक दी। 
इधर मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया जो जिद की पक्की हैं, और जो ठान लेती हैं उसे दिल और दिमाग से पूरा करके रहती हैं, तो उन्होंने विरोध की तेज आंधी चलने के बावजूद दीप्ति भानु के लिए रास्ता बनाने का प्रयास किया। करीब तीन दिन तक लगातार बैठकों के माध्यम से उन्होंने पार्षदों की नब्ज टटोली लेकिन अलग अलग सुर की सरिता भानु के जटिल विरोध में बहती रही। भोपाल से आए
पर्यवेक्षक पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह ने जब टूरिस्ट विलेज में वन टू वन पार्षदों से बातचीत की तो आलम यह हुआ की तीन से चार महिला पार्षदों ने अध्यक्ष बनने की मंशा दर्शा दी। यह अहम पड़ाव था और इस बात की घंटी भी बजी की भानु के लिए अध्यक्ष बनना सरल नहीं है। आखिर श्रीमंत ने एक बार फिर सभी से बात की और जब सभी स्वर अलग अलग दिखाई दिए और भाजपा से ही पार्षद सरोज रामजी व्यास के समर्थन में अधिक राय नजर आई तो फिर बातचीत का दौर होटल, सर्किट हाउस से लेकर रामजी व्यास के घर देर रात तक चलता रहा लेकिन जब सरोज का अध्यक्ष दावा पुरजोर दिखा तो सीएम शिवराज सिंह और पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा को दखल देना पड़ा। बताया जा रहा है की सीएम शिवराज ने बिना चुनाव करवाए निर्विरोध अध्यक्ष, उपाध्यक्ष चयन की जिमेदारी श्रीमंत को दी। तब जाकर कत्ल की रात यानी आज चयन दिवस की पूर्व रात्रि, अंतिम रणनीति पर मुहर लगी। जिसमें श्रीमंत के दाएं अंग दीप्ति भानु की ताजपोशी को टालना पड़ा और श्रीमंत को अपना बायां अंग गायत्री शर्मा को नपाध्यक्ष बनाना पड़ा। राजनीति के जानकार भले ही इस चुनाव को श्रीमंत वर्सिस मंत्री नरेद्र तोमर खेमों का नाम देंगे लेकिन पूरी तरह इस बात को प्रमाणित करने वाले हालातों के बीच श्रीमंत की सधी हुई पारी या कहें रणनीति सफल हुई और उनके मन का अध्यक्ष गायत्री शर्मा के रूप में बना है, जबकि उपाध्यक्ष पर सरोज रामजी व्यास काबिज हुई हैं। इस तरह भाजपा ने निर्विरोध अध्यक्ष उपाध्यक्ष चुन लिए हैं। तो वहीं विरोधियों को मुंह की खानी पड़ी हैं।
साम, दाम, दंड, भेद के बीच चुने गए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष
नपाध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चयन के दौरान साम, दाम, दंड, भेद के नजारे देखने को मिले। एक दूसरे की फील्डिंग और बोलिंग टाइट नजर आई। दाम का असर ऐसा दिखाई दिया की दीप्ति भानु दुबे के दावे से अधिक पार्षद सरोज रामजी व्यास के पास होने की खबरें सामने आईं। उन्होंने भाजपा के साथ कांग्रेस, निर्दलीय पार्षदों तक को अपने पक्ष में कर लिया था यह भी कहा जाता रहा। 
टिकिट वितरण के समय से आए भानु टारगेट पर ! 
भानु दुबे के नपाध्यक्ष न बनने का लोगों को उतना ही मलाल है जितना रामजी व्यास के अध्यक्ष न बनने पर, लेकिन भानु को आखिर इस कदर विरोध का सामना क्यों करना पड़ा ? क्या वजह रही की पहले दिन से दूल्हा बने भानु को बारात की तैयारी हो जाने पर घोड़ी पर नहीं बैठाया जा सका ? इसे लेकर हमने आज कुछ मंथन किया तो रुझान सामने आया की टिकिट वंटन के दौरान ही लोगों ने सारी बात का जिम्मेदार भानु को मान लिया था। लोगों का यह भी दावा है की जिनके टिकिट कटे या नहीं मिले अथवा किसी प्रत्याशी के सामने किसी कद्दावर ने निर्दलीय ताल ठोकी तो उस सबके पीछे भानु की ही मंशा रही। इसके अलावा कुछ अन्य वजह भी बताई जा रही हैं। लेकिन इन बातों और दावों में सच्चाई कितनी है, यह वक्त बताएगा जब राजनीति के जानकार समीक्ष करेंगे।
अंतिम छोर के व्यक्ति को मुख्यधारा से जोड़ने का काम
 फिलहाल भाजपा और मंत्री श्रीमंत यशोधराराजे सिंधिया ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय मंशानुरूप अंतिम छोर के व्यक्ति को मुख्यधारा से जोड़ने का काम गायत्री शर्मा को अध्यक्ष बनाकर किया है। 
संघर्षशील रहीं हैं गायत्री शर्मा
नवीन अध्यक्ष गायत्री शर्मा जिन्हे लोग दीदी कहकर बुलाते हैं। उन्होंने आज विजय के साथ ही कहा की महाराज उनकी भगवान हैं, उनके लिए पूरा जीवन समर्पित है। एक कार्यकर्ता बनकर आगे भी महाराज के साथ शिवपुरी के विकास के लिए काम करूंगी। महिलाओं, गरीबों के हक के लिए लडूंगी। 
बता दें की गायत्री शर्मा का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। उन्होंने करीब से गरीबी और संघर्ष को देखा है, लोगों की मदद के लिए तैयार रही हैं।
एक समय तत्कालीन कलेक्टर शैलेश पाठक आदि अफसरों से तब टकरा गई थीं जब उनके परिवार के साथ गलत व्यवहार हुआ था। बाद में मामला कोर्ट तक गया और उन्हें न्याय मिला था। यह कामयाबी उन्हें मीडिया के मुखर सहयोग से मिली थी।
नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा एवम उपाध्यक्ष सरोज व्यास जी को आज मिली ताजपोशी के लिए धमाका संपादक विपिन शुक्ला की तरफ से बधाई। 









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