बाल कल्याण समिति और किशोर न्याय बोर्ड संरक्षण और जरूरतमंद बालकों पर संरक्षण की विधिक छत के दो मुख्य आधार स्तंभ है।दोनों में समन्वय ही बालकों के हित में कानूनों के क्रियान्वयन को परिणामोन्मुखी बना सकता है। एक भी स्तंभ की कर्तव्य न्यूनता इस छत को गिराने के लिए पर्याप्त है। यह बात आज चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 110 वी ई संगोष्ठी सह कार्यशाला को संबोधित करते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की उपसचिव श्रीमती स्वपनश्री सिंह ने कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों निकायों पर देश के भविष्य को स्वर्णिम एवं सुरक्षित बनाने का गुरुतर दायित्व है।
श्रीमती सिंह ने कहा कि विधि विरुद्ध बालकों और संरक्षण योग्य बालकों की बुनियादी समस्याओं में बहुत अंतर नही है।पारिवारिक परिस्थिति दोनों को बचपन के नैसर्गिक विकास से अवरुद्ध करती हैं इसलिए जुबेनाइल बोर्ड के सामने आने वाले बालकों को भी संरक्षण एवं जरूरतमंद के नजरिये से देखा जाना चाहिए। इसके लिए सीडब्ल्यूसी एवं जेजेबी में आपसी समन्वय अत्यधिक आवश्यक है। सुश्री सिंह के अनुसार जेजेबी में आने वाले 60 फीसदी बालक सीएनसीपी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जेजेबी में सामाजिक पृष्टभूमि के सदस्यों को रखे जाने का आशय यही है कि वे अपने सामाजिक सरोकारों के बल पर कानून से अधिक सकारात्मक संभावनाओं को समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के साथ दायित्ववान सामाजिक कार्यकर्ताओं को 24 घंटे अपनी प्रतिबद्धता को प्राथमिकता पर रखकर काम करना चाहिए। क्योंकि कानून में उनकी मौजूदगी इसी सामाजिक चेतना को सुधारात्मक प्रक्रिया का हिस्सा बनाने के लिए की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधान न्यायाधीश एवं सदस्यों के मध्य बेहतर समन्वय से ही समाज में वांछित परिणाम संभव है, इसलिए सभी का यह दायित्व है की निजी अहंकार को छोड़कर सम्मिलित रूप से देश के भविष्य का भविष्य संवारने और सुधारने के लिए कृत संकल्पित होकर काम किया जाए। उन्होंने स्वीकार किया कि किशोर न्याय अधिनियम अभी भी विकास के दौर से गुजर रहा है और समय के साथ इसमें व्यवहारिक और कानूनी दृष्टि से आवश्यक संशोधन जोड़े जा रहे हैं। सुश्री सिंह ने स्पष्ट कहा कि बाल कल्याण समितियों एवं किशोर न्याय बोर्ड में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता पद और मानदेय के लिए निर्णयन प्रक्रिया से नहीं जोड़े गए हैं, बल्कि वह समाज की सकारात्मक भागीदारी का प्रतीक भी हैं। फाउंडेशन की इस कार्यशाला में रीवा जिले के बालकों के साथ भी सुश्री सिंह ने वर्चुअल माध्यम से संवाद स्थापित किया। इस अवसर पर रीवा बाल कल्याण समिति से श्रीमती ममता नरेंद्र सिंह ने बच्चों से जुड़े विविध पहलुओं को साला साउप सचिव के समक्ष उठाया। कार्यशाला में देशभर से जुड़े बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने अपनी व्यवहारिक समस्याओं का समाधान प्राप्त किया। कार्यशाला का संचालन फाउंडेशन के सचिव डॉक्टर कृपाशंकर चौबे ने किया।

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