शिवपुरी। महाराजश्री संसार काजल की कोठरी है कितना भी बचने का प्रयास करें कहीं न कहीं कालिख लग ही जाती है, बुराईयों से हम कैसे दूर रहें? उक्त जिज्ञासा समाधि मंदिर में आयोजित शताब्दी महोत्सव के अवसर पर एक बच्चे ने जैन संत कुलदर्शन विजयजी से की तो उनका जवाब था कि बुराई से दूर रहने का एक ही उपाय है कि आप धर्म, माता-पिता और गुरू के समीप रहो। शताब्दी महोत्सव के दौरान आज 20 स्कूलों के 1000 विद्यार्थी जैन संतों के उपदेश सुनने और अपनी जिज्ञासा का समाधान करने के लिए पधारे थे तथा संत कुलदर्शन विजयजी ने इस अवसर पर एक-एक विद्यार्थी की जिज्ञासा का बखूबी समाधान किया। शताब्दी महोत्सव के दौरान आज संत कुलरक्षित विजयजी का जन्मदिवस भी था और उनके जन्मदिवस को आध्यात्मिक रूप से मनाने हेतु युवा सम्मेलन का आयोजन शताब्दी महोत्सव के दौरान किया गया था। मंच पर आचार्य कुलचंद्र सूरि जी, पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजयजी, संत कुलरक्षित विजयजी, संत कुलधर्म विजय जी और साध्वी शासन रतना श्रीजी और साध्वी अक्षयनंदिता श्रीजी ठाणा 6 सतियों के अलावा स्कूलों के संचालक, शिक्षक आदि उपस्थित थे। विद्यार्थियों ने संतों के समक्ष एक से बढ़कर एक प्रश्र किए और सभी प्रश्रों का सटीक समाधान संत कुलदर्शन विजय जी ने किया।
प्रथम सवाल जैन संत से किया गया कि आखिर हम ईश्वर की पूजा क्यों करें? संत कुलदर्शन विजय जी ने एक उदाहरण से इस प्रश्र का समाधान करते हुए कहा कि आप लोगों ने एप्पल कंपनी के मालिक स्टीफ जेप्स का नाम सुना होगा। वह जिंदगी से हताश हो चुके थे और आत्महत्या करने की सोच रहे थे तभी उनके किसी शुभचिंतक ने उन्हें हिमाचल प्रदेश में नीमकरौली आश्रम के बारे में बताया। स्टीफ जेप्स वहां गए तो उनकी जीवन की दिशा ही बदल गई। संत ने कहा कि इससे समझा जा सकता है कि जीवन में ईश्वर पूजा का कितना महत्व है। इसके बाद दूसरे बच्चे ने उनसे सीधा सवाल किया कि इधर-उधर चोरी चकारी कर लोग धन कमा लेते हैं तो क्या वे उस धन के मालिक हैं या नहीं? इस पर बाल मुनि का जवाब था कि मनु स्मृति, चाणक्य नीति, वेद पुराण सभी का संदेश एक ही है कि नीतिपूर्वक और मेहनत तथा ईमानदारी से जो धन कमाया जाता है वही हमारा धन है। षड्यंत्रपूर्वक बेईमानी, धोखेबाजी और दूसरों को प्रताडि़त कर जो धन कमाया जाता है वह आखिरकार चला जाता है और इसके साथ ही नीतिपूर्वक कमाए गए धन को भी ले जाता है। इसलिए जो हमारा धन है उसे ही लेने का प्रयास करें। इसके बाद तनु नामदेव नाम की छात्रा ने उनसे सपाट सवाल किया कि मैं डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन कोविड काल में जिस तरह से डॉक्टरों ने अपने पेशे के साथ अन्याय कर मरीजों को लूटा है उससे मेरा हौसला कमजोर हुआ है। गुरूवर मुझे मार्गदर्शन प्रदान करें। इस पर संत कुलदर्शन जी ने जवाब दिया कि दृष्टि हमारी सकारात्मक होनी चाहिए। आपने सिर्फ एक पहलू देखा है। एक व्यक्ति के खराब होने से सारा समाज और संसार खराब नहीं हो जाता। कोविड काल में लोगों की जान बचाने के लिए 1000 डॉक्टरों ने अपनी जान गंवाई है वे डॉक्टर आपकी प्रेरणा के केन्द्र होने चाहिए। इसलिए डॉक्टर बनने के हौसले को मंद मत होने दो। नजर अच्छाई पर रखो। इसके बाद एक छात्रा ने सवाल किया कि आज कल बेटियों को कोख में मार दिया जाता है इस पर जैन संत ने कहा कि यह गलत परम्परा है और इसलिए फलफूल रही है, क्योंकि बेटी के पैदा होने को धन के खर्च होने से जोड़ा जाता है, उसे दहेज के कारण बोझ समझा जाता है। समाज के लोगों को इस बुराई को खत्म करने के लिए संकल्प लेना चाहिए कि अपने बेटे अथवा बेटी के विवाह में दहेज में न तो एक रूपया लेंगे और न ही एक रूपया देंगे। फिर एक छात्र ने सवाल किया कि हमारा सर्वोत्तम धर्म क्या है? संत कुलदर्शन बोले कि जन्म से जो धर्म आपको मिला है वह और राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है। इस संदर्भ में उन्होंने गीता का उदाहरण देकर अपनी बात स्पष्ट की। मोक्ष प्राप्ति का मार्ग क्या है? जब यह सवाल संत से पूछा गया तो उनका जवाब था कि वर्तमान जीवन को जो व्यक्ति स्वर्ग बना लेता है, काम, क्रोध, मोह, माया, छलकपट आदि से अपने आपको दूर कर लेता है उसके जीवन के बाद का जीवन भी स्वर्ग बन जाता है। जैन धर्म का सार क्या है? यह सवाल जब जैन संत से पूछा गया तो उनका उत्तर था कि जियो और जीने दो यही जैन धर्म का सार है।
संकल्प लें ना तो हम नशा करेंगे और ना ही करने देंगे
जिज्ञासा समाधान में एक छात्र ने संत के समक्ष शिवपुरी में नशे के बढ़ते प्रचलन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी को नशे की लत से कैसे दूर रखा जाए? इस पर संत कुलदर्शन विजय जी ने कहा कि इसकी जिम्मेदारी बच्चों के माता-पिता और गुरूजनों पर तो है ही, वह समय-समय पर उनका मार्गदर्शन करते रहें और उन्हें संकल्प दिलाते रहे कि ना तो हम नशा करेंगे और ना ही नशा करने देंगे। एक सवाल यह भी किया गया कि हमें डर क्यों लगता है? इस पर जैन संत ने कहा कि डर से बचना है तो उसका एक ही तरीका है कि डर को जीत लिया जाए। डर को हराकर ही डर को जीता जा सकता है।
मेधावी विद्यार्थियों को किया गया सम्माानित
कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों की मेधावी विद्यार्थियों तमन्ना धाकड़, रश्मि भोला, देवांश शर्मा, प्राची कुशवाह, दिव्यांशी गुप्ता, पीयूष दुबे, लवकुश प्रजापति, मयंक परिहार, प्रांजल जैन आदि को इस अवसर पर सम्मानित किया गया। जैनाचार्य कुलचंद्र सूरि जी महाराज ने उन्हें आशीर्वाद दिया और सम्मान निधि भी आयोजकों द्वारा भेंट की गई। कार्यक्रम में सबसे पहले जैन संत कुलरक्षित विजयजी का जन्मदिवस उत्साहपूर्वक मनाया गया। चातुर्मास कमेटी के संयोजक तेजमल सांखला ने इस अवसर पर उन्हें अपनी ओर से भगवान पाश्र्वनाथ की प्रतिमा भेंट की। आयोजकगण दशरथमल सांखला, प्रवीण लिगा, मुकेश भांडावत, विजय पारख, सुनील सांड, रौनक कोचेटा आदि ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और जैन संत ने उन्हें आशीर्वाद दिया।

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