शिवपुरी। तो क्या फिर नपा शिवपुरी की बागडोर सीएमओ शैलेश अवस्थी के हाथों में होगी ? ये सवाल नगर के गलियारों में तेजी से उछल रहा हैं, और लोग कह रहे हैं कि वास्तव में ऐसा हो सकता हैं। इस बात में दम इसलिए नजर आने लगी हैं की मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने छिंदवाड़ा के प्रभारी सीएमएचओ डॉ. जीसी चौरसिया व सीधी के डीईओ पवन कुमार सिंह को सीएम मंच से सस्पेंड करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी हैं। बता दें की नगर पालिका शिवपुरी के सीएमओ शैलेश अवस्थी को शिवपुरी के पोलो ग्राउंड में आयोजित मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने मंच से 16 दिसंबर को निलंबित कर दिया था। ठीक इसी तरह छिंदवाड़ा के सीएमएचओ एवम सीधी के डीईओ को भी सीएम ने मंच से निलबित किया गया था जिसके बाद दोनों ही अधिकारी हाईकोर्ट की शरण में जा पहुंचे। सुनवाई हुई तो हाईकोर्ट ने माना की सार्वजनिक मंच से राजनैतिक द्वेष के चलते अपमान हुआ हैं, हाईकोर्ट ने दोनों आदेशों को अमान्य माना और दोनों अधिकारियों को अंतरिम राहत प्रदान की। सवाल ये हैं की शिवपुरी नपा सीएमओ शैलेश अवस्थी भी ठीक उसी तरह की सुनियोजित साजिश के शिकार हुए! उन्हे मंच से एकाएक निलंबित कर दिया गया। जिससे उन्हें तो खुशी हुई जिनकी दाल किसी भी हालत में अवस्थी नहीं गलने दे रहे थे। लेकिन एक बड़े वर्ग को सदमा लगा जिसने अवस्थी को कार्यशेली को करीब से देखा। सिर्फ फोन न अटेंड करना या मैदान में लगातार नहीं दिखना भर ऐसी कमियां नहीं जिससे कोई सरकार का नुकसान हो रहा हो। यही कारण हैं की अब अवस्थी भी कोर्ट की राह जा सकते हैं। स्वाभिमान की लड़ाई लड़ने में अवस्थी को भी कोर्ट से राहत मिलने की पूरी उम्मीद हैं।
इधर मुख्यमंत्री द्वारा मंच से निलंबित दो अधिकारियों को मिली अंतरिम राहत
हाईकोर्ट ने विभाग प्रमुखों को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
जबलपुर । मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने छिंदवाड़ा के प्रभारी सीएमएचओ डॉ. जीसी चौरसिया व सीधी के डीईओ पवन कुमार सिंह को सीएम मंच से सस्पेंड करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। दोनों मामलों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मंच से निलंबित करने के आदेश दिए गए थे। सीएमएचओ के मामले में जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने लोक स्वास्थ्य विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी, आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं प्रभारी बीएमओ डॉ. एनके शास्त्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, वहीं डीईओ के मामले में शासन व स्कूल शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है।
डॉ. चौरसिया की ओर से अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि स्थानीय राजनेताओं के प्रभाव और राजनीतिक फायदा लेने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने 22 सितंबर को एक आमसभा को संबोधित करते समय सीएमएचओ को हटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद अगले दिन डॉ. चौरसिया को प्रभार से हटाकर जिला अस्पताल में अटैच कर दिया गया। मुख्यमंत्री 9 दिसंबर को पुनः छिंदवाड़ा गए और डॉ. चौरसिया को निलंबित करने का आदेश दे दिया। उसी दिन आयुक्त लोक स्वास्थ्य ने सीएम के आदेश का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता को सस्पेंड कर दिया और उन्हें 300 किलोमीटर दूर डिंडौरी में अटैच कर दिया। विभाग ने 12 दिसंबर को अधीनस्थ अधिकारी को सीएमएचओ का प्रभार दे दिया। अधिवक्ता त्रिपाठी ने दलील दी कि भरी सभा में मंच से किसी लोक अधिकारी को सस्पेंड करना उसका अपमान है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 9 एवं 12 दिसंबर के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।दुर्भावना से की गई कार्रवाई
पवन कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार शुक्ला ने दलील दी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच से निलंबन का आदेश दिया था, जिसके बाद विभाग द्वारा विधिवत निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। दरअसल, मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान कार्यक्रम में डीईओ के खिलाफ शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर कलेक्टर ने रिपोर्ट दी थी। सीएम के मंच से आदेश के तत्काल बाद 10 फरवरी, 2022 को संभागायुक्त रीवा ने याचिकाकर्ता को डीईओ पद से निलंबित कर संयुक्त संचालक कार्यालय, रीवा में सम्बद्ध कर दिया। अधिवक्ता शुक्ला ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को राजनीतिक दुर्भावनावश निलंबित किया गया है। जिस दिन मुख्यमंत्री का कार्यक्रम था, उसी दिन कलेक्टर का प्रतिवेदन आया और उसी दिन संभागायुक्त ने निलंबन आदेश भी जारी कर दिया।
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