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धमाका धर्म: स्वर्ग का अमृत् भी देवी भागवत कथा रूपी अमृत की बराबरी नहीं कर सकता: भागवताचार्य रसिक कौशल किशोर शास्त्री

रविवार, 13 नवंबर 2022

/ by Vipin Shukla Mama
देवी भागवत कथा में उमड़ रहा है भक्तों का सैलाब
ग्वालियर। बालाजी धाम काली माता मंदिर गरगज कॉलोनी बहोड़ापुर में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा में वृंदावन से पधारे भागवताचार्य रसिक कौशल किशोर शास्त्री ने आठवें दिवस पर कहा कि भागवत के चार अर्थ होते हैं। भक्ति, ज्ञान, बैराग और त्याग को ही भागवत कहा जाता है। शास्त्रों के नियमों का पालन करके भविष्य में कई सुधार किया जा सकते हैं। सनातन जीवन पद्धति का उद्देश्य चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति ही है। राष्ट्र के गौरव को वापस पाने के लिए चारों पुरुषार्थ का पालन करना अति आवश्यक है। जब कई जन्म जन्मांतर ओं का पुण्य  एकत्रित होता है। तब देवी भागवत कथा सुनने का संयोग बनता है। जहां देवी भागवत कथा होती है। वह स्थान तीर्थ रूपी हो जाता है। शास्त्रों में देवी भागवत की कथा को साक्षात अमृत स्वरूप बताया है। अमृत तीन प्रकार के होते हैं। पहला अमृत समुद्र मंथन से निकला जो धनवंतरी के साथ उसे देवताओं ने पान किया दूसरा अमृत चंद्रमा में है। वह वनस्पतियों में प्रकट हुआ आयुर्वेदिक में औषधि बनी। तीसरा कलयुग में अमृत भागवत कथा जो सबको सुलभ है। इसलिए हृदय को शुद्ध करने के लिए इस कलिकाल में देवी कथा इस समय के अतिरिक्त कोई और उपाय नहीं है। इसलिए आज के परिवेश में यह कहा जा सकता है। कि स्वर्ग का अमृत भी ऐसी देवी कथा रूपी अमृत की बराबरी नहीं कर सकता ।
देवी भागवत के पारीक्षत महाराज श्री सुरेशमुदगल -श्रीमती राजश्री मुदगल के सानिध्य में यह कथा चल रही है। 
आज की कथा में देवी भागवत की आरती में पंडित श्री पूर्णीनंद जी महाराज, पं. किशोर शर्मा, चतुर सिंह यादव, रिंकू शर्मा (अमृतसर), सागर (इंदौर), प्रिंस (अमरावती), ज्योतिषाचार्य डॉ सतीश सोनी, रुस्तम सिंह वैश्य, पं.रामकिशन शर्मा, पं.राम प्रकाश, पं.राजू शर्मा, श्रीमती अनन्या-ज्ञानेन्द़ मुदगल, प्रमोद वाजपेयी, अरविन्द जैमिनी,  विजय तिवारी, राजकुमार बंसल (भोपाल), काले महाराज (अमॄतसर), आदित्य सिंह आदि विशेष रूप से उपस्थित थे
अंत में माता के भक्तों, श्रोताओं को छप्पन भोग का प्रसाद वितरण किया गया।

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