किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव हैं। भारत की 60 फीसदी आबादी अपने रोजमर्रा के कामों के लिए खेती पर निर्भर है। देश में किसानों को अन्नदाता या खाद्य आपूर्तिकर्ता के रूप में देखा जाता है। अधिकांश भारतीय शहरों में खेती प्राथमिक व्यवसाय है। बगैर अन्नदाता के हम जीने की कल्पना नहीं कर सकते। किसानों की महिमा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उनकी महिमा अपरंपार है और अन्नदाता महान है।
भारत में प्रतिवर्ष 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। इसी दिन भारत के पॉंचवे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था। जिन्होंने देश के किसानों की समृ़द्ध और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए अनेक नीतियां बनाई थीं। किसानों के प्रति उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने चौधरी चरण सिंह के सम्मान में वर्ष 2001 में किसान दिवस मनाने का निर्णय किया। तब से उनकी याद में यह दिवस मनाते आ रहे हैं।
चौधरी चरण सिंह का जन्म 1902 में नूरपुर मेरठ, उत्तर प्रदेश के एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। 1923 में विज्ञान में स्नातक करने के बाद 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। वह कानून के प्रैक्टिशनर भी थे और देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे। उन्होंने 1979 और 1980 के बीच प्रधानमंत्री के पद पर कार्य किया। भारत सरकार ने जिस दिन को किसान दिवस के रूप में चुना वह खास है। कारण आम जनता के लिए किसानों की प्रतिबद्धताओं और राष्ट्र के महत्वपूर्ण वित्तीय और सामाजिक सुधार के महत्व को समझने के लिए देश के निवासियों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन की सराहना की जाती है।
क्योंकि एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे चौधरी चरण सिंह देश के किसानों से गहरे जुड़े हुए थे। वे ग्रामीण भारत के लिए काम करना चाहते थे। चौधरी चरण सिंह ने किसानों के हित के लिए जो कदम उठाए थे वह उन्हें खास सम्मान के हकदार बनाते हैं। क्योंकि उन्होंने किसानों के परिवर्तन के लिए बिल पेश करके देश के कृषि क्षेत्र में प्राथमिक नौकरी भी ग्रहण की। माना जाता है कि चौधरी चरण सिंह की कड़ी मेहनत के कारण जमींदारी उन्मूलन विधेयक 1952 पारित किया गया था। कारण स्पष्ट है कि 1970 के दशक के दौरान भारत खाद्य उत्पादों में स्वतंत्र नहीं था और अमेरिका से खाद्यान्न आयात करता था।
समय के साथ ही अब सरकारें भी किसानों के हित में अनेक कदम उठाने में लगी हुईं हैं। सरकार द्वारा शुरू की जानें वाली योजनाएं सामान्यतः भारत में रहनें वाले सभी किसानों के लिए चलाई जाती हैं। लेकिन समस्त किसानों की आर्थिक स्थिति एक जैसी नहीं होती है, जिसके कारण कुछ किसान अपने खेतों से अच्छा उत्पादन नहीं ले पाते हैं। यहाँ तक कि उनके लिए अपने परिवार का भरण-पोषण करना तक कठिन हो जाता है। इस प्रकार की समस्याओं को देखते हुए सरकार ने योजनाओं का संचालन करना शुरू किया, ताकि किसान इन योजनाओं के माध्यम से अच्छी तरह से खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकें और अपनी आर्थिक स्थिति में भी सुधार कर सकें।
भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि एक खास योजना है। इस योजना की शुरुआत वर्ष 2018 के रबी सीजन में की गई थी। इस स्कीम के अंतर्गत किसान को छह हजार रुपए प्रति वर्ष तीन किस्तों में प्राप्त होते हैं और यह सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में आती है। प्रत्येक चार माह के पश्चात कृषक को 2,000 रुपए की सहायता राशि प्राप्त होती है। इस योजना के माध्यम से किसानों को आर्थिक स्थिति सुधारनें में काफी सहायता मिल रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी योजना साबित हो रही है।
हालांकि किसानों का एक दूसरा पहलू भी है। देश के ज्यादातर किसानों की हालत खराब है। भारत में लगभग 80 फीसदी किसान सीमांत (1 हेक्टेयर से कम) या छोटे किसान (1-2 हेक्टेयर) श्रेणी के हैं। कृषि लगभग 60 फीसदी रोजगार का समर्थन करती हैं लेकिन सकल घरेलू उत्पाद में केवल 17 प्रतिशत का योगदान करती है। आए दिन देश के अलग-अलग हिस्सों से भारतीय किसानों की आत्महत्या की खबरें आती रहती हैं। इन्हीं हालातों को देखते हुए भारतीय सरकार किसानों की दशा सुधारने की दिशा में आगे बढ़ रही ।
केंद्र के साथ ही प्रदेश सरकारों के किसनों के हित में अनेक कदम उठा रही हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी कई योजनाएं भारतीय किसानों को सहायता प्रदान के लिए प्रेरित कर रही हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने भी किसानों के हित में अनेक कदम उठाते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, उन्हीं में से एक है कि अब किसानों की सहमति के बिना किसी भी सरकारी योजना के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकेगा। इससे किसानों को बल मिलेगा और उनकी जमीन अधिग्रहण करने पर उन्हें उचित मुआवजा मिल सकेगा। भारत सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ सम्मान “कृषि कर्मण अवार्ड“ पिछले 6 वर्ष से गौरव हासिल करने वाला मध्य प्रदेश दलहन और सोयाबीन के उत्पदान में अव्वल है। बावजूद इसके मध्य प्रदेश में कुल 64 लाख किसानों में 50 फीसदी किसान कर्जे के बोझ के तले दबे हुए हैं। हर किसान पर औसतन 14 हजार 128 रुपए का कर्ज है।
बावजूद इसके भारतीय किसानों की वित्तीय स्थिति में वर्तमान में सुधार हो रहा है। क्योंकि सरकार-निजी संगठन दोनों ही किसानों की सरकारी सहायता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं फिर भी भारतीय किसानों को वह जीवन प्रदान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है जिसके वे हकदार हैं। कहना मुनासिब है कि किसान ही हैं जो पूरे देश को खिलाते हैं। क्योंकि वे जो विकसित करते हैं वह पूरी आबादी खाती है। हम किसानों का आभार जताकर किसान दिवस मना सकते हैं।
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