
धमाका डिफरेंट: 92 वर्षीय पिता श्री मिश्रीलाल जी दुबे की दिन रात सेवा में जुटे बेटे राजेंद्र खजूरी ने याद दिला दी "श्रवण पुत्र" की
Shivpuri। शिवपुरी। बदलता परिवेश, बेमानी होते रिश्ते, बेटे की लालसा, जतन, जन्म, परवरिश फिर नौकरी तो कभी किन्हीं और तमाम वजहों से आजकल लोग ज्यादातर कहते नजर आते हैं कि अगले जन्म मोहे बिटिया ही....! हो सकता है कुछ लोग इस बात को नहीं मानें, उनकी सोच अलग हो भी सकती हैं बशर्ते उनके घर किसी राजेंद्र शर्मा ने जन्म लिया हो। जी हां, जमाना बदल गया, बदल रहा है लेकिन ग्राम खजुरी से आकर शिवपुरी में शिक्षा हासिल करने के साथ बिजनिस में झंडे गाड़ने वाले राजेंद्र शर्मा ने आज भले ही उत्कर्ष सफलता प्राप्त कर ली लेकिन वे माता पिता के प्रति अपने फर्ज, दायित्व को नहीं भूले। उनका कारोबार इतना बढ़ा की भगवान की कृपा से जिले के अग्रणी धनवानों के बराबर राजेंद्र खजुरी का नाम लिया जाने लगा। इसी बीच उन्हें नई पहचान तब मिली जब बेटे की शादी सवा रुपए और नारियल में की। कुलमिलाकर राजेंद्र शर्मा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं लेकिन अब हमने उनके बारे में कलम इसलिए उठाई है की राजेंद्र बीते पांच साल से ज्यादातर घर से बाहर नजर नहीं आते, इस बात पर चौंकना स्वाभाविक था। जब हमने पता किया तो मालूम हुआ की वे अपने पिता की सेवा में तल्लीन हैं। दरअसल उनके पिता श्री मिश्रीलाल जी दुबे 92 वर्ष के हैं और बिस्तर पर होने के चलते उनकी सेवा ठीक श्रवण पुत्र की तरह राजेंद्र खजुरी वाले कर रहे हैं। करोड़ों की प्रोपर्टी और पेट्रोल पंप का व्यवसाय भूलकर वे पूरी तरह अपने पिता की सेवा में जुटे हुए हैं। आजकल के समर में लोगों और खासकर युवाओं को इस बात से प्रेरणा लेनी चाहिए की जिन माता पिता ने आपको जन्म दिया है उनकी तन मन धन से खूब सेवा की जाए। न की उन्हें अकेला उनके हाल पर छोड़ दिया जाए। धमाका टीम राजेंद्र खजुरी अपवालों को इसी तरह पिता की सेवा में जुटे रहने के लिए शुभकामनाएं देती है। जब हमने राजेंद्र जी के बुजुर्ग पिता से बात की तो बोले, भगवान सभी को हमारे बेटे सा सुपुत्र दे।

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