शिवपुरी। शहर के समीपस्थ ग्राम चंदनपुरा में चल रही श्रीराम कथा के दौरान आचार्य बृजभूषण महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम ने कभी भी ऊंच और नीच का भेद नहीं माना और समस्त मान उनकी संतान हैं इसलिए भगवान श्रीराम ने कभी भी किसी को छोटा या बड़ा नहीं माना। भगवान श्री राम जिस समय वन में गए तो निषादराज को उन्होंने गले से लगाया केवट से भगवा जाकर गले मिले एवं शबरी माता के जूठे बेर स्वयं भगवान ने खाए। भगवान श्रीराम ने सिद्ध किया की जो वर्ण व्यवस्था है उसका उद्देश्य अलग है इसलिए सबको एक मानना चाहिए। आचार्य जी ने बताया कि श्री राम कथा हमको जीवन जीना सिखाती हैं एवं सही मार्ग पर चलना सिखाती है आचार्य ने कथा के प्रसंग में माता कैकई ने जिस प्रकार भगवान राम को वनवास दिया एवं भगवान श्री राम ने 14 बरस तक बन जाने का बड़ा फैसला लिया इसके बारे में विस्तार से बताया और कहा कि भगवान श्री राम जब वनवास के लिए गए तो समस्त अयोध्यावासी दुखी हो गए एवं भगवान श्री राम के संग जाने लगे भगवान श्रीराम ने समस्त अयोध्या वासियों को तमसा नदी के तीर पर सोते हुए छोड़ गए और भगवान रात्रि में निकल गए भगवान राम ने भरत जी को समझाया और कहा कि भरत अब आपके लिए ही 14 बरस तक अयोध्या का राज संभालना है क्योंकि बिना राजा के प्रजा बिगड़ जाती है सिंहासन पर राजा का होना बहुत आवश्यक है भरत जी भगवान के चरण पादुका लेकर के अयोध्या जिस प्रकार आए आचार्य ने बहुत सुंदर तरीके से श्रवण करवाया यह आयोजन 30 अगस्त तक किया जाएगा। धाकड परिवार चंदनपुरा एवं डोंगर वाले इस कार्यक्रम को आयोजित करवा रहे हैं।

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