शिवपुरी। सड़क पर जमीन से 6- 7 फीट की ऊंचाई पर रस्सी पर 8 साल की मासूम को चलाकर छत्तीसगढ़ का एक नट परिवार मंगलवार को सुबह 9 बजे के करीब शहर की सब्जी मंडी के पास तमाशा कर रहा था। तभी वहां से बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा का निकलना हुआ। उन्होंने तमाशा बंद कराया और तमाशा दिखाने वाले लोगों से पूछा कि अगर बच्ची का संतुलन बिगड़ जाये तो सुरक्षा की क्या व्यवस्था है। इस पर परिजनों के जबाव से अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए और पुलिस को बुलाकर उन्हें समिति के समक्ष लाने को कहा। तमाशा कर रहे लोगों का कहना था कि हम लोगों का यह पुश्तेनी काम है, हम बचपन से सिखाते है। अधिकारी ने उन्हें समझाया कि 14 साल तक के बच्चों से कोई व्यवसायिक काम नहीं कराया जा सकता। यह काम तो खतरनाक है। इस तरह के स्टंट सुरक्षा मानकों के साथ विशेषज्ञ की निगरानी में ही किया जा सकता है। उसके लिए भी प्रशासन की लिखित अनुमति आवश्यक है। यह बच्चों के जीवन को जोखिम में डालने वाला काम है। यह एक मासूम के साथ क्रूरता है। यह कानूनी अपराध है।
जब तमाशा कर रही टीम नहीं मानी तो अधिकारी ने विशेष किशोर इकाई प्रभारी गायत्री इटोरिया को और चाइल्ड लाइन को सूचना दी। सूचना पर पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम बालिका और उसके परिवार को एसजेपीयू कार्यालय ले गई। जहां पूछताछ और काउंसलिंग के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। बाल कल्याण समिति ने परिवार को समझाया कि इस तरह बच्ची को रस्सी पर चलाना उसके जीवन के लिए खतरनाक है,कानून में इसके लिये कड़ी सजा है। परिवार ने भविष्य में बच्चों से तमाशा न कराने का भरोसा दिया।
अपील- बच्चों का तमाशा न होने दें
बच्चे देश का भविष्य है, उनके जीवन के साथ खिलवाड़ कानूनी जुर्म है। बच्चों को ऐसे जोखिमपूर्ण स्टंट या तमाशा करते देख उसे प्रोत्साहित न करें, बल्कि उसे रोकने के लिए चाइल्ड लाइन को 1098 या पुलिस को 100 नंबर पर सूचित करें। बिना सुरक्षा मानकों के यह बच्चों के लिए जानलेवा हो सकते है।

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