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धमाका बड़ी खबर: प्रदेश की 397 नगरीय निकाय में 8 से 12 वी पास 22 CMO, अनुभव और शैक्षणिक योग्यता को मारी गोली

गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

/ by Vipin Shukla Mama
भोपाल। प्रदेश की कुल 397 नगरीय निकाय में अनुभव और शैक्षणिक योग्यता को गोली मारकर 22 व्यक्ति सीएमओ बना दिए गए हैं। इनमें भी 8 से लेकर 12 वी पास वालों की लॉटरी लग गई हैं और वे सीएमओ बन गए हैं। लेकिन अनुभव और सेक्षणिक योग्यता की कमी से निकायों में कामकाज पर असर पड़ा हैं तो वहीं योग्य व्यक्ति हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। कुल मिलाकर नगरीय प्रशासन विभाग में नियमों को ताक पर रख सीएमओ की नियुक्तियां की गई हैं। इस दौरान शैक्षणिक योग्यता और अनुभव दोनों का ही ध्यान नहीं रखा गया है। प्रदेश की 397 नगरीय निकायों में से 22 में जो सीएमओ नियुक्त किए गए हैं, उनमें से 16 आठवीं से 12वीं पास हैं, जबकि 5 साल से कम अनुभव वाले 6 सीएमओ हैं। नियम कहता हैं की एमपीपीएससी क्वालिफाई या 5 साल से ज्यादा अनुभव वाले राजस्व निरीक्षक को ही ये पद मिलना चाहिए और उन्हें भी ग्रेजुएट होना अनिवार्य है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।करेले पर चढ़ा नीम 
ताजुब की बात हैं की योग्यता विहीन यह प्रभारी सीएमओ उच्च शिक्षित व तकनीकि योग्यता रखने वाले लोगों से काम ले रहे हैं।
मंत्री जी ने भी नहीं सुनी
लिपिक वर्ग संगठन ने इसकी शिकायत नगरीय प्रशासन भूपेंद्र सिंह से की, कहा गया कि ग श्रेणी की नगर परिषद में सीएमओ बनने के लिए स्नातक होने के साथ ही 5 वर्षों तक आरआई (राजस्व निरीक्षक) या एआरआई (राजस्व उप निरीक्षक) के पद पर सेवाएं देने का अनुभव होना चाहिए, लेकिन सच्चाई यह है कि नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए इन सीएमओ में से कुछ 8वीं पास हैं तो कुछ 10वीं, 11वीं और 12वीं पास हैं।
दलील, कैंडर के हिसाब से देते हैं प्रभार
हमारे यहां एक कैडर बना हुआ है, उसी के आधार पर खाली पदों पर सीएमओ का प्रभार दिया जाता है, अब उनकी योग्यता क्या है, यह अलग बात है। 
भरत यादव, कमिश्नर नगरीय प्रशासन विभाग
लिपिक वर्ग को पदोन्नत कर सीएमओ बनाते थे 2015 तक 
पहले लिपिक वर्ग को पदोत्रत कर सीएमओ बनाया जाता था, लेकिन 2015 में शासन ने इस नियम को पलट दिया और राजस्व निरीक्षक व उप निरीक्षकों को सीएमओ बनाने की कैटेगरी में लाकर खड़ा कर दिया। जबकि राजस्व निरीक्षक के भर्ती नियम में शैक्षणिक योग्यता आठवी पास है, जिनका काम राजस्व वसूली करना होता है। ऐसे में इन्हें कम अनुभव होने के बाद भी मुख्य पद पर बैठा दिया, इन सब बातों को लेकर लिपिक वर्ग के प्रदेश संगठन ने शिकायत नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से भी की थी, लेकिन उसका अभी तक कोई हल नहीं निकला।
वरिष्ठता को ताक पर रख नियुक्तियां
बीएल पुरवीया को नम सिराली, दिनेश कुमार सोनी को नप आरोन और मुनींद्र कुमार मिश्रा को पांच साल के बिना अनुभव डोला में सीएमओ बनाया हैं। इसी तरह वरिष्ठता सूची को धुन में रखे बिना नर्मदा प्रसाद पांडे को पीपलरवा, राकेश मिश्रा को सिवनी मालवा का प्रभार दे दिया। इसी तरह रामानुज मिश्रा को सबइंजीनियर होने के बाद भी शाहगंज में सीएमओ का प्रभार दे दिया गया। 
राज्य सरकार का गजट नोटिफिकेशन ये कहता है
वैसे तो प्रदेश के सभी निकाय में सीधी भर्ती यानी एमपीपीएससी परीक्षा द्वारा चयन किया जाता है लेकिन पीएससी पास कैंडिडेट की संख्या कम होने के कारण निकाय प्रभारी सीएमओ बना देते हैं। राज्य सरकार के गजट नोटिफिकेशन 2015 के अनुसार ग श्रेणी नगर निकाय में राजस्व निरीक्षक व सहायक राजस्व निरीक्षक को 5 साल का अनुभव होना चाहिए, साथ ही वह स्नातक तक पढ़ा लिखा हुआ होना चाहिए पर इन 22 जगहों पर नियम विरुद्ध काम किया गया है।
 16 सीएमओ की यह है योग्यता
दीपक कुमार रानवे सोहागपुर 8वीं पास
राजेंद्र कुशवाह बनगवा 11वीं
जगदीश भैरवे सुसनेर 11वीं
कैलाश चंद वर्मा महिदपुर 10वीं
कन्हैयालाल सूर्यवंशी ताल 10वीं
महेंद्र कुमार शर्मा माकड़ोन
11वीं
मिथलेश द्विवेदी गुनोर
12वीं
प्रवीण सेन कुंडलेश्वर
12वीं
संजय रावल सांवेर
12वीं
भारत सिंह टांक मुंदी
12वीं बलराम भूरे
सनावद
12वीं
रामस्वरूप पटेरिया
बिजावर
12वीं
अशोक कुमार साहू कारी
12वीं
प्रभुदयाल पाठक बक्सवाह 12वीं 
सुंदरलाल सोनी घुवारा 12वी
नासिर अली श्यामगढ़ 11 वीं 

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