शिवपुरी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला शिवपुरी द्वारा पूर्व जिला शिक्षाधिकारी व रसायन शास्त्र के पूर्व प्राध्यापक विद्वान डॉ चंद्रशेखर गोस्वामी की कृतियों चिंतन,चंद्रकिरण,कोरोना केंसर रोधी औषधियां का विमोचन व समीक्षा कार्यक्रम स्थानीय त्रिवेणी वाटिका महल रोड पर आयोजित किया।
सर्वप्रथम ज्ञान की देवी माँ सरस्वती व भारत माता के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्वलन चंद्रशेखर गोस्वामी के साथ अतिथि पुरुषोत्तम गौतम,जे पी शर्मा,डॉ एच पी जैन,प्रमोद भार्गव,पद्मा शर्मा ग्वालियर,धैर्यवर्धन शर्मा,प्रदीप अवस्थी ने किया,अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांत महामंत्री आशुतोष शर्मा के संचालन में तत्पश्चात चंद्रशेखर गोस्वामी ने भूमिका रखते हुए कहा कि चूंकि चिंतन व चंद्रकिरण मेरी दोनो पुस्तको की भूमिका व तैयारी शिवपुरी में ही हुई,शिवपुरी से मेरा नाता पारिवारिक और सामाजिक अत्यंत निकट का रहा है अतः शिवपुरी में ही साहित्य परिषद के माध्यम से विमोचन व समीक्षा कार्यक्रम तय किया है।
ग्वालियर महारानी लक्ष्मी बाई महाविधालय की हिंदी प्राध्यापिका कहानीकार पद्मा शर्मा ने सबसे पहले चिंतन की समीक्षा रखते हुए कहा कि चंद्रशेखर गोस्वामी ने लंबा समय उच्च शिक्षा विभाग में अध्यापन कराते हुए और कुछ समय शिक्षा विभाग में प्रशासनिक कार्य संभालते हुए व्यतीत किया है।अतएव उनके पास अनुभवों का पिटारा तो है ही,उनके चिंतन नामक कथा संग्रह में संकलित कहानियों का विषयजन्य फलक आधुनिक होने के साथ विस्तृत है।शासकीय सेवा में रहते हुए ऐसी कहानियां नही लिखी जा सकती,क्योंकि वे नीतियों पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।समाज को दिशा देने का प्रयत्न इन कहानियों के माध्यम से हुआ है।
वरिष्ठ शिक्षाविद पुरुषोत्तम गौतम ने चन्द्र किरण कविता संग्रह पर समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि मनुष्य में सृजन या रचना धर्मिता के बीज जन्मजात होते है।अतएव वह रसायन पढ़े या गणित सृजन अवचेतन में निर्लिप्त रहता है।चंद्रशेखर गोस्वामी के काव्य संग्रह से स्पष्ट प्रतीत होता है जहां भी सामाजिक असंगति से साक्षात्कार करता है,अंकुरण की बेचैनी बढ़ जाती है।जीवन के यथार्थ को प्रकट उनका काव्य संग्रह करता है।
नेत्र चिकित्सक व वरिष्ठ कवि डॉ एच पी जैन ने कोरोना व केंसर रोधी औषधियों पर समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि क्या खाना चाहिए कब खाना चाहिए और क्या क्या परहेज करते हुए अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हुए बीमारियों से सामना करने में सफलता प्राप्त करना चाहिए इस पुस्तक के मूल में है।गोस्वामी ने बेहद उम्दा तरीके से भारतीय औषधियों का वर्णन करते हुए निरोगी काया प्राप्त करने का खजाना इस पुस्तक से दिया है।
वरिष्ठ लेखक चिंतक व विचारक प्रमोद भार्गव ने तीनों पुस्तको का सारांश रखते हुए बताया कि गोस्वामी स्वयम अदभुत प्रतिभा के धनी है,शासकीय सेवा में रहते हुए भी उनने अपनी कला और क्षमताओं को कम नही होने दिया बल्कि उनमें निखार ही लाये है,उनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ अभिभाषक जे पी शर्मा ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए सभी को शुभाशीष प्रदान किया।
इस अवसर पर शिवपुरी के युवा साहित्यकार प्रदीप अवस्थी ,विकास शुक्ल प्रचंड को उनकी आने वाली कृतियो के लिए भी सम्मानित किया गया,व वरिष्ठ कवि घनश्याम योगी करेरा को भी सम्मानित किया गया।

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