जुबान से कह नहीं पाते लेकिन इंसानियत की मिसाल
बनारस काशी की यात्रा के दौरान मनी बिछड़े तो उनकी परेशानी यही सामने रही की वे बोल नहीं पाते। लिखकर बताने में भी समर्थ नहीं। लेकिन इंसानियत कूट कूट कर भरी हुई हैं शायद इसी वजह से उनकी कई दिनों बाद घर वापसी हुई। सोशल मीडिया ने कराई वापसी
आजकल अखबार बीते कल की कहानी होते जा रहे हैं। दूसरी बात उनकी सीमा तय हैं जिससे मनी जैसे अखबारों के लिए छोटी खबर वाले इंसान को शायद ही कोई खोज पाता। जिले की सीमाओं तक सिमटे अखबार ये काम चाहकर भी नहीं कर पाते लेकिन धमाका जैसे असरदार और बड़े प्लेटफार्म वाले सोशल माध्यम, फेसबुक, फौजी भाईयो के ग्रुप की वजह से आज मनी घर लौटकर आए। वो भी तब जबकि उन्हें बोलने, लिखकर बताने में कठिनाई हैं। दो बार करवाया भागवत का आयोजन
नगर के ठाकुर बाबा पर सेंगर की देखरेख में मनी दो बार भागवत करवा चुके हैं। मुख्य यजमान बनकर मनी भागवत की कलश यात्रा में शामिल होते हैं फिर कथा और विशाल भंडारा आयोजित होता हैं।
अंश अंश जोड़ते मनी, सभी से नहीं लेते राशि
मनी को जो लोग जानते हैं वो तो ठीक लेकिन जो उन्हें नहीं जानते उन्हे बता दें की मनी नगर भ्रमण करते रहते हैं। लोग उन्हें स्वेक्षा से दस, बीस या ज्यादा राशि देते हैं। लेकिन मनी हर किसी से रुपए नहीं लेते और जिससे लेते हैं उससे अधिकारपूर्वक मुस्कुराकर लेते हैं।
इसी राशि से करवाते हैं भागवत
जो राशि एकत्रित होती हैं उसी से मनी भागवत करवाते हैं। इस तरह कई लोगों को उनकी इस भागवत से भगवान का आशीर्वाद मिल जाता हैं।
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