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धमाका साहित्य कॉर्नर: पंडित गोपालकृष्ण पुराणिक की पुण्यतिथी पर स्वरांजलि एवं संगोष्ठी का हुआ आयोजन, जानिए उनके बारे में करीब से

सोमवार, 5 सितंबर 2022

/ by Vipin Shukla Mama
जयंत तोमर, प्रमोद भार्गव एवं संदीप बंधु द्वारा प्रस्तुत किया गया जीवन वृतांत
संतोष शर्मा की रिपोर्ट
पोहरी। पोहरी तहसील के छोटे से ग्राम छर्च में जन्मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित गोपालकृष्ण पुराणिक की पुण्यतिथी पर स्वरांजलि सभा एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ग्वालियर कंपू घराने से आए शास्त्रीय संगीत कलाकारों द्वारा भजन प्रस्तुत किए गए। उनके जीवन पर आधारित संगोष्ठी में ग्वालियर तथा शिवपुरी से शामिल हुए प्रबुद्ध जनों ने उनके जीवन वृतांत को उपस्थित लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया।
सुदूर जंगल में स्थित पुराना छर्च में जन्मे पंडित गोपाल कृष्ण पुराणिक जी ने ना केवल पोहरी को  भारत सहित विश्व में पहचान दिलाई अपितु उन्होंने शिक्षा, ग्राम विकास की परिकल्पना को साकार करते हुए पोहरी तथा आसपास के लोगों की जीवन में स्वावलंबन की अलख भी जगाई। उन्होंने ग्रामीण पत्रकारिता क्षेत्र में भी उल्लेखनीय काम किया, वर्ष 1938 में प्रकाशित होने वाली रूरल इंडिया पत्रिका उन्हीं के प्रयासों का परिणाम था। उन्होंने जिस रूरल इंडिया पत्रिका का प्रकाशन किया उसके संपादक रहे, उसको विश्व के कई देशों तक पहुंचाया। पत्रिका में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के महान व्यक्तियों द्वारा अपने लेख भेजे जाते थे। गुलामी के दौरान भारत देश की स्वतंत्रता आंदोलन में रूरल इंडिया पत्रिका ने एक महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका अदा की।महान संत, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद एवं पत्रकार पंडित गोपाल कृष्ण पुराणिक जी की 122 वी पुण्यतिथि पर आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौरान स्वरांजलि सभा में ग्वालियर घराने के शास्त्रीय संगीतज्ञ उमेश कंपू वाले ने भजनों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर उनके साथ सितार पर भरत नायक, तबला विनय शिंदे तथा हारमोनियम पर अक्षत मिश्रा ने संगत दी। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक एवं गोपाल कृष्ण जी के परिवार से संबंधित संदीप बंधु शर्मा उपायुक्त द्वारा पंडित जी के जीवन पर आधारित छर्च वृतांत प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन पुराणिक जी की जन्मस्थली के समीप ही किया गया, जिसमें पंडित जी के परिवार के लोग एवं सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित रहे।
दोपहर बाद संगोष्ठी का आयोजन कूनो रेस्ट हाउस पर किया गया जिसमें ग्वालियर आईटीएम यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक जयंत सिंह तोमर एवं वरिष्ठ लेखक पत्रकार प्रमोद भार्गव शिवपुरी द्वारा पंडित जी के जीवन चरित्र को लोगों के सम्मुख शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। 
जयंत सिंह तोमर ने बताया कि जब देश में अंग्रेजों का शासन था उस समय भारतीयों को अपनी बात कहने का अधिकार तक नहीं था, ऐसे समय में अपने जीवन की परवाह ना करते हुए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका रूरल इंडिया का प्रकाशन कार्य पोहरी जैसे छोटे गांव से किया गया एवं छापने के लिए नानावटी मुंबई में कार्यालय की व्यवस्था की गई। इस पत्रिका में महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, पट्टाभि सीतारमैया, विजयलक्ष्मी पंडित, गोविंदवल्लभ पंत, जवाहरलाल नेहरू, काका कालेलकर, हरिभाऊ उपाध्याय, भारतन कुमारप्पा जैसे चर्चित नेता लेख लिखते थे। इसके अलावा अन्य देशों के विद्यजन जैसे मिस्टर हूवर, एसटी मोजेज, राल्परिचर्ड कैथल, एव्ही मैथ्यू भी अपने लेख ‘रूरल इंडिया’ में लिखा करते थे, प्रोफेसर एनजी रंगा ‘रूरल इंडिया’ पत्रिका के संचालक मंडल के अध्यक्ष रहे थे, यह पत्रिका ना केवल भारत देश में अपितु नेपाल, वर्मा, भूटान आदि देशों तक पहुंचा करती थी।
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक प्रमोद भार्गव द्वारा गोपाल कृष्ण पुराणिक जी के जीवन पर आधारित वक्तव्य में कहा कि उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में राजनीतिक एवं रचनात्मक रूप से जो सहयोग एवं अपना जीवन समर्पित किया वह आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का भंडार है। पंडित जी द्वारा पोहरी में आदर्श विद्यालय का संचालन हो अथवा स्वाबलंबी विद्यार्थियों की फौज तैयार करना अथवा आसपास क्षेत्र के किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध करना, इन तीनों ही क्षेत्रों में पंडित जी के द्वारा कार्य किए गए वह भी तब जब यह देश अंग्रेजों के अधीन होकर गुलाम कहलाया करता था, परंतु गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए पंडित गोपाल कृष्ण जी की विचारधारा एवं उनकी सोच काफी बड़ी थी, जिसके दम पर उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद स्वतंत्रता आंदोलन में अपने जीवन को समर्पित कर दिया, सर्वस्व न्योछावर कर दिया। पंडित गोपालकृष्ण केवल एक व्यक्ति नहीं थे अपितु अपने आप में सदाचारी व्यक्तित्व थे। उस समय की सरकारी स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों को वह न केवल छर्च और कूनो के जंगल में रहने की व्यवस्था करवा देते बल्कि अपने आदर्श विद्यालय में भी क्रांतिकारियों को छद्म नाम से शिक्षक बनाकर रखते थे उन्होंने पोहरी में ग्रामीण विकास एवं स्वदेशी स्वरोजगार मूलक कार्यों को प्रारंभ कराया जिसमें खादी निर्माण कागज निर्माण माचिस उद्योग, मधुमक्खी पालन आदि कई तरह की कलाएं लोगों को सिखा कर उन्हें स्वावलंबी बनाया जाता था। कार्यक्रम के अंत में संदीप बंधु शर्मा द्वारा अतिथियों एवं वक्ताओं का शॉल, श्रीफल के साथ स्मृति चिन्ह से सम्मान किया गया। कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में दूर-दूर से आए पुराणिक जी के परिवार से जुड़े लोग एवं लेखक, पत्रकार आदि उपस्थित रहे।








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