पोहरी। जैन धर्म के दशलक्षण महा पर्व देश दुनिया सहित पोहरी नगर मे बड़े ही भक्ति भाव से मनाया जा रहे है पोहरी नगर मे श्री आदिनाथ दिगंबर अतिशय क्षेत्र किले अंदर एवं श्री चन्दप्रभु जिनालाय में सुबह से लेकर शाम तक भक्त भक्ति के रंग मे रंगे हुए है। जैन समाज के अध्यक्ष शिखरचंद जैन नें बताया की श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मे भक्ति भाव से भक्त श्री जिनेंद्र देव का अभिषेक करते है अभिषेक के बाद शांतिधारा भी भक्तो द्वारा की जाती है उसके बाद सामूहिक रूप से महिला पुरुष भगवान श्री जिनेंद्र देव की पूजन अर्चना करते है। शाम को भगवान जिनेंद्र देव की सामूहिक आरती के बाद सांगानेर से पधारे सिद्धार्थ भैया जी द्वारा उत्तम त्याग धर्म के वारे मे बताया गया की हम सबने अभी 7 धर्म का पालन करते हुए 8 वें उत्तम त्याग धर्म के वारे मे बताया गया उत्तम त्याग क़्या है कहा त्याग धर्म है और दान पुण्य। उन्होंने कहा कि व्यक्ति धन को दान करना त्याग समझ लेता है। जबकि दान और त्याग में बहुत बड़ा अंतर है। दान करने से केवल पुण्य मिलता है। यह बाहरी त्याग की श्रेणी में आता है, जबकि आंतरिक त्याग वह होता है, जब अपनी आत्मा से राग, द्वेष, कषाय, अहंकार, लोभ, लालच, आदि का विकार भाव छूट जाए। इस त्याग से ही आत्मा निर्मल पवित्र होती है। इसी तरह उत्तम त्याग धर्म के वारे मे विभिन्न उदाहरण द्वारा धर्म प्रेमियों को समझाया गया
10 को पोहरी में श्री जिनेंद्र देव की शोभायात्रा
पोहरी नगर मे पर्युषण पर्व की समापन के पश्चात् श्री जिनेंद्र देव की शोभयात्रा बड़े ही धूम धाम से बड़े मंदिर से सुबह निकाली जाती है जो नगर के विभिन्न मार्ग से होते हुए वापिस जैन मंदिर पंहुचेगे, शिवपुरी से वीरसेवा संघ के दिव्यघोष के बाद सुबह 9 बजे से शोभायात्रा शुरू होंगी इस शोभायात्रा मे शिवपुरी, करैरा, रंन्नोद, कोलारस, करैरा, नरवर, बैराड, सिरसौदा,परिच्छा आदि विभिन्न नगर के जैन धर्म प्रेमी शामिल होते है।

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