*रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने अपना 38वां स्थापना दिवस मनाया
*महिला यात्रियों की सुरक्षित यात्रा में आरपीएफ की भूमिका सराहनीय
*श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश ने कौशल उन्नयन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की घोषणा की
भोपाल। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के 38वें स्थापना दिवस के अवसर पर 20 सितंबर 2022 को जग जीवन राम आरपीएफ अकादमी, लखनऊ में आयोजित परेड में केंद्रीय रेल और कपड़ा राज्य मंत्री, श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश ने मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर परेड की सलामी ली। कार्यक्रम में राज्य सभा के सांसद श्री बृजलाल, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, राज्य पुलिस, विभिन्न सरकारी विभागों, रेलवे और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
रेल राज्य मंत्री ने 23 आरपीएफ कर्मियों को ‘प्रतिष्ठित सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक‘, ‘मेधावी सेवा के लिए भारतीय पुलिस पदक‘, ‘सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक‘, ‘उत्तम जीवन रक्षा पदक‘ और ‘जीवन रक्षा पदक‘ प्रदान किए। आरपीएफ एनसीआर के हेड कांस्टेबल स्वर्गीय श्री ज्ञान चंद को मरणोपरांत सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया गया,जिन्होंने आत्महत्या करने के इरादे से चलती ट्रेन के सामने कूदने वाली एक महिला को बचाते हुए ड्यूटी करते हुए अपना जीवन दाॅंव पर लगा दिया। मुख्य अतिथि ने अकादमी परिसर में 100 फीट ऊंचा स्मारकीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया और अकादमी के पुनर्निर्मित वातानुकूलित मुख्य हॉल का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर आरपीएफ की त्रैमासिक ई-पत्रिका ‘‘रेल सैनिक‘‘ का ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ संस्करण जारी किया गया।
रेल राज्य मंत्री ने अपने भाषण में, महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने में आरपीएफ की भूमिका की सराहना की। उन्होंने किसी भी संगठन के प्रदर्शन में सुधार के लिए प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन की प्रमुख भूमिका को रेखांकित किया और आरपीएफ में प्रशिक्षण सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 55 करोड़ रुपये की मंजूरी की घोषणा की। श्रीमती जरदोश ने 3 करोड़ रुपये की लागत से आरपीएफ कर्मियों के परिवार के सदस्यों, विशेषकर महिलाओं के कौशल के उन्नयन के लिए तीसरी बटालियन आरपीएसएफ, लखनऊ के परिसर में एक कौशल उन्नयन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की भी घोषणा की। इसके अलावा, उन्होंने देश भर में 75 स्थानों पर महिला आरपीएफ ट्रेन एस्कॉर्टिंग कर्मियों के लिए विश्राम आश्रय सह मोबिलाइजेशन हॉल के निर्माण की घोषणा की।
महानिदेशक, आरपीएफ, श्री संजय चंदर ने मंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि आरपीएफ अपने कामकाज के विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है ताकि जनशक्ति का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। जरूरतमंद यात्रियों, बुजुर्गों और बच्चों को सहायता प्रदान करने में बल सबसे आगे रहा है। रेलगाड़ियों और स्टेशनों पर मानव तस्करी, नशीले पदार्थों के परिवहन, हवाला मनी, प्रतिबंधित वन्य जीवन और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए आरपीएफ सराहनीय कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि हम अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं, जो 2047 तक चलेगा, जिसके दौरान हमें भारत को उस गौरव के शिखर पर ले जाने के लिए अपने दिल और आत्मा से काम करना होगा, जिसकी वह हकदार है।
उल्लेखनीय है कि रेलवे संपत्ति को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 1957 में संसद के एक अधिनियम द्वारा रेलवे सुरक्षा बल का गठन किया गया था। इसके बाद, बल को 1966 में रेलवे संपत्ति के गैरकानूनी कब्जे में शामिल अपराधियों से पूछताछ, गिरफ्तारी और मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया। वर्षों से, यह महसूस किया गया कि बल को ‘‘संघ की एक सशस्त्र बल‘‘ का दर्जा देने की आवश्यकता है और अंततः 20 सितंबर 1985 को संसद द्वारा आरपीएफ अधिनियम में संशोधन करके बल को यह दर्जा दिया गया। इसलिए, बल के सदस्यों और उनके परिवारों द्वारा हर साल 20 सितंबर को आरपीएफ के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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