अरविन्द वर्मा, एडवोकेट सदस्य- जनपद पंचायत, पोहरी जिला शिवपुरी ने कहा कि म.प्र. सरकार हमेशा शिक्षकों का अपमान करती आई है। चाहे शराब की दुकानों पर ड्यूटी की बात हो, चाहे तेन्दू पत्ता के फड़ मुन्शी बनाया गया हो, चाहे अभी हाल ही में प्रधानमंत्री जी के कूनो कराहल आने पर पोहरी विधानसभा क्षेत्र में शिक्षकों की ड्यूटी शाला बन्द करा के बसों पर तैनात किया गया था और शिक्षकों की ड्यूटी स्व-सहायता समूहों की महिलाओं की थैला एवं चप्पल उठाने में लगाई गई थी। अवकाश न होने के बावजूद अघोषित अवकाश कराया गया था और शिक्षकों का म.प्र. सरकार लगातार अपमान कर रही हैं। चाहे शिक्षक को पशु गणना में लगाया गया हो, मैपिंग कार्य हो अथवा जनगणना हो। सरकार की योजनाओं में शिक्षकों को तैनात किया जा रहा है। इसलिए म.प्र. में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इसमें हमारे सम्माननीय गुरु (शिक्षक) दोषी नहीं है. इसमें म.प्र. सरकार दोषी है शिक्षकों को जिला प्रशासन ने बी.एल.ओ बनाकर शिवपुरी शहर में बैठा दिया है, इसके कारण स्कूल अघोषित बन्द हो जाते हैं इसमें शिक्षक कहीं भी दोषी नहीं है। पड़ोसी राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र में शिक्षकों की पेन्शन बहाली कर दी गई है, तो फिर म.प्र. सरकार पीछे क्यों हट रही है। अगर सरकार इस तरह शिक्षकों का अपमान करती रही तो म.प्र. से भाजपा सरकार का जाना तय है।
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