नोएडा। Twin Tower Demolition: ट्विन टावर को आज 28 अगस्त रविवार को गिरा दिया गया। नोएडा में सुपरटेक के दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचे 100 मीटर के इन दो अवैध टावर्स को जमींदोज करने में 3700 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया। चारों तरफ धूल का गुबार जैसा नजर आ रहा था। 40 मंजिला इमारतें 9 सेकेंड में मलबे में बदल गईं। सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था, जिसके बाद इन्हें ढहाने का काम किया गया। ट्विन टावर की दो सबसे नजदीकी सोसायटी-एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के 5,000 से अधिक निवासियों और उनके 200 पालतू जानवरों को रविवार सुबह सात बजे तक वहां से निकाल दिया गया था।दोनों परिसरों से लगभग तीन हजार वाहन भी हटा गए थे, वहीं, करीब 500 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी मौके पर तैनात किए गए थे। वहीं किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन सतर्क था। ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण के बाद 100 टैंकरों से पानी का छिड़काव किया गया, करीब 300 सफाई कर्मी सफाई में लगे हुए नजर आए।
कुतुबमीनार को पीछे छोड़कर खड़े थे
लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि ये दोनों टावर दिल्ली की ऐतिहासिक इमारत कुतुबमीनार से भी ऊंचे थे। जहां कुतुबमीनार की ऊंचाई महज 72.2 मीटर है, वहीं नोएडा सेक्टर-93ए में अवैध रूप से बने सियान और एपेक्स टावर की ऊंचाई 100 मीटर से भी अधिक थी।
समझिए आखिर किसलिए SC ने सुपरटेक इमारत को ध्वस्त करने का दिया आदेश
नोएडा बेस्ड कंपनी ने 2000 के दशक के मध्य में एमरल्ड कोर्ट नाम परियोजना की शुरुआत की. नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के समीप स्थित इस परियोजना के तहत 3, 4 और 5 बीएचके फ्लैट्स वाले इमारत बनाने की योजना थी। न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत योजनाओं के अनुसार, इस परियोजना में 14 नौ मंजिला टावर होने चाहिए थे, लेकिन, परेशानी तब शुरू हुई जब कंपनी ने प्लान में बदलाव किया। साल 2012 तक परिसर में 14 के बजाय 15 मंजिला इमारत बनाए गए, वो भी नौ नहीं 11 मंजिला। साथ ही इस योजना के अलावा एक और योजना शुरू हो गई, जिसमें दो और इमारत बनने थे, जिन्हें 40 मंजिला बनाने की प्लानिंग थी। ऐसे में कंपनी और स्थानीय लोगों के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। सुपरटेक ने टावर वन के सामने 'ग्रीन' एरिया बनाने का वादा किया था। दिसंबर 2006 तक अदालत में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार, यह उस योजना में था जिसे पहली बार जून 2005 में संशोधित किया गया था। हालांकि, बाद में 'ग्रीन' एरिया वह जमीन बन गया जिस पर सियेन और एपेक्स - ट्विन टावर्स बनाए जाने थे। भवन योजनाओं का तीसरा संशोधन मार्च 2012 में हुआ। एमराल्ड कोर्ट अब एक परियोजना थी, जिसमें 11 मंजिलों के 15 टावर शामिल थे। साथ ही सेयेन और एपेक्स की ऊंचाई 24 मंजिलों से 40 मंजिलों तक बढ़ा दी गई थी। एमराल्ड कोर्ट में रहने वालों ने इसे संज्ञान में लिया और मांग की कि सेयेन और एपेक्स को ध्वस्त कर दिया जाए क्योंकि इसे अवैध रूप से बनाया जा रहा है। निवासियों ने नोएडा प्राधिकरण से उनके निर्माण के लिए दी गई मंजूरी को रद्द करने के लिए कहा। निवासियों ने तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की, जिस पर अदालत ने अप्रैल 2014 में टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया। हालांकि, सुपरटेक ने फैसले के खिलाफ अपील की और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2021 में, इस तथ्य का हवाला देते हुए नोएडा ट्विन टावर्स को ध्वस्त करने का आदेश दिया कि टावरों का निर्माण अवैध रूप से किया गया था। इसके बाद सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट से अपने आदेश की समीक्षा करने की अपील की। शीर्ष अदालत में मामले से संबंधित कई सुनवाई हुई। सुनवाई में एमराल्ड कोर्ट के निवासियों की सुरक्षा के बारे में चिंताएं भी शामिल थीं लेकिन कोर्ट ने अपना फैसला नहीं बदला। अब आज इन दो इमारतों को गिराया दिया गया। दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 37,00 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया।

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