*जैनाचार्य कुलचन्द्र सूरिजी ने नशा मुक्ति अभियान में जुडऩे का शिक्षकों को दिलाया संकल्प
शिवपुरी। 100 वर्ष पूर्व शिवपुरी में समाधि लेने वाले प्रसिद्ध जैनाचार्य विजय धर्मसूरिजी का 11 दिवसीय भव्य शताब्दी महोत्सव उनकी कुल परंपरा के प्रसिद्ध आचार्य कुलचन्द्र सूरिजी की निश्रा में मनाया जा रहा है। शताब्दी महोत्सव के ४ दिन आज समाधि भूमि पर 1000 शिक्षकों का भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया। सम्मान समारोह में अपना उदबोधन देते हुए पन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने अपने प्रेरक उदबोधन में शिक्षक पद की तुलना संत से की। उन्होंने कहा कि बिजली का स्विच दवाने से जहां एक बल्ब में प्रकाश होता हैं, लेकिन शिक्षक अपने दीपक से एक हजार दीपकों को जलाने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों को सिर्फ रोजी रोटी कमाने की तक्नीक तक ही सीमित नहीं रखता बल्कि वह उसको जीवन जीने का तरीका भी सिखाता है। इस अवसर पर आचार्य कुलचन्द्र सूरिजी ने कार्र्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों और स्कूल संचालकों से अनुरोध किया कि वह अपने स्कूल के परिसर के आस पास नशे के पदार्थो को बिकने न दें और नशा मुक्ति अभियान से जुड़ कर इस बुराई को हमेशा के लिए समाप्त करें। समारोह में चार्तुमास कमेटी के संयोजक तेजमल सांखला, उप संयोजक प्रवीण लिगा, मुकेश भांडावत, विजय पारिख, रौनक कोचेटा, प्रदीप काष्टया, सौरभ सांखला, दशरथमल सांखला, सुनील सांड आदि ने शिक्षकों का सम्मान किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में गुरूवंदना के पश्चात भक्ति रस की गंगा बही। इसके पश्चात पन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने टीचर शब्द के एक-एक हिज्जे का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा कि टी टेक्निक, ई ईनजी, ए अवेयरनेश, सी केरेक्टर, एच हैप्पी नेश, ई ईजनेश आर रिस्पॉन्शलिटी का प्रतीक है। अर्थात टीचर में जहां तक्नीक का ज्ञान हो, ऊर्जा से भरपूर हो, जागरूकता से परिपूर्ण हो, चरित्रवान हो, हृदय और चेहरे पर प्रसन्नता हो। सहज और जिम्मेदारी से संपन्न हो। ऐसे गुणों से संपन्न व्यक्ति ही सफल और सार्थक शिक्षक कहलाने के योग्य हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि एक ठेकेदार भ्रष्ट होता है तो उससे १००-५० लोगों की जनहानि हो सकती हैं, डॉक्टर भ्रष्ट होता है तो उससे कुछ लोगों की जान जा सकती हैं लेकिन एक शिक्षक भ्रष्ट हुआ तो पूरी की पूरी पीढ़ी नष्ट हो सकती है। इसलिए शिक्षक इस भावना को आत्मसात कर ही अपना आचरण करें। समारोह में डीईओ संजय श्रीवास्तव ने आचार्य विजय धर्मसूरि शताब्दी महोत्सव के अवसर पर शिक्षक सम्मान समारोह की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे शिक्षकों को प्रेरणा मिलेगी और वह अपने मिशन में पूरी तन्मयता के साथ जुड़ेंगे। बीआरसी अंगद सिंह तोमर ने भी शिक्षक सम्मान समारोह को वेहतर बताते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि समाज को हम लोगों की फिक्र है। उन्होंने कहा कि शिक्षक और संत दोनों ही समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं। कार्यक्रम को जिनेन्द्र जैन और राजकुमार शर्मा ने भी संबोधित किया।
पुलिस कर्मियों और डॉक्टर बन्धुओं का हुआ सम्मान
आचार्य विजय धर्मसूरि शताब्दी महोत्सव के दौरान आयोजन कमेटी ने समाधि मंदिर स्थित व्हीटीपी स्कूल प्रांगण में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जिसमें जैन समाज के 108 लोगों ने रक्तदान किया। इस अवसर पर भव्य मेडीकल कैंप का आयोजन भी किया गया। जिसमें 300 से अधिक रोगियों ने अपना परीक्षण कराया और उन्हें नि:शुल्क दवायें वितरित की गई। शताब्दी महोत्सव के दौरान एक हजार पुलिस कर्मियों का भी सम्मान किया गया।

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