रोते हुए पिता बोले, मुझे बाल लगवाकर गया अमर, हेलपारी करते हुए पढ़ाया लिखाया
एक जवान बेटे का इस तरह दूर चले जाने का गम पिता से ज्यादा शायद ही कोई दूसरा समझता होगा। अमर के पिता ने श्रीमंत से दर्द साझा करते हुए कहा की मेरा बेटा घर की धुरी था। मेने हेलपरी करते हुएहुए बच्चों को पढ़ाया लिखाया। मैं बीपी का मरीज हूं मेरे सीने में बाल भी अमर ने लगवाया था। आज वो नहीं हैं आप हमारी मदद कीजिए। उसकी याद में भूमि, आर्थिक मदद कीजिए। वे ये कहते कहते कई बार रो पड़ते थे। जिन्हे श्रीमंत मैं हूं न कहकर दिलासा देते रहे।
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