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धमाका साहित्य कॉर्नर: सभ्यता, संस्कृति और सिद्धांत का पाठ पढ़ाता है साहित्य : सिंधिया

रविवार, 28 अगस्त 2022

/ by Vipin Shukla Mama
उद्भव ग्वालियर अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव के दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री द ग्रेट श्रीमंत ज्योतिरादित्य ने बढ़ाया साहित्यकारों का मान 
ग्वालियर। इस ब्रह्मांड में कोई चीज व्यक्ति का अध्यात्म से जुड़ाव कर सकती है तो वह है साहित्य। साहित्य से संस्कृति जुड़ी हुई है। वह हमें इसका अहसास कराती है। क्योंकि साहित्य हमें संस्कृति, सभ्यता, मूल्य और सिद्धांत का पाठ पढ़ाता है। साहित्य से जीवन की गइराई मिलती है। भारत के अध्यात्म में शक्ति है साहित्य इसे दर्शाता है। 
केंद्रीय नागर विमानन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑॅॅफ टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट (आईआईटीटीएम) संस्थान में उद्भव सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्था, अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं सेंट्रल अकेडमी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे हैं चार दिवसीय उद्भव ग्वालियर अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव के दूसरे दिन रविवार को मुख्य अतिथि की हैसियत से साहित्यकारों के सम्मान में यह बात कही। 
कार्यक्रम में जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, इंग्लैंड की साहित्यकार डॉ. परीन सोमानी, साहित्य परिषद के अध्यक्ष श्रीधर पराडकर एवं आईआईटीटीएम के डायरेक्टर डॉ. अलोक शर्मा विशिष्ट अतिथि थे 
श्री सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर में साहित्य का पुराना अध्याय रहा है। मेरे दिल में भारतीय साहित्य के प्रति सदैव एक लगाव और कशिश रही। डॉ. केशव पाण्डेय ने इस पुनीत कार्य को कर मेरी संकल्पना को पूरा कर दिया। क्योंकि साहित्य का क्या महत्व होता है? वह भी गालव की तपोभूमि और सिंधिया परिवार द्वारा स्थापित की गई राजधानी में, मेरे पूर्वजों ने करीब 300 साल पहले स्थानीय भाषा में रामायण की रचना कराई थी, इस बात से इसे समझा जा सकता है। 
उन्होंने कहा कि ग्वालियर में साहित्य का भरपूर खजाना है लेकिन वह कहींं अतीत में समा गया है। आज उस खजाने को खोजने व संवारने के साथ ही वर्तमान और भविष्य के लिए इसे बेहतर बनाने का कार्य उद्भव कर रही है। 
 इससे पूर्व  स्कूल के प्राचार्य अविन्द सिंह जादौन ने स्वागत भाषण दिया। उदभव संस्था के अध्यक्ष डॉ. केशव पाण्डेय ने अध्यक्षीय उदबोधन एवं सचिव दीपक तोमर ने  साहित्य उत्सव की रूपरेखा व सचिविय प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। संचालन मिताली तोमर एवं बृजकिशोर दीक्षित ने जबकि आभार व्यक्त सेंट्रल स्कूल अकेडमी के डायरेक्टर विनय झालानी ने किया। इस दौरान स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। अतिथियों को सम्मानित कर उन्हें स्मृति चिंह भेंट किए गए। । इस दौरान सुरेंद्र सिंह कुशवाह, अरविंद सिह जादौन, मनोज अग्रवाल, शरद सारस्वत, सुरेश वर्मा, राजेंद्र मुदगल एवं अमर सिंह परिहार ने अतिथियों का स्वागत किया। योद्धाओं, कला, संस्कृति की भूमि है ग्वालियर
विशिष्ट अतिथि श्री सिलावट ने कहा कि ग्वालियर योद्धाओं, कला, संस्कृति, विकास और प्रगति की भूमि है। इसके विकास का जो संकल्प माधव राव सिंधिया ने लिया था, कला, संस्कृति का विकास शनैः-शनैः पूरा हो रहा है। साहित्य उत्सव के जरिए इस संकल्प को पूरा किया जाएगा। हमारे परिवार के मुखिया ज्योतीरादित्य सिंधिया को ईश्वर ने असीम शक्ति प्रदान की है। वे अपनी शक्ति का सदुपयोग शहर, प्रदेश व देश के विकास में कर रहे हैं। साहित्य उत्सव से निकलने वाला अमृत ग्वालियर को नया सकंल्प देगा। 
विकास की राह पर ग्वालियर
विशिष्ट अतिथि प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि ग्वालियर की इस पवित्र माटी में हमने जन्म लिया है यह हम सब का सौभाग्य है। ग्वालियर की कला संस्कृति और सभ्यता के साथ ही विकास की परंपरा सिंधिया परिवार की देन है। माधव राव सिंधिया का सपना हुआ करता था कि स्वच्छ और सुंदर हो ग्वालियर अपना। आज यह नारा साकार हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा, उत्तम दर्जे का रेलवे स्टेशन, एलीवेटेड रोड और सिक्स लेन सुपर हाईवे का निर्माण जो होने जा रहा है। 
शब्द में संस्कृति का जुड़ाव 
साहित्य परिषद के श्रीधर पराडकर ने कहा कि साहित्य ऐसी विद्या है मानव को नर से नारायण बनने की प्रेरणा देती है। प्रत्येक मानव के जीवन में दर्शन की आवश्यकता होती है, समृद्ध साहित्य इसे पूरा करता है। शब्द बोलने के लिए ही नहीं होते हैं, शब्द के साथ इतिहास, भूगोल व संस्कृति का जुड़ाव होता है। यह शब्द संस्कृति और सभ्यता के प्रति सम्मान दर्शाते हैं। शब्दों के उपयोग का ध्यान नहीं रखेंगे तो उनकी गरिमा नहीं रहेगी। साहित्यकारों को चाहिए कि वर्तमान हालातों को दृष्टिगत रखते हुए युवाओं के अनुरूप साहित्य का सृजन करें।
प्रथम सत्र--- 
भारतीय साहित्य परंपरा विषय पर रहा
नारी शक्ति से सम्मानित साहित्य की दिशा है। साहित्य की दशा शांत रहना है। अब सवाल उठता है कि क्या लिंखें?  यह जानना बड़ा मुश्किल है कि किसको क्या पसंद है? ऐसे में युवाओं के साहित्य की बात की जाती है तो वह समाज को दिशा और युवाओं की दशा बदलने वाला हो ।
 *डॉ. नीरजा माधव* 
----- साहित्य सदैव मर्यादा और अनुग्रह का मार्ग दिखाता है। साहित्य के विषय या उपविषय का ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक समावेश होना चाहिए। 
 *प्रो. कलाधर आर्य* 
-------  न मैं हिंदी भाषी हूँ न ही मेरे आस-पास  का इलाका हिंदी से जुड़ता है लेकिन मैं हिंदी का सेवक हूँ। हिंदी की सेवा करना मेरा कर्तव्य है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन्हें जिस सम्मान का हकदार होना चाहिए उन्हें नहीं मिल रहा। इधर-उधर से उठापटक कर अपनी बात करने वाले भ्रामकता का माहौल पैदा करते हैं और सम्मान भी पा जाते हैं ।
 *डॉ. वासुदेव  शेष* 
 *संचालन करुणा सक्सेना ने किया।
*द्वितीय सत्र : युवा पीढ़ी और साहित्य विषय पर व्याख्यान हुआ।* 
--- हमारी पीढ़ी के अभिवावको ने पुस्तक खरीद कर देना बच्चो को बंद कर दिया इसलिए नई पीढ़ी के अंगूठे पर आँखे आ गई है । 
 *डॉ.विकास दवे* 
----- मीडिया की भूमिका जनमत दिखाने की नहीं जनमत बनाने की है ।  युवाओं की भाषा कहकर ओटीटी पर जो परोसा जा रहा है वह थोपा जा रहा है क्योंकि युवा वह भाषा नहीं बोलता । कोरोना काल में प्रसारित रामायण और महाभारत ने नया विश्व रिकार्ड बनाया क्यों कि उनमें कंटेट था । *केजी सुरेश* 
----- ग्वालियर साहित्य उत्सव को अच्छे लेखकों और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म का संगम स्थल बनाएं । तब रचनात्मक हर ओर दिखेगी। यह ऑर्गेनिक को स्वीकार करने का समय है I साहित्य में भी ऑर्गेनिक कंटेट स्वीकार कहने के लिए समाज मंहगे दामों में खरीदने को तैयार है  
 *डॉ. संजय द्विवेदी* निदेशक आईआईएमसी दिल्ली
----- इतिहास की इमारत में साहित्य भी है । युवा कुछ भी बनें , कोई भी विषय लें किंतु इतिहास पढ़ना अनिवार्य होना चाहिए 
 *विजय मनोहर तिवारी* सूचना आयुक्त
---- मानवता के इतिहास में जितना साहित्य लिखा और खरीद कर पढ़ा जा रहा है, उतना कभी नहीं हुआ ।
साहित्यकार में चारण भाव स्वतंत्र भारत में तो नष्ट हो जाना था किंतु दुर्भाग्य है कि वह बढ़ता ही जा रहा है । युवा पीढ़ी पढ़ना चाहती है पर उसे नया स्तरीय साहित्य नहीं मिलता तो वह  लाइन लगा कर विदेशी साहित्य खरीदताI यदि शब्द के पीछे साधना नहीं है तो वे शब्द दो कौड़ी के हैं ।
 *राजीव शर्मा,* संभागायुक्त
 *शाम को कफन नाटक की प्रस्तुत किया गया।
।। उत्सव में आज ।।
उत्सव के तीसरे दिन सोमवार को दो सत्र होंगे
 प्रथम सत्र* दोपहर एक बजे से रंगमंच, चित्रपट और साहित्य के अंतर्सम्बन्ध विषय पर रहेगा। 
जिसमें फिल्मकार  पीयूष मिश्रा, अभिराम भड़मकर, डॉ. नुसरत मेहंदी एवं डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष शिरकत करेंगे। 
 *द्वितीय सत्र :* अपरान्ह चार से शाम छह बजे तक रहेगा। 
लोक साहित्य यात्रा , साहित्य और समाज विषय पर रहेगा। 
डॉ. नंद किशोर पाण्डेय, रमेश पतंगे, डॉ. विद्या बिंदु सिंह एवं अनिल शर्मा जोशी का व्याख्यान होगा।








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