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धमाका डिफरेंट: Cheetahs India South Africa: चीतों के भारत आगमन से श्योपुर ही नहीं शिवपुरी के पर्यटन को भी पंख लगने की तैयारी, 1952 तक थे एशियाई चीते अब अफ्रीकन चीते छोड़ने कूनो नेशनल पार्क आ रहे 17 सितंबर को पीएम मोदी

शनिवार, 10 सितंबर 2022

/ by Vipin Shukla Mama
श्योपुर, शिवपुरी। Cheetahs India South Africa: अफ्रीकन चीते भारत की धरती पर आने के चलते देश विदेश के लोगों की निगाहें इन दिनों आदिवासी बाहुल्य जिले श्योपुर और शिवपुरी पर आकर ठहर गई हैं। मसला बड़ा है तो बात होना लाजिमी है। दरअसल दोनों जिलों में रोजी रोजगार की थमी हुई गाड़ी को अब पर्यटन ही उबार सकता है। श्योपुर के पास कूनो नदी से सटे अरावली पर्वत श्रृंखला की सुरम्य पहाडियों से घिरा कूनो नेशनल पार्क मोजूद है तो कुछ ही दूरी पर स्थित शिवपुरी जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। नैसर्गिक धरोहर, नदी, तालाब, झील, झरने, गढ़ी, माधव नेशनल पार्क, संगमरमरी छतरी से लेकर कई नायब किले और अन्य रमणीक स्थल देशी विदेशी पर्यटकों के स्वागत के लिए शिवपुरी में आतुर हैं। ऐसे में जब आने वाली 17 सितंबर 2022 को देश के हरदिल अजीज पीएम नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के खास मौके पर अफ्रीकन चीतों को कूनो नेशनल पार्क के बाड़ों में छोड़ेंगे तो यह पल इतिहास में दर्ज होगा। दरअसल वर्ष 1952 के पहले तक भारत में एशियाई चीतों की आहट सुनाई देती रही थी और अब ये केवल ईरान में पाए जाते हैं। इधर भारत में ये प्रजाति विलुप्त होने के बाद से भारत में चीतो को फिर से स्थापित करने की योजना लंबे समय से चल रही थी। इसी उद्देश्य को लेकर सिंतबर 2009 में राजस्थान के गजनेर में चीता विशेषज्ञों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें चीता संरक्षण कोष के डॉ लोरी मार्कर, स्टीफन जेओ ब्रायन एवं अन्य चीता विशेषज्ञो ने दक्षिण अफ्रीकी चीता को भारत लाने सिफारिश की थी। पर्यावरण और वन मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली के निर्देश पर वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें 10 स्थलों के सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश के नौरादेही अभ्यारण, कूनो पालपुर अभ्यारण एवं राजस्थान के शाहगढ़ को उपयुक्त पाया गया, इन तीनो में से भी कूनो अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया।  
चीतों को बसाने प्रोटोकॉल और गाइडलाइन का पालन
भारत में चीतों को बसाने के लिए कूनो नेशनल पार्क में निर्धारित प्रोटोकॉल और गाइडलाइन के अनुसार कार्य होगा। परियोजना के एकीकृत प्रबंधन में कूनो के राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में लगभग दो दर्जन चीतों के रहवास के लिए उपयुक्तता है। इसके अतिरिक्त करीब 3 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र वाले दो जिलो में श्योपुर और शिवपुरी के इलाके चीतों के स्वंच्छद विचरण के लिए उपयुक्त हैं।
पहले बाड़े में दो नर चीते, दूसरे बाड़े में एक मादा चीता छोड़ा जाएगा
पीएम मोदी की मोजुदगी में दो बाड़ों में चीते छोड़े जायेंगे। पहले बाड़े में दो नर चीते छोड़े जाएंगे। दूसरे बाड़े में एक मादा चीता को छोड़ा जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों के दल ने नामीबिया की चीता प्रबंधन तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। अभी नामीबिया आठ चीतों को भारत भेज रहा है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका अक्टूबर में 12 चीतों को भारत भेजेगा।
तैयारी हर स्तर पर पूरी
कूनो राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से लगे हुए गाँव में पशुओं के टीकाकरण का कार्य पूरा किया जा चुका है। क्षेत्र के समस्त गाँव में जागरूकता शिविर लगाए गए हैं तथा कूनो से लगे आसपास के ग्रामों के 457 लोगों को चीता मित्र बनाया गया है। यहाँ चीतों के रहवास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का विकास किया गया है। पानी की व्यवस्था के साथ आवश्यक सिविल कार्य भी पूरे किए गए हैं।
वन्य प्राणी की संख्या बढ़ाने नरसिंहगढ़ से चीतल लाकर छोड़े
कूनो में वन्य-प्राणियों का घनत्व बढ़ाने के लिए नरसिंहगढ़ से चीतल लाकर छोड़े गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार क्षेत्र में शिकार का घनत्व चीतों के लिए पर्याप्त है। 
दो नर चीते रहेंगे एक साथ
नर चीते दो या दो से अधिक के समूह में साथ रहते हैं। सबसे पहले चीतों को दो-तीन सप्ताह के लिए छोटे-छोटे पृथक बाड़ों में रखा जाएगा। एक माह के बाद इन्हें बड़े बाड़ों में स्थानांतरित किया जाएगा। विशेषज्ञों द्वारा बड़े बाडों में चीतों के अनुकूलन संबंधी आंकलन के बाद पहले नर चीतों को और उसके पश्चात मादा चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। इस संबंध में आवश्यक प्रोटोकॉल के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
मेहमानों के स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार
मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर स्थित श्योपुर जिला इन दिनों कूनो नेशनल पार्क को लेकर राष्ट्रीय ही नही बल्कि अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में हैं। देश के पीएम मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिवस के अवसर पर अफ्रीकन चीतों का कूनों नेशनल पार्क में प्रतिस्थापन करेंगे। अरावली पर्वत श्रृंखला की सुरम्य पहाडियों से घिरा कूनो नेशनल पार्क अपनी प्राकृतिक मनोहारी छंटा बिखेरते हुए नये मेहमानों के स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार है। मोदी जब 17 सितंबर को नामीबिया से लाये गये चीतों की शिफ्टिंग में शामिल होंगे तब यह पल देश के लिए न केवल गौरवशाली होगा, बल्कि हमारे लिए एक एतिहासिक दिन भी। भारत से विलुप्त हुए चीतों का इस धरती पर 70 साल बाद फिर से आगमन, हमारे खोये हुए अतीत के भी वापस लौटने का सुखद पल होगा।
प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर कूनो नेशनल पार्क
प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर कूनो नेशनल पार्क के आगोश में बहने वाली कूनो नदी इसे न केवल ओर भी अधिक खूबसूरत बना देती है, बल्कि इसके सपाट और चौडे़ तटो पर खिली हुई धूप में अठखेलियां करते मगरमच्छ यहां आने वाले लोगों को रोमांचित कर देते है। कूनो नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के 174 पक्षियों की प्रजातियां मौजूद है, वही सैकडो प्रजातियां वन्य जीवों की है। पक्षियों की 12 प्रजाति तो दुलर्भ श्रेणी में मानी गई हैं। शिवपुरी श्योपुर के रास्ते पर कूनो रिसोर्ट और कूनो जंगल रिसोर्ट व्यवसाई जीनेश जैन एवम अरविंद तोमर ने वीआईपी स्तर पर तैयार किए हुए हैं।
ऐसे समझिए क्यों बढ़ेगा पर्यटन
कुछ लोग चीतों के आगमन की जानकारी पुख्ता होते ही इसे नोकरी, रोजगार से जोड़कर टिप्पणी कर रहे हैं। उन्हें समझना होगा की कार्बेट, रण थंबोर, पन्ना आदि नेशनल पार्क में टाइगर की मोजुदगी से देशी विदेशी पर्यटकों का इन जगहों पर साल भर आगमन होता हैं। देश के नामी गिरामी होटल से लेकर ब्रांडेड मल्टी स्टोर इन शहरों में मोजूद हैं। जब बात रोजगार की आती हैं तो छोटे से लेकर बड़े कारोबारी पर्यटकों से बेहतर व्यापार करते हैं। क्योंकि पर्यटक न सिर्फ टाइगर देखने तक सीमित रहते हैं बल्कि आसपास के स्थल, बाजार, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा से लेकर किले और जो कुछ भी इन जगहों पर मोजूद हैं उसे देखने निकल पड़ते हैं। माफ कीजियेगा रण थंबोर के पास तो फेमस गणेश मंदिर और नेशनल पार्क के सिवाय ठीक से बाजार तक नहीं तब भी हजारों पर्यटक घूमने आते हैं। जिससे होम स्टे, होटल, चाय, कॉफी, ऑटो, जीप, कारों से लेकर तमाम व्यवसाय चल पड़ते हैं। सोचिए श्योपुर से लगे शिवपुरी जिले के पास क्या नहीं हैं। हर वह चीज मोजूद हैं जिस पर पर्यटक मोहित होते हैं। तो फिर उम्मीद रखिए की शिवपुरी में भी जल्द टाइगर लाए जाएं। सीसीएफ निमामा के सेवा निवृत्ति के बाद फिर कोई काबिल अफसर आए और जल्द टाइगर सफारी को पूर्णता प्रदान करें। जिससे कूनो से लौटकर या जाते हुए पर्यटक ही शिवपुरी न रुके बल्कि उन्हें शिवपुरी में स्टे भी करना पड़े। 
केलाशवासी माधवराव लाए थे टाइगर सफारी
पूर्व में शिवपुरी की सड़कों पर अंग्रेजों की आमद रही हैं। जब केलाशवासी माधव राव सिंधिया ने शिवपुरी में टाइगर सफारी की शुरुआत की थी। नेशनल पार्क घूमने के लिए नगर से बसों का संचालन होता था और देशी विदेशी पर्यटक भी शिवपुरी आते थे। उन्हीं ने टूरिज्म विभाग का टूरिस्ट विलेज होटल शिवपुरी में बनवाकर तैयार कराया था। सिंधिया राजवंश ने सदेव शिवपुरी के लिए बेहतरी का प्रयास किया हैं और अब केंद्रीय मंत्री द ग्रेट ज्योतिरादित्य सिंधिया ने फिर से टाइगर सफारी की शुरुआत के लिए तेजी से कदम बढ़ाए हैं। जिससे शिवपुरी टूरिज्म का हब बन सकेगा। पर्यटकों को ग्वालियर, राजस्थान से होकर शिवपुरी के बाद ओरछा, खजुराहो आदि जा सकेंगे। 

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