मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरूक करने के साथ ही इस समस्या के बारे में खुलकर बात करना जरूरी डॉक्टर आर के चौधरी सिविल सर्जन जिला चिकित्सालय
शिवपुरी। मानसिक सेहत के प्रति जागरुकता बढ़ाने के मकसद से पूरी दुनिया 10 अक्टूबर का दिन वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के रूप में मनाया जाता है जिसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरूक करने के साथ ही इस समस्या के बारे में खुलकर बात करना भी है। ये कहना था सिविल सर्जन डॉक्टर आर के चौधरी का जो की जिला चिकित्सालय में मेगा मानसिक स्वास्थ जांच सह जागरूकता शिविर में मुख्य अतिथि के तौर पर जिला स्वास्थ समिति एवम शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित प्रोग्राम में बोल रहे थे अधिक जानकारी देते हुए रवि गोयल ने बताया की मानसिक सेहत के प्रति जागरुकता बढ़ाने के मकसद से आज जिला चिकित्सालय में जांच शिविर लगा जिसमे एक सैकड़ा मानसिक रूप से ग्रसित मरीजों ने लाभ लिया। डॉक्टर संतोष पाठक आरएमओ ने कहा की कोरोना महामारी के बाद से तो मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। और तो और बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। यूनिसेफ की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में तकरीबन 14 फीसदी बच्चे भी अवसाद में जी रहे हैं। तो इस दिन को इतने बड़े स्तर पर मनाने का सिर्फ और सिर्फ उद्देश्य लोगों के बीच मानसिक सेहत के प्रति जागरूकता फैलाना है। डॉक्टर योगेंद्र रघुवंशी ने कहा की
संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत की थी। इस दिन को मनाए जाने की सलाह साल 1994 विश्वस्तर पर इस दिन को मनाए जाने का मकसद लोगों को मानसिक सेहत के प्रति जागरुक करना है। डॉक्टर अर्पित बंसल मन कक्ष प्रभारी ने कहा की हर साल इस दिन को एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल की थीम है 'मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाएं' । डॉक्टर आलोक कुमार श्रीवास्तव ने कहा की वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे का महत्व
हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। कोविड- 19 महामारी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है। लेकिन अभी भी ज्यादातर लोग इसपर ध्यान नहीं देते। एमडी मेडीसीन डॉक्टर पिप्पल ने इस अवसर पर कहा की फिजिकल और मेंटल हेल्थ एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। किसी भी एक पहलू को नजरअंदाज करना दूसरे पहलू को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। बड़े-बूढ़े से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। तो इस प्रॉब्लम को छिपाने की जगह उस पर ध्यान देने की जरूरत है। वरना आने वाले समय में स्थिति और बिगड़ सकती है। समाजिक कार्यकर्ता श्रध्दा जादौन ने कहा की हाल ही में एक इंटरनेशनल मानसिक स्वास्थ्य सर्वे जारी किया। ये सर्वे भारत में युवाओं की बदलती लाइफस्टाइल के साथ तनाव के कारणों का पता लगाने के लिए किया गया था। सर्वे के रिजल्ट्स बताते हैं मोबाइल के अधिक उपयोग एवम काम का तनाव के वजह से मानसिक तनाव आना सबसे बड़ी वजह है ,हमको कभी भी मानसिक तनाव को छुपाना नही चाहिए। आज अपना घर पर मानसिक बिमारी से ठीक हुए एक मरीज ने भी अपनी बात रखी एवम जिला चिकित्सालय के डॉक्टर अर्पित बंसल एवम पूरी टीम की तारीफ की। इस मौके पर जिला चिक्तासालय में मेगा मानसिक शिविर में इलाज कराने आए एक सैकड़ा मरीज उनके परिवार वाले एवम जिला चिकत्सालय के डॉक्टर मन कक्ष की टीम एवम शक्ति शाली महिला संगठन की टीम ने सक्रीय सहयोग प्रदान किया साथ ही लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद रहने के तरीके बताए साथ ही तनाव में जी रहे लोगों की समस्याओं को जानने का प्रयास और उन्हें सही राह दिखाई।

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