विवरण के अनुसार शिकायत कर्ता दीवान सिंह यादव के सेंट्रल बैंक शाखा स्थित शिवपुरी के खाता क्रमांक 3055086835 में जमा 2 लाख 40,000 हजार रूपये बैंक के अधिकारी और कर्मचारी की लापरवाही से खाते से निकल जाने को लेकर दीवान सिंह यादव ने उपभोक्ता आयोग शिवपुरी के समक्ष 30/11/21 को परिवाद पत्र पेश किया। जिसमें बैंक को पक्षकार बनाया गया। बैंक की ओर से मनीष कुमार मित्तल अधिवक्ता ने उपस्थित होकर शिकायत का जवाब प्रस्तुत किया। साथ ही अन्य दस्तावेज एवम शपथ-पत्र भी पेश किये तथा कई कमियां भी उजागर की गयी। शिकायत कर्ता ने प्रथक से FIR भी कोतवाली सिटी में दर्ज कराई थी वह भी प्रस्तुत की गयी। उपभोक्ता आयोग ने दोनों पक्षों के समस्त पक्षों की सुनवाई के दौरान पाया कि परिवाद के पद क्रमांक 4 में लिखा है कि इसके बाद परिवादी ने दिनांक 12. 1121 को अज्ञात व्यक्ति द्वारा खाते से रूपये निकालने की रिपोर्ट पुलिस कोतवाली शिवपुरी में दर्ज कराई है जिसके आधार पर आवेदक ने एक तरफ पुलिस में एफ आई आर दर्ज करा दी है और दूसरी तरफ आयोग के समक्ष शिकायत पेश कर दी है जो नहीं है। परिवादी के खाते मे अन्य प्रदेश और अन्य जिलों के एटीएम बूथ से ट्रांजेक्शन हुए है ऐसी स्थिति में अनावेदश बैंक द्वारा सी. सी. टी. व्ही. फुटेज देना समय नही है क्योंकि बैंक की किसी भी शाखा से ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है। इस प्रकार अनावेदक ने परिवाद निरस्त करने का निवेदन किया। परिवाद पत्र के अनुसार ही आवेदक ने अपना एटीएम नष्ट कराने के लिए बैंक कर्मचारी जितेन्द्र को दिया था परंतु स्वयं आवेदक ने इस संबंध में अनावेदक बैंक में एक आवेदन दिनांक 20.10.2021 को पेश किया जिसकी प्रति प्रदर्श ए-1 पेश हुई है इसमें इसके विपरीत यह उल्लेख है किआवेदक का एटीएम बैंक मैनेजर के सामने ही जितेन्द्र ने तोड़ दिया था इसके अलावा आवेदक ने इस घटना के संबंध में पुलिस थाना कोतवाली में रिपोर्ट भी लिखाई है इसकी प्रति अनावेदक की ओर से परिवाद के जबाव के साथ पेश की गई है जो प्रदर्श एन ए है। प्रदर्श एन ए-1 के अनुसार अज्ञात व्यक्ति के विरूद्ध धारा 420 मास का अपराध थाना कोतवाली शिवपुरी में दर्ज हुआ है उसमे विवेचना हो रही है। एफ आई आर प्रदर्श एन ए-1 अनुसार आवेदक के साथ धोखाधड़ी करने की रिपोर्ट- हुई है इस प्रकार जहा धोखाधडी का आपराधिक मामला होता है ऐसी परिस्थिति में प्रकरण इस आयोग के समक्ष प्रचलन योग्य नहीं है। इस संबंध में न्यायदृष्टांत महेश कुमार विरुद्ध एमजी मोटर्स 1 (2016) सी. पी. जे. 134 (एन.सी.) अवलोकनीय है जिसमे माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा कहा गया है कि जहां विराधी पक्षकार द्वारा कथित रूप से कपटपूर्ण कार्य किया गया हो या खाडी की गई हो तब ऐसा मामला उपभोक्ता फोरम द्वारा विचार में नहीं लिया जाना चाहिए। अनावेदक की और से बैंक एकाउण्ट स्टेटमेंट की प्रति प्रदर्श एन ए-2 भी पेश हुई है जिसके अनुसार आवेदक के एटीएम कार्ड के माध्यम से ग्वालियर रायपुर, जयपुर छिंदवाडा, रायसेन, व्यावरा मुरेमा भरतपुर और झांसी आदि कई स्थानों से एटीएम का उपयोग करते हुए आवेदक के खाते से राशि निकाली गई है इससे भी स्पष्ट प्रकट है कि आवेदक ने अपना स्वयं का एटीएम किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया या किसी अन्य व्यक्ति ने आवेदक का एटीएम किसी तरह प्राप्त कर लिया है और विभिन्न शहरों में जाकर विभिन्न दिनांकों में राशियां निकाली गई है इस संबंध में अनाववेदक बैंक की कोई त्रुटि या सेवा में कमी होना प्रमाणित नहीं हो रहा है अतः यह परिवाद गुणदोष के आधार पर भी प्रचलन योग्य न होने और धोखाधडी संबंधी एफ.आई.आर. दर्ज होने के कारण इस आयोग के समक्ष प्रचलन योग्य न होने से खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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