
धमाका डिफरेंट: जिन्हें जरूरत मिठाई, कपड़े, बर्तन और पटाखों की उनके बीच हर साल की तरह जा पहुंचे सपरिवार हेमंत रवजीत ओझा
शिवपुरी। अपने लिए जिए तो क्या जिए ए दिल तू जी जमाने के लिए....शायद दुनिया में इस उद्देश्य को लेकर चलने वालों में हेमंत ओझा का नाम भी शामिल हैं। इसलिए भी की वे हर साल अपनी दिवाली से पहले जरूरतमंदों की दिवाली मनाते हैं। वो भी नगर के दूर जाकर छोटे से किसी गांव में। उन्हें इस तरह दिवाली मनाते हमारे धमाका संपादक विपिन शुक्ला बीते कई सालों से देखते आ रहे हैं। लोग जब घर और दुकानों के श्रंगार में जुटे रहते हैं तब हेमंत ओझा सुबह जल्दी से तैयार होकर गांव की ओर चल पड़ते हैं। हर वर्ष की भांति इस बार भी दिवाली पर कुछ घर रोशन करने का संकल्प लिए हेमंत ओझा का परिवार घर से दूर निकल पड़ा। शहर से 45 किलोमीटर दूर लगभग 110 आदिवासी परिवार की एक छोटी सी बस्ती में हेमंत ओझा अपनी प्यारी सी बिटिया और पत्नी रवजीत को लेकर जा पहुंचे। और फिर महिलाओं, बच्चों को कुछ पटाखे, कपड़े , मिठाई और बर्तन वितरित किए। इस कदम से उन एक सैकड़ा परिवार के लोगों के चेहरे खिल उठे। देखा जाए तो बीजेपी नेता हेमंत ओझा ने असली दिवाली मनाई वो भी हर साल की तरह और अपने दामन में सैकड़ों दुआओं को साथ लेकर घर वापिस लोटे। दोस्तों भगवान दौलत तो कई लोगो को देता हैं, शोहरत भी खूब मिलती हैं लेकिन जरूरतमंदों को मुक्त कंठ से दान हेमंत जी की तरह हर कोई नहीं देता।

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